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कितना खतरनाक है 'कोरोना का कचरा', जानिए कैसे हो रहा इसका निपटारा

कोरोना वैक्सीनेशन का दौर शुरू होने के बाद से ही लोगों को कोरोना से निजात की उम्मीद जागी. लेकिन कोरोना वैक्सीनेशन के बाद निकलने वाले वेस्टेज को ठिकाने लगाने के लिए भी प्रशासन ने रणनीति बनाई है. इस रणनीति के अनुसार ही कोरोना वैक्सीनेशन के वेस्टेज मटेरियल को व्यवस्थित और सुरक्षित तरिके से समाप्त कर दिया जाता है.

Corona Vaccine Special
कोरोना वैक्सीन स्पेशल
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Published : Feb 7, 2021, 4:45 PM IST

Updated : Feb 7, 2021, 8:11 PM IST

शहडोल। पिछले 16 जनवरी से पूरे देश के साथ शहडोल में भी कोरोना वैक्सीनेशन का दौर शुरू हो चुका है. शहडोल जिले में भी अलग-अलग सत्र आयोजित कर कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लगाई जा रही है. जिस तरह कोरोना का टीका लगाना जरूरी है, उसी तरह वैक्सीन लगाने के बाद बचने वाला वेस्टेज मटेरियल को सही तरिके से नष्ट करना भी जरूरी है. क्योंकि जितना खतरनाक कोरोना वायरस है, उतना ही खतरनाक कोरोना वैक्सीन का वेस्टेज मटेरियल हो सकता है.

कोरोना वैक्सीन के वेस्टेज मटेरियल को नष्ट करना उतना ही आवश्यक है, जितना अन्य संक्रमीत दवाईयों के वेस्टेज मटेरियल को नष्ट करना आवश्यक होता है.

कितना खतरनाक है 'कोरोना का कचरा'
  • कोरोना वैक्सीनेशन और वेस्ट मटेरियल

शहडोल जिले में भी कोरोना वैक्सीनेशन का कार्य तेजी से चल रहा है. अलग-अलग सत्र आयोजित कर कोरोना की वैक्सीन लोगों को लगाई जा रही है, या यूं कहे की उम्मीदों का टीका लोगों को लगाया जा रहा है. ऐसे में ईटीवी भारत ने पड़ताल की कि आखिर कोरोना वैक्सीनेशन के दौरान निकलने वाले वेस्टेज मटेरियल को कैसे डिस्पोज किया जा रहा है, या वैक्सीनेशन सत्र स्थल पर इसे सावधानी पूर्वक रखा जा रहा है या नहीं. हमारी टीम वैक्सीनशन सत्र स्थल पर ये जानने के लिए पहुंची, कि कोरोना वैक्सीन लगाने के दौरान जो वेस्टेज कचरा होता है, जो वेस्ट पदार्थ होता है. आखिर उसे कैसे सावधानीपूर्वक अलग रखा जाता है? फिर उसे डिस्पोज करने की क्या प्रक्रिया होती है?

Vaccination center
टीकाकरण केंद्र
  • विशेषज्ञों से की चर्चा

करोना वैक्सीनेशन के दौरान जो वेस्ट मटेरियल होता है. आखिर उसे किस तरह से सावधानीपूर्वक डिस्पोज करने की प्रक्रिया में लाया जाता है. इसे जानने के लिए सीधे हम कोरोना टीकाकेंद्र पहुंचे. करोना का टीका लगाने वाली एएनएम अर्चना प्रजापति से इस बारे में जानने की कोशिश की. उनसे जब हमने पूछा कि आखिर कोरोना वैक्सीनेशन के वेस्ट पदार्थ को वो क्या करती हैं, तो उन्होंने बताया कि जो सिरिंज उपयोग हो गया उसको हम लोग सबसे पहले बेनिफिसरी लगाते हैं. उसके हब को हम कटर से काटने के बाद उसको हम लोग रेड डस्टबिन में डालते हैं. जो कोरोना वैक्सीन का रैपर होता है. उसे हम ब्लैक डस्टबिन में डालते हैं. फिर रेड और ब्लैक डस्टबिन को एक टीम सत्र खत्म होते ही पूरी सावधानी से लेकर चली जाती हैं.

