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कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर पीएन त्रिपाठी ने ईटीवी भारत से की बातचीत, फसलों को नुकसान से बचाने का बताया तरीका

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Published : Sep 24, 2019, 6:33 PM IST

प्रदेश में हुई भारी बारिश का फसलों पर क्या असर होगा, इस मुद्दे पर कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर पीएन त्रिपाठी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर पीएन त्रिपाठी ने ईटीवी भारत से की बातचीत

शहडोल। प्रदेश में हुई तेज बारिश का असर फसलों पर भी पड़ा है. भारी बारिश से कई फसलों को फायदा हुआ है तो कई फसलें बर्बाद हो गई हैं. जबकि अब भी रुक-रुक कर बारिश हो रही है. ऐसे में किसानों को क्या-क्या सावधानी बरतनी चाहिए इस पर कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर पीएन त्रिपाठी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर पीएन त्रिपाठी ने ईटीवी भारत से की बातचीत

कृषि वैज्ञानिक ने कहा कि भारी बारिश से धान की फसल को काफी फायदा हुआ है लेकिन और ज्यादा बढ़ने वाली देसी किस्मों में फसल के गिरने की खबरे आईं हैं. वहीं दलहनी फसलों में भी नुकसान देखने को मिला है. उन्होंने कहा कि किसानों को सजग रहने की आवश्यकता है. पक चुकी उड़द की फसल में पानी गिरने से काफी नुकसान होने की संभावना है, क्योंकि पानी गिरने से इसमें दोबारा जमाव हो जाएगा. जिससे दाने की गुणवत्ता में काफी गिराव होगा.

पीएन त्रिपाठी ने कहा कि अरहर अभी वानस्पतिक वृद्धि की अवस्था में है, इस लिए बारिश से इस फसल को नुकसान नहीं है, लेकिन जलभराव होने से फसल को नुकसान हो सकता है, इसी तरह सोयाबीन की फसल फूल की अवस्था में है. रुक-रुक कर बारिश होने से इसमें कोई नुकसान नहीं है लेकिन खेत में जलभराव की अवस्था न होने दें.

गौरतलब है कि शहडोल में धान की खेती बहुत ही प्रमुखता से की जाती है, अधिकतर रकबे में इस आदिवासी अंचल में धान की खेती की जाती है, इसके अलावा अरहर, उड़द, सोयाबीन की खेती भी बड़े स्तर पर की जाती है. जिस पर कृषि वैज्ञानिक ने अपनी राय दी.

शहडोल। प्रदेश में हुई तेज बारिश का असर फसलों पर भी पड़ा है. भारी बारिश से कई फसलों को फायदा हुआ है तो कई फसलें बर्बाद हो गई हैं. जबकि अब भी रुक-रुक कर बारिश हो रही है. ऐसे में किसानों को क्या-क्या सावधानी बरतनी चाहिए इस पर कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर पीएन त्रिपाठी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर पीएन त्रिपाठी ने ईटीवी भारत से की बातचीत

कृषि वैज्ञानिक ने कहा कि भारी बारिश से धान की फसल को काफी फायदा हुआ है लेकिन और ज्यादा बढ़ने वाली देसी किस्मों में फसल के गिरने की खबरे आईं हैं. वहीं दलहनी फसलों में भी नुकसान देखने को मिला है. उन्होंने कहा कि किसानों को सजग रहने की आवश्यकता है. पक चुकी उड़द की फसल में पानी गिरने से काफी नुकसान होने की संभावना है, क्योंकि पानी गिरने से इसमें दोबारा जमाव हो जाएगा. जिससे दाने की गुणवत्ता में काफी गिराव होगा.

पीएन त्रिपाठी ने कहा कि अरहर अभी वानस्पतिक वृद्धि की अवस्था में है, इस लिए बारिश से इस फसल को नुकसान नहीं है, लेकिन जलभराव होने से फसल को नुकसान हो सकता है, इसी तरह सोयाबीन की फसल फूल की अवस्था में है. रुक-रुक कर बारिश होने से इसमें कोई नुकसान नहीं है लेकिन खेत में जलभराव की अवस्था न होने दें.

