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एक बार हरी खाद बनाओ, तीन साल तक खेतों से बम्पर फसल उगाओ

शहडोल जिले में ज्यादातर खेतों में बलुई दोमट मिट्टी है, मतलब मिट्टी की क्वालिटी हल्की है. ऐसे में ये हरी खाद मृदा संरचना को भी सुधारने में मदद करती है.

एक बार हरी खाद बनाओ, तीन साल तक खेतों से बम्पर फसल उगाओ
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Published : Aug 17, 2019, 11:54 PM IST

शहडोल| बदलते जमाने में किसान भी खेती के तरीकों में नवाचार कर रहे हैं. खेतों से ज्यादा फसल पैदा करने के लिए किसान भी फसलों में जमकर रासायनिक उर्वरक का इस्तेमाल करते हैं, जिससे खेतों की उर्वरा शक्ति भी घटने लगी है. शहडोल जिले में ज्यादातर खेतों में बलुई दोमट मिट्टी है, मतलब मिट्टी की क्वालिटी हल्की है. ऐसे में ये हरी खाद मृदा संरचना को भी सुधारने में मदद करती है और इसके साथ सबसे अच्छी बात ये है कि हर तीन साल में इसे लगाना पड़ता है. इस खाद के इस्तेमाल से आपको खेती में भी कम लागत पड़ती है क्योंकि फसल के लिए कई तरह के पोषक तत्वों के लिए आपको मार्केट पर डिपेंड नहीं रहना होगा.

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि हरी खाद क्षेत्र की बहुत पुरानी पद्धति है, लेकिन आज के बदलते समय में किसानों ने इसका इस्तेमाल करना छोड़ दिया है. असल में देखा जाए तो इस हरी खाद के बहुत फायदे हैं. हरी खाद मतलब सनई या ढेंचा जो भी फाइबर वाली फसल है, रेशेदार फसलें हैं जो पूरे खेत को कवर भी कर लेती हैं. उन्हीं को खेत में उगाकर फिर से उन्हें खेत में मिला देना. इससे खेत की मिट्टी उपजाऊ हो जाती है.

एक बार हरी खाद बनाओ, तीन साल तक खेतों से बम्पर फसल उगाओ

हरी खाद किसानों के खेतों की मिट्टी के लिए बहुत फायदेमंद है. इसे एक बार खेत में लगाने से जीवाश्म, कार्बनिक पदार्थ की मात्रा और माइक्रो एलिमेंट्स, मैक्रोएलिमेंट्स, हर तरह के पोषक तत्व मिट्टी में आ जाते हैं. एक तरह से कहा जाये तो मृदा संरचना सुधर जाती है. इस हरी खाद के इस्तेमाल से मिट्टी बहुत मुलायम हो जाती है और इस खाद में खेत में पानी रोकने की भी बहुत क्षमता होती है.

कृषि विज्ञान केंद्र अपने फॉर्म में इसके बीज तैयार करता है और इस पुरातन खाद को एक बार फिर से किसान इस्तेमाल करना शुरू कर रहे हैं. कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि इस हरी खाद के बीज शहडोल कृषि विज्ञान केंद्र से दूसरे जिले के लोग भी ले जाते हैं और इसका प्रचार प्रसार कर रहे हैं.

शहडोल| बदलते जमाने में किसान भी खेती के तरीकों में नवाचार कर रहे हैं. खेतों से ज्यादा फसल पैदा करने के लिए किसान भी फसलों में जमकर रासायनिक उर्वरक का इस्तेमाल करते हैं, जिससे खेतों की उर्वरा शक्ति भी घटने लगी है. शहडोल जिले में ज्यादातर खेतों में बलुई दोमट मिट्टी है, मतलब मिट्टी की क्वालिटी हल्की है. ऐसे में ये हरी खाद मृदा संरचना को भी सुधारने में मदद करती है और इसके साथ सबसे अच्छी बात ये है कि हर तीन साल में इसे लगाना पड़ता है. इस खाद के इस्तेमाल से आपको खेती में भी कम लागत पड़ती है क्योंकि फसल के लिए कई तरह के पोषक तत्वों के लिए आपको मार्केट पर डिपेंड नहीं रहना होगा.

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि हरी खाद क्षेत्र की बहुत पुरानी पद्धति है, लेकिन आज के बदलते समय में किसानों ने इसका इस्तेमाल करना छोड़ दिया है. असल में देखा जाए तो इस हरी खाद के बहुत फायदे हैं. हरी खाद मतलब सनई या ढेंचा जो भी फाइबर वाली फसल है, रेशेदार फसलें हैं जो पूरे खेत को कवर भी कर लेती हैं. उन्हीं को खेत में उगाकर फिर से उन्हें खेत में मिला देना. इससे खेत की मिट्टी उपजाऊ हो जाती है.

एक बार हरी खाद बनाओ, तीन साल तक खेतों से बम्पर फसल उगाओ

हरी खाद किसानों के खेतों की मिट्टी के लिए बहुत फायदेमंद है. इसे एक बार खेत में लगाने से जीवाश्म, कार्बनिक पदार्थ की मात्रा और माइक्रो एलिमेंट्स, मैक्रोएलिमेंट्स, हर तरह के पोषक तत्व मिट्टी में आ जाते हैं. एक तरह से कहा जाये तो मृदा संरचना सुधर जाती है. इस हरी खाद के इस्तेमाल से मिट्टी बहुत मुलायम हो जाती है और इस खाद में खेत में पानी रोकने की भी बहुत क्षमता होती है.

