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खाने की नली में फंसा नकली दांत, हार्ट में पेसमेकर, भगवान बन AIIMS डॉक्टरों ने बचाई जान - BHOPAL AIIMS SUCCESSFUL OPERATION

एम्स भोपाल के डॉक्टरों ने एक जटिल सर्जरी का सफलतापूर्वक किया. बता दें शख्स के खाने की नली में नकली दांत फंस गया था.

BHOPAL AIIMS SUCCESSFUL OPERATION
एम्स भोपाल के डाक्टरों ने की जटिल सर्जरी (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 3, 2025, 9:32 PM IST

Updated : Feb 3, 2025, 9:38 PM IST

भोपाल: एक बुजुर्ग की खाद्य नली में नकली दांत फंस गया था, जिसकी मरीज को भी जानकारी नहीं थी. हालांकि खाने या कोई चीज निगलने के दौरान जब मरीज को कठिनाई हुई, तो वो डाक्टरों के पास पहुंचा. जहां डाक्टरों ने उसकी विस्तारपूर्वक जांच की, जिसमें सामने आया कि मरीज के खाद्य नली में नकली दांत फंसा हुआ है. जिसके बाद डाक्टरों ने मरीज की सर्जरी करने की योजना बनाई, लेकिन उसके हार्ट में पेसमेकर लगा होने के कारण ऑपरेशन करना कठिन था.

बेहोश होने पर खाद्य नली में फंसा नकली दांत

एम्स भोपाल के डायरेक्टर प्रो. अजय सिंह ने बताया कि "इस रोगी को बेहोशी के कुछ दौरे पड़े थे. शुरू में इसे मिर्गी का कारण माना गया था, लेकिन बाद में पता चला कि यह हृदय की समस्या के कारण था, जिसके लिए हाल ही में पेसमेकर लगाया गया था. डॉ. सिंह ने बताया कि बेहोशी के एक दौरे के दौरान, रोगी के नकली दांत अनजाने में गिर गए. इसके कुछ समय बाद, उन्हें निगलने में कठिनाई होने लगी.

Duplicate tooth stuck in food pipe
पेसमेकर के चलते ऑपरेशन में समस्या (ETV Bharat)

चिकित्सा मूल्यांकन के बाद पता चला कि नकली दांत उनकी खाद्य नली में फिसल कर वहीं फंस गया है. जिससे कारण खाने में कठिनाई हो रही थी. विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों में कई एंडोस्कोपिक प्रयासों के बावजूद, डेन्चर को नहीं निकाला जा सका. फिर रोगी को सर्जिकल हस्तक्षेप के लिए एम्स भोपाल रेफर किया गया."

वीएटीएस तकनीकी से निकाला दांत

डॉ. सिंह ने बताया कि सर्जरी के दौरान डेंचर की स्थिति का सटीक निर्धारण और निगरानी करने के लिए गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. पीयूष पाठक ने एंडोस्कोपी द्वारा मार्गदर्शन दिया. प्रोफेसर सिंह ने इस उपलब्धि के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, यह मामला एम्स भोपाल में उन्नत क्षमताओं और टीमवर्क का एक उदाहरण है. इस तरह की चुनौतीपूर्ण और जीवन रक्षक स्थिति को हल करने के लिए न्यूनतम इनवेसिव तकनीकों का उपयोग विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने की हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है. यह जटिल और नाजुक प्रक्रिया उन्नत थोरैकोस्कोपिक (वीएटीएस) तकनीक का उपयोग करके की गई, जिससे पारंपरिक ओपन-चेस्ट सर्जरी से बचा जा सका."

डेंचर को इस तरह सुरक्षित निकाला

सर्जिकल टीम का नेतृत्व करने वाले सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. विशाल गुप्ता ने बताया कि नकली दांत एसोफैगल दीवार में गहराई तक घुस गयी थी. उसे छाती के रास्ते सावधानीपूर्वक निकालने की आवश्यकता थी. रोगी को हाल ही में लगाए गए पेसमेकर और संबंधित सर्जिकल जोखिमों को देखते हुए यह एक चुनौतीपूर्ण मामला था.

उनके साथ डॉ. योगेश निवारिया (कार्डियोथोरैसिक सर्जरी), डॉ. जैनब (एनेस्थीसिया), और डॉ. श्रीराम और डॉ. गौरव (सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी) भी इस टीम का हिस्सा थे. टीम ने पारंपरिक ओपन चेस्ट सर्जरी के बजाय धोराकोस्कोपिक तकनीक को चुना, ताकि सर्जिकल ट्रॉमा को कम किया जा सके. इस तकनीक ने बड़े त्वचा चीरे की आवश्यकता को समाप्त कर रोगी की रिकवरी को तेज और दर्द को कम किया.

