शहडोल। एक दौर था जब शहडोल के सोहागपुर में करीब 25 से 30 गांव में सोयाबीन की बंपर खेती की जाती थी, जिससे पिछले एक दशक में कई किसान मालामाल भी हुए, लेकिन पिछले चार-पांच साल से सोयाबीन से हो रहे नुकसान के कारण किसानों ने मक्के का रुख करना शुरू कर दिया. इस बार भी जिले में मक्के का रकबा बढ़ा लेकिन सरकार की ओर से अभी तक मक्का खरीदने की कोई भी व्यवस्था नहीं की गई. ऐसे में सोयाबीन से रुकसती कर मक्का का रुख किए किसानों को फसल बेचने की चिंता सता रही है.
चिंतित हैं किसान
किसान उत्तम सिंह बताते हैं कि 20 से 25 एकड़ खेत में मक्के की फसल लगाई है, जो कुछ दिन में तैयार होने वाली है. लेकिन उत्तम सिंह की परेशानी ये है कि वे इस फसल को बेचेंगे कहां. उत्तम सिंह बताते हैं कि इस क्षेत्र के 25 से 30 गांव में करीब 15000 हेक्टेयर जमीन पर मक्के की खेती की गई है. ऐसे में अगर शासन जिले में मक्के की खरीदी केंद्र नहीं बनाती है तो फिर इसका फायदा व्यापारी उठाएंगे और उनकी फसलों को औने-पौने दामों में खरीदेंगे.
प्रशासन का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास
भारतीय किसान संघ के जिला अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह भी चिंतित हैं, भानु प्रताप सिंह कहते हैं कि मक्के का रकबा तो किसानों ने बढ़ा लिया है. लेकिन अब तक खरीदी केंद्र नहीं है, जिस कारण परेशानी बढ़ गई है. भानुप्रताप सिंह ने बताया कि 15 दिन पहले भी प्रशासन का ध्यान आकर्षित करने के लिए वे किसानों के साथ प्रशासन को ज्ञापन सौंप चुके हैं, लेकिन अभी तक उसका कोई भी परिणाम नहीं दिखा. भानु प्रताप को उम्मीद है कि सरकार शहडोल में भी मक्का खरीदी की व्यवस्था करेंगी.
प्रशासन ने भेजा है प्रस्ताव
कृषि वैज्ञानिक डॉ मृगेंद्र सिंह ने बताया कि पिछले साल बढ़े मक्के के उत्पादन के बाद किसानों ने इस साल बंपर मक्का लगाया है. डॉ मृगेंद्र सिंह ने बताया कि उन्हें मिली जानकारी के अनुसार जिला प्रशासन ने दो खरीदी केंद्रों के लिए प्रस्ताव शासन के पास भेजा. उन्हें उम्मीद है कि किसानों की फसल तैयार होने तक जिले में खरीदी केंद्र स्थापित हो जाएगा.
एक दौर था जब सोयाबीन की फसल के दम पर क्षेत्र के करीब 25 से 30 गांव संपन्न हुए और उनकी पहचान भी उस सोयाबीन की फसल की वजह से बनी. लेकिन कुछ सालों से हो रहे नुकसान के कारण कृषि वैज्ञानिकों और एक्सपर्ट की सलाह पर मक्के की फसल लगाना शुरू किया, जिस कारण मौजूदा साल जिले में मक्के का रकबा बढ़ा है.
लेकिन क्रॉप कल्टीवेशन के बाद अब किसान यह सोच रहा है कि वह फसल बेचने कहां जाएगा. ऐसे में किसान को पैदावार न बिकने की वजह से नुकसान की आशंका है. ऐसे में उम्मीद करते हैं कि सरकार जल्द ही किसानों की समस्या का हल निकालेगी और जिले में जल्द मक्का खरीदने की व्यवस्था की जाएगी.