कृषि विज्ञान केंद्र अपने फॉर्म में इसके बीज तैयार करता है और इस पुरातन खाद को एक बार फिर से किसान इस्तेमाल करना शुरू कर रहे हैं. कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि इस हरी खाद के बीज शहडोल कृषि विज्ञान केंद्र से दूसरे जिले के लोग भी ले जाते हैं और इसका प्रचार प्रसार कर रहे हैं.

Intro:वर्जन- कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह की है।

खेतों की मिट्टी को उपजाऊ बनाने में रामबाण है ये हरी खाद, 3 साल में एक बार लगाओ, खेतों से बम्पर फसल पाओ

शहडोल- आज के बदलते जमाने में किसान भी खेती में आधुनिकता ला रहे हैं, खेतों से ज्यादा फसल हासिल करने के लिए किसान भी फसलों में जमकर रासायनिक खादों का इस्तेमाल करते हैं, लंबे समय से इस तरह के रासायनिक खादों के इस्तेमाल से खेतों की उर्वरा शक्ति भी घटने लगती है वैसे भी शहडोल जिले में ज्यादातर खेतों में बलुई दोमट मिट्टी है मतलब मिट्टी की क्वालिटी हल्की है ऐसे में ये हरी खाद मृदा सरंचना को भी सुधारने में मदद करता है और इसके साथ सबसे अच्छी बात ये है कि हर 3 साल में इसे लगाना पड़ता है। इस खाद के इस्तेमाल से आपको खेती में भी कम लागत लगेगी। क्योंकि फसल के लिए कई तरह के पोषक तत्वों के लिए आपको मार्केट पर डिपेंड नहीं रहना होगा।


Body:जानिए क्या है हरी खाद

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि हरी खाद हमारे क्षेत्र की बहुत पुरानी पद्धति है, लेकिन आज के बदलते समय में किसानों ने इसका इस्तेमाल करना छोड़ दिया है लेकिन असल में देखा जाए तो इस हरी खाद के बहुत फायदे हैं। हरी खाद मतलब सनई या ढेंचा जो भी फाइबर वाली फसल हैं रेशेदार फसलें हैं जो पूरे खेत को कवर भी कर लेती हैं उन्हीं को खेत में उगाकर फिर से उन्हें खेत में मिला देना, इससे खेत की मिट्टी उपजाऊ हो जाती है लगभग 3 साल के लिए खेत की मृदा सरंचना सुधर जाती है।

इस समय लगाना ज्यादा सही

अगर आप हरी खाद अपने खेत में लगाना चाहते हैं तो फसल के रोपण से करीब एक महीने पहले, मतलब उस हरी खाद को सनई या ढेंचा अपने खेत में एक महीने पहले लगा दें, जिससे खेत में लगाने के बाद कम से कम 25 से 30 दिन उसे मिल जाएं, और फिर उसके बाद सनई या ढेंचा जो भी लगाए हैं उसे उसी खेत में हल के जरिये, या ट्रेक्टर से रोटावेटर के जरिये खेत में अच्छी तरह से मिला दें। या फिर उसमें 240 डालकर इसे खेत में ही सूखा दिया जाता है।

बहुत फायदेमंद है हरी खाद

हरी खाद किसानों के खेतों की मिट्टी के लिए बहुत फायदेमंद है, इसे एक बार खेत में लगाने से जीवाश्म, कार्बनिक पदार्थ, की मात्रा और दूसरे अन्य पोषक तत्व, माइक्रो एलिमेंट्स, मैक्रोएलिमेंट्स, हर तरह के पोषक तत्व मिट्टी में आ जाते हैं एक तरह से कहा जाये तो मृदा सरंचना सुधर जाती है।

देखा जाए तो हमारे क्षेत्र की मिट्टी में नाइट्रोजन की कमी है और हरी खाद की जड़ों में एक ऐसी चीज पाई जाती है जो इसकी कमी को पूरा कर देता है।

मिट्टी पुनर्जीवित हो जाती है, खेत में कई पोषक तत्व आ जाते हैं और इस खाद के एक बार इस्तेमाल से खेत के सारे खरपतवार नष्ट हो जाते हैं, फिर चाहे वो कांस जैसा खरपतवार ही क्यों न हो।

इसके अलावा इस हरी खाद के इस्तेमाल से मिट्टी बहुत मुलायम हो जाती है, और इस खाद में खेत में पानी रोकने की भी बहुत क्षमता होती है।

अगर आपके खेत में किसी फसल में महीने में 3 पानी की जरूरत होती है तो इसके इस्तेमाल से एक पानी में ही हो जाता है मतलब पानी रोकने की इतनी क्षमता इसमें होती है।

3 साल में एक बार

हरी खाद को तीन साल में बस एक बार ही लगाना होता है। फिर 3 साल के लिए खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है।



Conclusion:कृषि विज्ञान केंद्र में बनाया जाता है बीज

कृषि विज्ञान केंद्र अपने फॉर्म में इसके बीज तैयार करता है और इस पुरातन खाद को एक बार फिर से किसान इस्तेमाल करना शुरू कर रहे हैं। कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद्र सिंह बताते हैं कि इस हरी खाद की बीज शहडोल कृषि विज्ञान केंद्र से दूसरे जिले के लोग भी ले जाते हैं और इसका प्रचार प्रसार कर रहे हैं।
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