भोपाल: एक बुजुर्ग की खाद्य नली में नकली दांत फंस गया था, जिसकी मरीज को भी जानकारी नहीं थी. हालांकि खाने या कोई चीज निगलने के दौरान जब मरीज को कठिनाई हुई, तो वो डाक्टरों के पास पहुंचा. जहां डाक्टरों ने उसकी विस्तारपूर्वक जांच की, जिसमें सामने आया कि मरीज के खाद्य नली में नकली दांत फंसा हुआ है. जिसके बाद डाक्टरों ने मरीज की सर्जरी करने की योजना बनाई, लेकिन उसके हार्ट में पेसमेकर लगा होने के कारण ऑपरेशन करना कठिन था.

बेहोश होने पर खाद्य नली में फंसा नकली दांत

एम्स भोपाल के डायरेक्टर प्रो. अजय सिंह ने बताया कि "इस रोगी को बेहोशी के कुछ दौरे पड़े थे. शुरू में इसे मिर्गी का कारण माना गया था, लेकिन बाद में पता चला कि यह हृदय की समस्या के कारण था, जिसके लिए हाल ही में पेसमेकर लगाया गया था. डॉ. सिंह ने बताया कि बेहोशी के एक दौरे के दौरान, रोगी के नकली दांत अनजाने में गिर गए. इसके कुछ समय बाद, उन्हें निगलने में कठिनाई होने लगी.

Duplicate tooth stuck in food pipe
पेसमेकर के चलते ऑपरेशन में समस्या (ETV Bharat)

चिकित्सा मूल्यांकन के बाद पता चला कि नकली दांत उनकी खाद्य नली में फिसल कर वहीं फंस गया है. जिससे कारण खाने में कठिनाई हो रही थी. विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों में कई एंडोस्कोपिक प्रयासों के बावजूद, डेन्चर को नहीं निकाला जा सका. फिर रोगी को सर्जिकल हस्तक्षेप के लिए एम्स भोपाल रेफर किया गया."

वीएटीएस तकनीकी से निकाला दांत

डॉ. सिंह ने बताया कि सर्जरी के दौरान डेंचर की स्थिति का सटीक निर्धारण और निगरानी करने के लिए गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. पीयूष पाठक ने एंडोस्कोपी द्वारा मार्गदर्शन दिया. प्रोफेसर सिंह ने इस उपलब्धि के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, यह मामला एम्स भोपाल में उन्नत क्षमताओं और टीमवर्क का एक उदाहरण है. इस तरह की चुनौतीपूर्ण और जीवन रक्षक स्थिति को हल करने के लिए न्यूनतम इनवेसिव तकनीकों का उपयोग विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने की हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है. यह जटिल और नाजुक प्रक्रिया उन्नत थोरैकोस्कोपिक (वीएटीएस) तकनीक का उपयोग करके की गई, जिससे पारंपरिक ओपन-चेस्ट सर्जरी से बचा जा सका."

डेंचर को इस तरह सुरक्षित निकाला

सर्जिकल टीम का नेतृत्व करने वाले सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. विशाल गुप्ता ने बताया कि नकली दांत एसोफैगल दीवार में गहराई तक घुस गयी थी. उसे छाती के रास्ते सावधानीपूर्वक निकालने की आवश्यकता थी. रोगी को हाल ही में लगाए गए पेसमेकर और संबंधित सर्जिकल जोखिमों को देखते हुए यह एक चुनौतीपूर्ण मामला था.

उनके साथ डॉ. योगेश निवारिया (कार्डियोथोरैसिक सर्जरी), डॉ. जैनब (एनेस्थीसिया), और डॉ. श्रीराम और डॉ. गौरव (सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी) भी इस टीम का हिस्सा थे. टीम ने पारंपरिक ओपन चेस्ट सर्जरी के बजाय धोराकोस्कोपिक तकनीक को चुना, ताकि सर्जिकल ट्रॉमा को कम किया जा सके. इस तकनीक ने बड़े त्वचा चीरे की आवश्यकता को समाप्त कर रोगी की रिकवरी को तेज और दर्द को कम किया.

Last Updated : Feb 3, 2025, 9:38 PM IST
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