गौरतलब है कि शहडोल में धान की खेती बहुत ही प्रमुखता से की जाती है, अधिकतर रकबे में इस आदिवासी अंचल में धान की खेती की जाती है, इसके अलावा अरहर, उड़द, सोयाबीन की खेती भी बड़े स्तर पर की जाती है. जिस पर कृषि वैज्ञानिक ने अपनी राय दी.

Intro:नोट- वर्जन कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर पीएन त्रिपाठी का है।

कहीं खुशी, कहीं गम लेकर बरसे इंद्रदेव, देखिये किसानों के काम की खबर

शहडोल- शहडोल जिले में बीते सोमवार को झमाझम बारिश हुई, तेज़ बारिश से एक बार फिर से जगह जगह पानी पानी हो गया नदी नाले उफान पर आ गए। इंद्रदेव इस बार कहीं खुशी, कहीं गम लेकर बरसे, किसानों के कुछ फसलों के लिए तो ये बारिश शानदार रही लेकिन कुछ फसलों के लिए नुकसानदायक भी रहा तो कुछ फसलों को लेकर अब किसानों को बहुत सजग रहने की जरूरत हैं नहीं भारी दिक्कत हो सकती है।


Body:किसानों के काम की बात

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर पीएन त्रिपाठी कहते हैं कि बारिश तो बहुत तेज़ हुई है लेकिन 12 से 15 दिन के अंतराल में हुई है। इस बार की बारिश धान के फसलों के लिये तो शानदार है, जिस अवस्था में अभी धान की फसलें हैं उसके लिए अभी पानी की जरूरत होती है। और ऐसे में धान की फसल के लिये ये पानी बहुत बेहतर है।

कहीं कहीं कुछ किसानों से ये भी सुनने आया है जहां कम अवधि की धान की फसलें हैं, देसी किस्म लगाई गईं हैं उनके धान के फसल में बाली आ गई है, फसल की लंबाई ज्यादा है, और सोमवार को हुई बारिश से धान की फसल गिर गई है तो वो निराश न हों कोई दिक्कत नहीं होगा, बहुत नुकसान नहीं होगा।

कृषि वैज्ञानिकों ने कहा ओवरऑल ये बारिश धान के फसलों के लिए शानदार है।

दलहनी के लिए बारिश

कृषि वैज्ञानिकों ने कहा कि दलहनी की फसलों में हमारे क्षेत्र में उड़द और अरहर का एरिया है, उड़द की बात करें तो उड़द पकने की अवस्था में है, कई जगह कटाई भी चल रही है तो कुछ किसानों के उड़द की फसल खलिहान भी पहुंच रही है। ऐसी स्थिति में बारिश उड़द के इस फसल के लिए नुकसानदायक है। अगर इसी तरह बारिश का दौर चलता रहा तो उड़द की फसल रिजनरेट होने लगेगी, बीज फिर से जमने लगेगा, बीज का रंग काला होने लगेगा। ऐसे किसानों को थोड़ी सजग रहने की जरूरत है।

अरहर के फसल की बात करें तो अरहर की फसल वानस्पतिक वृद्धि पर है, ऐसी अवस्था में पानी उसके लिये भी फायदेमंद है, लेकिन इसे लेकर भी किसान सजग रहें, अरहर के खेत में किसी भी कीमत पर पानी जमा न होने दें।

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर पीएन त्रिपाठी कहते हैं कि सोयाबीन की फसल अभी फूल से फलियों में उतर रहा है, ऐसी स्थिति में फलियों में दाना बन रहा है, जो गैप देकर बारिश हो रही है, वो फसल के लिए ठीक है लेकिन किसान इस बात का ध्यान रखें कि किसी भी कीमत पर खेत में पानी का भराव न होने दें, इसमें ध्यान दें। अगर खेत में पानी जम गया तो फिर सोयाबीन की खेती को नुकसान होगा।








Conclusion:गौरतलब है कि शहडोल में धान की खेती बहुत ही प्रमुखता से की जाती है, अधिकतर रकबे में इस आदिवासी अंचल में धान की खेती की जाती है, इसके अलावा अरहर, उड़द, सोयाबीन की खेती भी बड़े स्तर पर की जाती है।
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