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ये आदिवासी अंचल है बीजेपी का गढ़, क्या कांग्रेस लगा पाएगी सेंध, इस बार क्या खोल पाएगी जीत का खाता, दिलचस्प है मुकाबला

एमपी में 17 नवंबर को मतदान संपन्न हो गया है. अब बस 3 दिसंबर को परिणाम का इंतजार है. ऐसे में हम आपको आदिवासी अंचल से जुड़ी जानकारी दे रहे हैं. ऐसे में शहडोल के आदिवासी अंचल पर सभी की नजर है. आइए जानते हैं, यहां बनते-बिगड़ते चुनावी समीकरण...

MP Election 2023
आदिवासी सीट पर नजर
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Nov 18, 2023, 8:53 PM IST

Updated : Nov 18, 2023, 10:59 PM IST

शहडोल- 3 दिसंबर को प्रत्याशियों के किस्मत का फैसला होना भी शुरू हो जाएगा. इस बार विधानसभा के चुनाव काफी दिलचस्प हैं. शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है और यहां पर भी दिलचस्प मुकाबले देखे जा रहे हैं. शहडोल जिले में पिछले चुनाव में तीनों सीटों पर भाजपा ने बाजी मारी थी. क्या इस बार कांग्रेस यहां अपना खाता खोल पाएगी? इस पर सबकी नजर रहेगी, फिलहाल इस बार बीजेपी कांग्रेस दोनों के बीच इन सीटों पर कांटे की टक्कर है.

बीजेपी-कांग्रेस के बीच है मुकाबला: शहडोल जिले में तीन विधानसभा सीट आती हैं. तीनों ही विधानसभा सीट आदिवासी आरक्षित सीट हैं. शहडोल जिले में जयसिंहनगर विधानसभा सीट जैतपुर विधानसभा सीट और ब्यौहारी विधानसभा सीट हैं. तीनों सीटों पर इस बार दिलचस्प मुकाबला है. वैसे शहडोल जिले में बीजेपी कांग्रेस के बीच ही सीधी टक्कर देखने को मिलती है. हर बार की तरह इस बार भी बीजेपी कांग्रेस के बीच ही घमासान है.

2018 में कांग्रेस का नहीं खुला था खाता: 2018 के चुनाव की बात करें तो शहडोल जिले की तीन विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने ने जहां तीनों विधानसभा सीटों में जीत हासिल की थी. तो वहीं कांग्रेस का खाता भी नहीं खुल सका था. ऐसे में इस बार सबकी नजर इस बात पर टिकी है कि क्या शहडोल जिले में जो कि तीनों ही आदिवासी आरक्षित सीट हैं. यहां पर कांग्रेस अपना खाता खोल पाएगी.

2018 के चुनाव में शहडोल जिले से जयसिंहनगर विधानसभा सीट से जय सिंह मरावी ने जीत हासिल की थी. जैतपुर विधानसभा सीट से मनीषा सिंह पहली बार विधायक चुनकर आई थीं. ब्यौहारी विधानसभा सीट से शरद कोल पहली बार विधायक चुनकर आए थे.

जयसिंहनगर विधानसभा सीट: जयसिंहनगर विधानसभा सीट की बात करें तो इस बार जयसिंहनगर विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी ने जैतपुर विधानसभा सीट की विधायक मनीषा सिंह को प्रत्याशी बनाया है, तो वहीं कांग्रेस की ओर से नरेंद्र मरावी को प्रत्याशी बनाया गया. हालांकि, जयसिंहनगर विधानसभा सीट पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला देखा जा रहा है. बीजेपी की महिला आदिवासी नेता फूलवती सिंह नाराज होकर विन्ध्य जनता पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं, तो वहीं भाजपा के ही बागी प्रत्याशी ललन सिंह भी निर्दलीय ही चुनावी मैदान पर हैं.

कुल मिलाकर यहां रोचक मुकाबला है, हालांकि मनीषा सिंह को जय सिंह नगर से टिकट देने पर बाहरी प्रत्याशी के तौर पर कुछ लोगों ने विरोध भी जताया है. साथ ही भाजपा खेमे में ही असंतोष भी नजर आया है. ऐसे में इस बार जयसिंहनगर विधानसभा सीट पर कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है.

जैतपुर विधानसभा सीट: जैतपुर विधानसभा सीट की बात करें तो जैतपुर विधानसभा सीट पर इस बार भारतीय जनता पार्टी ने अपने सबसे मजबूत जिताऊ उम्मीदवार जय सिंह मरावी को जैतपुर विधानसभा से प्रत्याशी बनाया है. तो वहीं कांग्रेस ने उमा धुर्वे को टिकट दिया है. उमा धुर्वे 2018 के चुनाव में भी जैतपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस की ओर से प्रत्याशी थी. जहां उन्हें मनीषा सिंह ने हराया था, और इस बार भी उमा धुर्वे को कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया है. इस बार उमा धुर्वे के सामने बीजेपी के जय सिंह मरावी जैसे धाकड़ आदिवासी नेता की चुनौती है.

