शहडोल। जिले में आज भी खरीफ के सीजन की खेती बड़े स्तर पर की जाती है. दरअसल, इस सीजन में होने वाली बारिश किसानों की खेती के लिए काफी मददगार साबित होती है, यही कारण है कि पूरे सीजन में किस तरह की बारिश होगी इसे जानने के लिए आज भी किसान अपने क्षेत्र के पंडितों से पत्रा जरूर दिखाते हैं. आइए जानतें है आखिर इस बार बरसात के सीजन में किस तरह के बारिश के योग हैं, और क्या कहता है ज्योतिष शास्त्र.
जानिए बारिश के क्या हैं योग?
दरअसल, इस बार प्रदेश में मानसून अपने तय समय से पहले आ गया. बारिश भी जून महीने से ही शुरू हो चुकी है और अभी भी बारिश का मौसम बना हुआ है. यही कारण है कि जिले में अभी भी अधिकतर किसान खेती शुरू नहीं कर पाए हैं. वजह है खेतों में पानी भरा हुआ है. किसान इंतजार कर रहे हैं कि थोड़ा सा मौका मिले और वह खेतों में बीज डाल सकें.
कब है वर्षा का विशेष योग
बता दें कि इस बार शुरुआत से ही अच्छी बारिश दर्ज की गई है. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, बारिश के सीजन में इस बार कितनी बारिश होगी. इसे लेकर पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री ने काफी महत्वपूर्ण जानकारी दी. शास्त्री ने बताया कि वर्षा काल में बारिश के लिए 6 नक्षत्र हैं, जैसे आर्द्रा, पुनर्वस, आश्लेखा, मघा, उत्तरा, फाल्गुनी, जोकि वर्षा के लिए मुख्य होते हैं. पंडित ने बताया कि आगामी 5 जुलाई तक वर्षा का विशेष योग चल रहा है.
6 जुलाई से 12 जुलाई तक सामान्य वर्षा
दरअसल, ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, 6 जुलाई से 12 जुलाई तक सामान्य वर्षा होगी. इसके बाद 22 से 26 जुलाई तक फिर से तेज बारिश के आसार हैं. इसके बाद अगस्त में 6 अगस्त से 11 अगस्त तक तेज बारिश होगी, फिर 20 अगस्त से 23 अगस्त तक फिर से तेज बारिश के योग हैं, इसके बाद धूप रहेगी और 10 दिन तक पानी नहीं गिरेगा.
6 सितंबर से 14 सितंबर तेज वर्षा
पंडित ने आगे बताया कि 6 सितंबर से 14 सितंबर तक फिर से वर्षा का प्रबल योग है, इस समय विशेष वर्षा होगी. इसके बाद 22 दिन के लिए कहीं धूप रहेगी, कहीं पानी गिरेगा. इस दौरान किसानों को फसलों की सिंचाई के लिए वर्षा के पानी से बंचित रहना पड़ सकता है. फिर कहीं जाकर 11 अक्टूबर से 17 अक्टूबर के बाद फिर से बारिश होगी यानी वर्षा विशेष है, लेकिन छुटपुट वर्षा और अल्प वर्षा के भी योग बन रहे हैं.
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इन फसलों के लिए होती है पानी की जरूरत
गौरतलब है कि जिले में खरीफ के सीजन में धान की खेती सबसे ज्यादा रकबे में की जाती है, जिसमें वर्षा आधारित खेती ज्यादा किसान करते हैं. इसके अलावा तिलहन की खेती की जाती है. दलहन की फसलों की भी खेती की जाती है, तो वहीं कुछ किसान सब्जियों की भी खेती करते हैं. इसके अलावा कुछ क्षेत्र में सोयाबीन की फसल भी लगाई जाती है, तो कुछ क्षेत्रों में मक्के की फसल भी लगाई जाती है.