  • ऐसे करते हैं डिस्पोज

इसके बारे में और विस्तार से जानने के लिए जब हमने जिला टीकाकरण अधिकारी अंशुमन सुनारे से बात की तो उन्होंने बताया कि कोरोना वैक्सीनेशन की प्रक्रिया में जिस तरह से नियमित टीकाकरण होता है. बिल्कुल उसी की तरह से वेस्टेज मटेरियल को डिस्पोज करने की प्रक्रिया होती है. कोरोना वैक्सीनेशन के दौरान जो वेस्ट जनरेट होता है. जैसे- सिरिंज खाली बाईल्स और उपयोग किए गए सिरिंज के रैपर. इनको हम निश्चित प्रोटोकॉल के तहत लाल और काले पॉलिथीन वाले बैग्स में सैग्रीकेट करके इनको इकट्ठा करवाते हैं. सत्र खत्म होने के बाद में जो रजिस्टर्ड संस्था है. बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट के लिए उस संस्था को वेस्टेज मटेरियल सौंप दिया जाता है.

जिला टीकाकरण अधिकारी सुनारे आगे कहते है कि नियमित टीकाकरण के दौरान नियमित रूप से ही बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर प्रशासन सजग है. प्रोटोकॉल के अनुसार हर प्रकार के वेस्टज को जिस तरह से मैनेज किया जाता है, उस प्रकार कोविड वैक्सीनेशन के दौरान भी किया जा रहा है. ट्रेनिंग के दौरान हमें कोरोना वैक्सीनेशन के वेस्टेज को लाल काला बैग और पंक्चर प्रूफ नीले डिब्बों का उपयोग सिखाया गया है.

Corona vaccination
कोरोना वैक्सीनेशन
  • पूरी रणनीति है व्यवस्थित और सुरक्षित

गौरतलब है कि जब ईटीवी भारत की टीम कोरोना वैक्सीनेशन स्थल पर पहुंची, तो वहां हमने देखा कि आखिर किस तरह से वैक्सीनेशन के दौरान वेस्ट पदार्थों को रखा जा रहा है. वहां पर हमने अलग-अलग डिब्बे रखे हुए देखें जहां पर अलग-अलग तरीके से उन वेस्ट पदार्थों को सावधानीपूर्वक रखा जा रहा था. उसे इकट्ठा किया जा रहा था. जिसको सत्र खत्म होने के बाद बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट के लोग आकर उसे डिस्पोज करने के लिए लेकर जाते हैं.

शहडोल। पिछले 16 जनवरी से पूरे देश के साथ शहडोल में भी कोरोना वैक्सीनेशन का दौर शुरू हो चुका है. शहडोल जिले में भी अलग-अलग सत्र आयोजित कर कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लगाई जा रही है. जिस तरह कोरोना का टीका लगाना जरूरी है, उसी तरह वैक्सीन लगाने के बाद बचने वाला वेस्टेज मटेरियल को सही तरिके से नष्ट करना भी जरूरी है. क्योंकि जितना खतरनाक कोरोना वायरस है, उतना ही खतरनाक कोरोना वैक्सीन का वेस्टेज मटेरियल हो सकता है.

कोरोना वैक्सीन के वेस्टेज मटेरियल को नष्ट करना उतना ही आवश्यक है, जितना अन्य संक्रमीत दवाईयों के वेस्टेज मटेरियल को नष्ट करना आवश्यक होता है.

कितना खतरनाक है 'कोरोना का कचरा'
  • कोरोना वैक्सीनेशन और वेस्ट मटेरियल

शहडोल जिले में भी कोरोना वैक्सीनेशन का कार्य तेजी से चल रहा है. अलग-अलग सत्र आयोजित कर कोरोना की वैक्सीन लोगों को लगाई जा रही है, या यूं कहे की उम्मीदों का टीका लोगों को लगाया जा रहा है. ऐसे में ईटीवी भारत ने पड़ताल की कि आखिर कोरोना वैक्सीनेशन के दौरान निकलने वाले वेस्टेज मटेरियल को कैसे डिस्पोज किया जा रहा है, या वैक्सीनेशन सत्र स्थल पर इसे सावधानी पूर्वक रखा जा रहा है या नहीं. हमारी टीम वैक्सीनशन सत्र स्थल पर ये जानने के लिए पहुंची, कि कोरोना वैक्सीन लगाने के दौरान जो वेस्टेज कचरा होता है, जो वेस्ट पदार्थ होता है. आखिर उसे कैसे सावधानीपूर्वक अलग रखा जाता है? फिर उसे डिस्पोज करने की क्या प्रक्रिया होती है?