जय सिंह मरावी पिछले पांच बार से अलग-अलग जगहों से लगातार चुनकर आ रहे हैं. हालांकि, जैतपुर विधानसभा क्षेत्र में ग्रामीण अंचलों में काम न होने की वजह से भाजपा विधायक मनीषा सिंह का इस क्षेत्र में काफी विरोध भी था. जिसकी वजह से भाजपा ने टिकट वितरण में इस बार जयसिंहनगर और जैतपुर विधानसभा क्षेत्र के सीटों की अदला बदली की है. बीजेपी ने जय सिंह मरावी जो उनके सबसे भरोसेमंद और अजेय विधायक हैं.

उन्हें जैतपुर से मैदान पर उतारा है लेकिन इस बार यहां भी एक तरफा मुकाबला नहीं है. बीजेपी कांग्रेस की के बीच पिछली बार की तरह ही इस बार भी कांटे की टक्कर है. इस बार जय सिंह मरावी के लिए भी मुकाबला जीतना इतना आसान नहीं होगा.

ब्यौहारी विधानसभा सीट: ब्यौहारी विधानसभा सीट की बात करें तो ब्यौहारी विधानसभा सीट पर भी कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है. मुकाबला भी दिलचस्प है, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी ने यहां से 2018 के ही विजेता विधायक शरद कोल को ही चुनावी मैदान पर एक बार फिर से उतारा है और टिकट दिया है तो वहीं कांग्रेस ने ब्यौहारी विधानसभा सीट से युवा प्रत्याशी राम लखन सिंह को मैदान पर उतारा है. ऐसे में दोनों ही युवा चेहरे हैं और दोनों युवा चेहरों के बीच कांटे की टक्कर की उम्मीद की जा रही है.

शहडोल में मतदाता: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों ने अपना प्रचार प्रसार कर लिया है. सभी पार्टियों ने पूरी ताकत लगा दी और अब 17 नवंबर के दिन मतदाताओं की बारी है, कि वो अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. शहडोल जिले में टोटल 7,81,004 मतदाता है. जिसमें 3,97,908 पुरुष मतदाता हैं, तो वहीं 3 लाख 83 हजार 87 महिला मतदाता है और 9 अन्य मतदाता शामिल हैं. जिले में टोटल 966 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. इनमें 559 मतदान केंद्रों में कास्टिंग की सुविधा होगी.

जिले में 218 क्रिटिकल मतदान केंद्र हैं, आठ वल्नरेबल मतदान केंद्र हैं. 32 आदर्श मतदान केंद्र, महिला पोलिंग स्टेशन 58 हैं. युवा मतदान केंद्र और पीडब्लूडी वोटर के लिए तीन-तीन मतदान केंद्र बनाए गए हैं.

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शहडोल- 3 दिसंबर को प्रत्याशियों के किस्मत का फैसला होना भी शुरू हो जाएगा. इस बार विधानसभा के चुनाव काफी दिलचस्प हैं. शहडोल जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है और यहां पर भी दिलचस्प मुकाबले देखे जा रहे हैं. शहडोल जिले में पिछले चुनाव में तीनों सीटों पर भाजपा ने बाजी मारी थी. क्या इस बार कांग्रेस यहां अपना खाता खोल पाएगी? इस पर सबकी नजर रहेगी, फिलहाल इस बार बीजेपी कांग्रेस दोनों के बीच इन सीटों पर कांटे की टक्कर है.

बीजेपी-कांग्रेस के बीच है मुकाबला: शहडोल जिले में तीन विधानसभा सीट आती हैं. तीनों ही विधानसभा सीट आदिवासी आरक्षित सीट हैं. शहडोल जिले में जयसिंहनगर विधानसभा सीट जैतपुर विधानसभा सीट और ब्यौहारी विधानसभा सीट हैं. तीनों सीटों पर इस बार दिलचस्प मुकाबला है. वैसे शहडोल जिले में बीजेपी कांग्रेस के बीच ही सीधी टक्कर देखने को मिलती है. हर बार की तरह इस बार भी बीजेपी कांग्रेस के बीच ही घमासान है.

2018 में कांग्रेस का नहीं खुला था खाता: 2018 के चुनाव की बात करें तो शहडोल जिले की तीन विधानसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने ने जहां तीनों विधानसभा सीटों में जीत हासिल की थी. तो वहीं कांग्रेस का खाता भी नहीं खुल सका था. ऐसे में इस बार सबकी नजर इस बात पर टिकी है कि क्या शहडोल जिले में जो कि तीनों ही आदिवासी आरक्षित सीट हैं. यहां पर कांग्रेस अपना खाता खोल पाएगी.

2018 के चुनाव में शहडोल जिले से जयसिंहनगर विधानसभा सीट से जय सिंह मरावी ने जीत हासिल की थी. जैतपुर विधानसभा सीट से मनीषा सिंह पहली बार विधायक चुनकर आई थीं. ब्यौहारी विधानसभा सीट से शरद कोल पहली बार विधायक चुनकर आए थे.

