शहडोल। अयोध्या से शुरू हुई भगवान श्री राम की वनवास यात्रा रामेश्वरम से होते हुए श्रीलंका में संपन्नन हुई. इस दौरान राजाराम देश के दिल यानी मध्य प्रदेश से होकर गुजरे और यहां उन्होंने लंबा वक्त भी गुजारा, शहडोल भी भगवान राम के रामवन गमन पथ का साक्षी बना. शहडोल के जंगलों में जिस जगह रघुराई के चरण पड़े, वह धरा धन्य हो गई, इसका जिक्र पौराणिक ग्रंथों में भी मिलता है. यहां मौजूद दशरथ घाट से होते हुए भगवान राम आगे बढ़े.
सोन और जोहिला नदी का संगम स्थल
उमरिया जिले के केल्हारी गांव पास कल- कल की आवाज के साथ बहती सोन और जोहिला नदी का संगम भगवाव राम की वनवास यात्रा का अहम पड़ाव था, जिसे दशरथ घाट नाम से भी जाना जाता है. माना जाता है कि भगवान श्रीराम अपने छोटे भाई लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ जंगल की वादियों को पार करते हुए इस स्थान पर पहुंचे थे और यहीं उन्होंने अपने पिता दशरथ का दसवां श्राद्ध और पिंडदान किया था.
विशाल मेले का होता है आयोजन
जूनाअखाड़े की महिला थानापति पुष्पांजलि गिरी बताती हैं कि इस स्थान से श्रीराम के गुजरने के कई प्रमाण भी मौजूद हैं. आस्था का केंद्र बने इस स्थान पर14 जनवरी से 18 जनवरी तक यहां विशाल मेले का आयोजन भी किया जाता है.
दशरथ की एक चरण पादुका लगी है
मध्यप्रदेश के विदिशा में भगवान राम के पैरों के निशान हैं, तो इस जगह राजा दशरथ की एक चरण पादुका भी लगाई गई है. इसके अलावा इस घाट के पास मौजूद मंदिर में भगवान कार्तिकेय की मूर्ति भी है, जो काफी प्रसिद्ध है. सोन और जोहिला नदी के पास मौजूद जंगलों की प्राकृतिक छटा मन को सुकून देती है.
लोगों में घाट को लेकर आस्था
मध्यप्रदेश के सतना, चित्रकूट के अलावा शहडोल में दशरथ नंदन ने लंबा वक्त बिताया था. दशरथ घाट इसकी गवाही भी दे रहा है. यही वजह है कि इस घाट को लेकर लोगों में काफी आस्था है.