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महिलाओं के लिए तपस्या से कम नहीं है तीज का व्रत, जानें विधि-मुहूर्त - जानिए क्या है हरतालिका तीज व्रत

हरितालिका तीज शहडोल जिले में भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, इस त्योहार पर भी कोरोना महामारी का असर देखने को मिल रहा है.

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हरतालिका तीज
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Published : Aug 20, 2020, 8:21 PM IST

Updated : Aug 20, 2020, 10:19 PM IST

शहडोल। हरितालिका तीज शहडोल जिले में भी बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. हालांकि इस त्योहार पर भी कोरोना महामारी का असर देखने को मिल रहा है, लेकिन बाजार में आज भी चहल-पहल देखने को मिली, लोग तीज की तैयारियों में जुटे रहे, तीज के दिन महिलाएं विशेष व्रत करती हैं. इसे व्रत नहीं एक तरह से तपस्या कहा जाए तो वो ज्यादा मुनासिब रहेगा क्योंकि इस दिन महिलाएं न केवल व्रत करती हैं, बल्कि पूरे दिन बिना कुछ खाए पीये निर्जला व्रत रखती हैं.

तपस्या से कम नहीं है तीज का व्रत

कहते हैं आज के समय में तपस्या कौन करता है, लेकिन हरितालिका तीज के दिन सौभाग्यवती महिलाएं सौभाग्य पाने के लिए कठोर व्रत करती हैं. शुक्रवार को हरितालिका तीज है, इस दिन सभी महिलाएं तीज का कठोर व्रत करेंगी, जिसकी शुरुआत आज रात से ही हो जाएगी, आज रात महिलाएं इस व्रत की शुरुआत खीरा और मक्का खाकर करेंगी, फिर उसके बाद महिलाएं कुछ भी नहीं खाएंगी और न ही पानी पीती हैं.

ये एक कठोर व्रत है और महिलाओं को यह व्रत करने से सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. महिलाओं के लिए ये व्रत इसलिए महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इस व्रत को कर मां पार्वती ने सौभाग्य की प्राप्ति की थी, माना जाता है कि इस विशेष व्रत को करने से उत्तम सौभाग्य की प्राप्ति पार्वती को हुई थी तो उनका ये वचन था कि जो महिलाएं तीज के दिन इस कठोर व्रत को करेंगी, उनको उत्तम पति और सुख सौभाग्य की प्राप्ति होगी.

पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि तीज का व्रत करने के बाद उसकी पूजा के लिए पहले फूल का एक चंगोरा बना ले, कहीं-कहीं उसे फुलहरा भी कहते हैं, उसके बाद सहेलियों के साथ बैठकर आसपास की महिलाओं के साथ बैठकर उस पूजा को संपन्न करें क्योंकि इस पूजा को अकेले नहीं किया जाता है, बल्कि कई महिलाएं एक साथ मिलकर करती हैं, शिव और पार्वती की मूर्ति बनाकर वहां पर फूल, बेल पत्ती, बंदन, मिष्ठान पकवान सब चढ़ाकर वहां पर पूजन करें, 6 प्रहर परिक्रमा करें और वहां पर हवन करें, रात्रि में भक्ति के रंग में गाना बजाना करें, वहां पूरी रात जागरण करें, इस तरह से करेंगे तो पूर्ण पूजा मना जाता है और ऐसा करने से कहा जाता है कि विशेष फल की प्राप्ति होती है.

तीज के इस विशेष दिन के लिए पूरे दिन बाजार में चहल-पहल बनी रही. सुबह से ही बाजार में लोग खरीददारी के लिए निकलते रहे, सड़क किनारे तीज से संबंधित सामग्रियों की बिक्री के लिए अलग-अलग दुकानें लगी रही, उससे जुड़ी हर वस्तु को लोग बेचने के लिए लोग बैठे हुए मिले, जिसके चलते कई महीनों बाद शहर में त्योहार के चलते रौनक देखने को मिली है.

शहडोल। हरितालिका तीज शहडोल जिले में भी बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. हालांकि इस त्योहार पर भी कोरोना महामारी का असर देखने को मिल रहा है, लेकिन बाजार में आज भी चहल-पहल देखने को मिली, लोग तीज की तैयारियों में जुटे रहे, तीज के दिन महिलाएं विशेष व्रत करती हैं. इसे व्रत नहीं एक तरह से तपस्या कहा जाए तो वो ज्यादा मुनासिब रहेगा क्योंकि इस दिन महिलाएं न केवल व्रत करती हैं, बल्कि पूरे दिन बिना कुछ खाए पीये निर्जला व्रत रखती हैं.

तपस्या से कम नहीं है तीज का व्रत

कहते हैं आज के समय में तपस्या कौन करता है, लेकिन हरितालिका तीज के दिन सौभाग्यवती महिलाएं सौभाग्य पाने के लिए कठोर व्रत करती हैं. शुक्रवार को हरितालिका तीज है, इस दिन सभी महिलाएं तीज का कठोर व्रत करेंगी, जिसकी शुरुआत आज रात से ही हो जाएगी, आज रात महिलाएं इस व्रत की शुरुआत खीरा और मक्का खाकर करेंगी, फिर उसके बाद महिलाएं कुछ भी नहीं खाएंगी और न ही पानी पीती हैं.

ये एक कठोर व्रत है और महिलाओं को यह व्रत करने से सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. महिलाओं के लिए ये व्रत इसलिए महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इस व्रत को कर मां पार्वती ने सौभाग्य की प्राप्ति की थी, माना जाता है कि इस विशेष व्रत को करने से उत्तम सौभाग्य की प्राप्ति पार्वती को हुई थी तो उनका ये वचन था कि जो महिलाएं तीज के दिन इस कठोर व्रत को करेंगी, उनको उत्तम पति और सुख सौभाग्य की प्राप्ति होगी.

पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि तीज का व्रत करने के बाद उसकी पूजा के लिए पहले फूल का एक चंगोरा बना ले, कहीं-कहीं उसे फुलहरा भी कहते हैं, उसके बाद सहेलियों के साथ बैठकर आसपास की महिलाओं के साथ बैठकर उस पूजा को संपन्न करें क्योंकि इस पूजा को अकेले नहीं किया जाता है, बल्कि कई महिलाएं एक साथ मिलकर करती हैं, शिव और पार्वती की मूर्ति बनाकर वहां पर फूल, बेल पत्ती, बंदन, मिष्ठान पकवान सब चढ़ाकर वहां पर पूजन करें, 6 प्रहर परिक्रमा करें और वहां पर हवन करें, रात्रि में भक्ति के रंग में गाना बजाना करें, वहां पूरी रात जागरण करें, इस तरह से करेंगे तो पूर्ण पूजा मना जाता है और ऐसा करने से कहा जाता है कि विशेष फल की प्राप्ति होती है.

तीज के इस विशेष दिन के लिए पूरे दिन बाजार में चहल-पहल बनी रही. सुबह से ही बाजार में लोग खरीददारी के लिए निकलते रहे, सड़क किनारे तीज से संबंधित सामग्रियों की बिक्री के लिए अलग-अलग दुकानें लगी रही, उससे जुड़ी हर वस्तु को लोग बेचने के लिए लोग बैठे हुए मिले, जिसके चलते कई महीनों बाद शहर में त्योहार के चलते रौनक देखने को मिली है.

Last Updated : Aug 20, 2020, 10:19 PM IST
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