जयसिंहनगर विधानसभा सीट: जयसिंहनगर विधानसभा सीट की बात करें तो इस बार जयसिंहनगर विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी ने जैतपुर विधानसभा सीट की विधायक मनीषा सिंह को प्रत्याशी बनाया है, तो वहीं कांग्रेस की ओर से नरेंद्र मरावी को प्रत्याशी बनाया गया. हालांकि, जयसिंहनगर विधानसभा सीट पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला देखा जा रहा है. बीजेपी की महिला आदिवासी नेता फूलवती सिंह नाराज होकर विन्ध्य जनता पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं, तो वहीं भाजपा के ही बागी प्रत्याशी ललन सिंह भी निर्दलीय ही चुनावी मैदान पर हैं.

कुल मिलाकर यहां रोचक मुकाबला है, हालांकि मनीषा सिंह को जय सिंह नगर से टिकट देने पर बाहरी प्रत्याशी के तौर पर कुछ लोगों ने विरोध भी जताया है. साथ ही भाजपा खेमे में ही असंतोष भी नजर आया है. ऐसे में इस बार जयसिंहनगर विधानसभा सीट पर कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है.

जैतपुर विधानसभा सीट: जैतपुर विधानसभा सीट की बात करें तो जैतपुर विधानसभा सीट पर इस बार भारतीय जनता पार्टी ने अपने सबसे मजबूत जिताऊ उम्मीदवार जय सिंह मरावी को जैतपुर विधानसभा से प्रत्याशी बनाया है. तो वहीं कांग्रेस ने उमा धुर्वे को टिकट दिया है. उमा धुर्वे 2018 के चुनाव में भी जैतपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस की ओर से प्रत्याशी थी. जहां उन्हें मनीषा सिंह ने हराया था, और इस बार भी उमा धुर्वे को कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया है. इस बार उमा धुर्वे के सामने बीजेपी के जय सिंह मरावी जैसे धाकड़ आदिवासी नेता की चुनौती है.

जय सिंह मरावी पिछले पांच बार से अलग-अलग जगहों से लगातार चुनकर आ रहे हैं. हालांकि, जैतपुर विधानसभा क्षेत्र में ग्रामीण अंचलों में काम न होने की वजह से भाजपा विधायक मनीषा सिंह का इस क्षेत्र में काफी विरोध भी था. जिसकी वजह से भाजपा ने टिकट वितरण में इस बार जयसिंहनगर और जैतपुर विधानसभा क्षेत्र के सीटों की अदला बदली की है. बीजेपी ने जय सिंह मरावी जो उनके सबसे भरोसेमंद और अजेय विधायक हैं.

उन्हें जैतपुर से मैदान पर उतारा है लेकिन इस बार यहां भी एक तरफा मुकाबला नहीं है. बीजेपी कांग्रेस की के बीच पिछली बार की तरह ही इस बार भी कांटे की टक्कर है. इस बार जय सिंह मरावी के लिए भी मुकाबला जीतना इतना आसान नहीं होगा.

ब्यौहारी विधानसभा सीट: ब्यौहारी विधानसभा सीट की बात करें तो ब्यौहारी विधानसभा सीट पर भी कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है. मुकाबला भी दिलचस्प है, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी ने यहां से 2018 के ही विजेता विधायक शरद कोल को ही चुनावी मैदान पर एक बार फिर से उतारा है और टिकट दिया है तो वहीं कांग्रेस ने ब्यौहारी विधानसभा सीट से युवा प्रत्याशी राम लखन सिंह को मैदान पर उतारा है. ऐसे में दोनों ही युवा चेहरे हैं और दोनों युवा चेहरों के बीच कांटे की टक्कर की उम्मीद की जा रही है.

शहडोल में मतदाता: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों ने अपना प्रचार प्रसार कर लिया है. सभी पार्टियों ने पूरी ताकत लगा दी और अब 17 नवंबर के दिन मतदाताओं की बारी है, कि वो अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. शहडोल जिले में टोटल 7,81,004 मतदाता है. जिसमें 3,97,908 पुरुष मतदाता हैं, तो वहीं 3 लाख 83 हजार 87 महिला मतदाता है और 9 अन्य मतदाता शामिल हैं. जिले में टोटल 966 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. इनमें 559 मतदान केंद्रों में कास्टिंग की सुविधा होगी.

जिले में 218 क्रिटिकल मतदान केंद्र हैं, आठ वल्नरेबल मतदान केंद्र हैं. 32 आदर्श मतदान केंद्र, महिला पोलिंग स्टेशन 58 हैं. युवा मतदान केंद्र और पीडब्लूडी वोटर के लिए तीन-तीन मतदान केंद्र बनाए गए हैं.

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Last Updated : Nov 18, 2023, 10:59 PM IST
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