Vaccination center
टीकाकरण केंद्र
  • विशेषज्ञों से की चर्चा

करोना वैक्सीनेशन के दौरान जो वेस्ट मटेरियल होता है. आखिर उसे किस तरह से सावधानीपूर्वक डिस्पोज करने की प्रक्रिया में लाया जाता है. इसे जानने के लिए सीधे हम कोरोना टीकाकेंद्र पहुंचे. करोना का टीका लगाने वाली एएनएम अर्चना प्रजापति से इस बारे में जानने की कोशिश की. उनसे जब हमने पूछा कि आखिर कोरोना वैक्सीनेशन के वेस्ट पदार्थ को वो क्या करती हैं, तो उन्होंने बताया कि जो सिरिंज उपयोग हो गया उसको हम लोग सबसे पहले बेनिफिसरी लगाते हैं. उसके हब को हम कटर से काटने के बाद उसको हम लोग रेड डस्टबिन में डालते हैं. जो कोरोना वैक्सीन का रैपर होता है. उसे हम ब्लैक डस्टबिन में डालते हैं. फिर रेड और ब्लैक डस्टबिन को एक टीम सत्र खत्म होते ही पूरी सावधानी से लेकर चली जाती हैं.

  • ऐसे करते हैं डिस्पोज

इसके बारे में और विस्तार से जानने के लिए जब हमने जिला टीकाकरण अधिकारी अंशुमन सुनारे से बात की तो उन्होंने बताया कि कोरोना वैक्सीनेशन की प्रक्रिया में जिस तरह से नियमित टीकाकरण होता है. बिल्कुल उसी की तरह से वेस्टेज मटेरियल को डिस्पोज करने की प्रक्रिया होती है. कोरोना वैक्सीनेशन के दौरान जो वेस्ट जनरेट होता है. जैसे- सिरिंज खाली बाईल्स और उपयोग किए गए सिरिंज के रैपर. इनको हम निश्चित प्रोटोकॉल के तहत लाल और काले पॉलिथीन वाले बैग्स में सैग्रीकेट करके इनको इकट्ठा करवाते हैं. सत्र खत्म होने के बाद में जो रजिस्टर्ड संस्था है. बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट के लिए उस संस्था को वेस्टेज मटेरियल सौंप दिया जाता है.

जिला टीकाकरण अधिकारी सुनारे आगे कहते है कि नियमित टीकाकरण के दौरान नियमित रूप से ही बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर प्रशासन सजग है. प्रोटोकॉल के अनुसार हर प्रकार के वेस्टज को जिस तरह से मैनेज किया जाता है, उस प्रकार कोविड वैक्सीनेशन के दौरान भी किया जा रहा है. ट्रेनिंग के दौरान हमें कोरोना वैक्सीनेशन के वेस्टेज को लाल काला बैग और पंक्चर प्रूफ नीले डिब्बों का उपयोग सिखाया गया है.

Corona vaccination
कोरोना वैक्सीनेशन
  • पूरी रणनीति है व्यवस्थित और सुरक्षित

गौरतलब है कि जब ईटीवी भारत की टीम कोरोना वैक्सीनेशन स्थल पर पहुंची, तो वहां हमने देखा कि आखिर किस तरह से वैक्सीनेशन के दौरान वेस्ट पदार्थों को रखा जा रहा है. वहां पर हमने अलग-अलग डिब्बे रखे हुए देखें जहां पर अलग-अलग तरीके से उन वेस्ट पदार्थों को सावधानीपूर्वक रखा जा रहा था. उसे इकट्ठा किया जा रहा था. जिसको सत्र खत्म होने के बाद बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट के लोग आकर उसे डिस्पोज करने के लिए लेकर जाते हैं.

Last Updated : Feb 7, 2021, 8:11 PM IST
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