भोपाल। परेशान हो रहे सब्जी किसानों को राहत देने के लिए केरल की पिनाराई विजयन सरकार ने किसानों से एमएसपी (Minimum support price) पर सब्जियां खरीदने का प्रावधान किया है, जो आगामी 1 नवंबर से लागू हो जाएगा. इसे के साथ केरल देश का पहला राज्य बन गया है, जो एमएसपी पर किसानों से सब्जियां खरीदेगा. केरल सरकार के इस निर्णय के बाद पंजाब, महाराष्ट्र, कर्नाटक सहित मध्य प्रदेश में भी किसान एमएसपी पर सब्जियां खरीदने की मांग करने लगे हैं. और प्रदेश के कृषि मंत्री ने भी इस जारी करने की बात कही है.
क्यों हो रही एमएसपी की मांग
उत्पादन कम होने की स्थिति में मंडियों में किसानों को सब्जियों के भाव अच्छे मिलते हैं, लेकिन जब आवक बंपर होती है तो दाम कम हो जाते हैं. कई बार तो कम भाव मिलने पर किसान सब्जियां फेंककर ही चले जाते हैं. सीजन में टमाटर, आलू समेत अन्य सब्जियों के भाव दो से पांच रुपये किलो तक पहुंच जाते हैं.
सब्जी किसान की नहीं हो पाती भरपाई
सब्जियों की खेती करने के साथ-साथ सब्जियों का व्यापार करने वाले किसान सूरज गुप्ता का मानना है कि मध्यप्रदेश में लागू हो जाने से सब्जी किसानों को भी अन्य किसानों की तरह राहत मिल जाएगी. अभी जब मौसम की मार पड़ती है तो सभी किसानों को सरकार भरपाई करती है, लेकिन सब्जी किसान उस फायदे से वंचित रह जाता है.
मध्य प्रदेश में जारी हो सकती है सब्जियों की एमएसपी
मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने सब्जियों की एमएसपी तय करने की बात कही है. लेकिन ऐसा कब होगा इसके बारे में कुछ भी साफ नहीं हुआ है. लेकिन मंत्री कमल पटेल के इस बयान के बाद प्रदेश के किसनों को एक उम्मीद जरूर हो गई है कि प्रदेश में जल्द ही सब्जियों में एमएसपी लागू होगी और किसानों को राहत मिलेगी.
किसान संघ करेगा स्वागत
भारतीय किसान संघ के जिलाध्यक्ष भानु प्रताप सिंह की मानें तो अभी किसान सब्जी की फसल मंडी में लेकर जाता है तो उसे नाम मात्र की कीमत मिलती है, जबकी उपभोक्ता को वह उससे कई गुना अधिक दामों में बेची जाती है. सारा फायदा बिचौलिये ले जाते हैं. एमएसपी लागू हो जाने से किसानों को फायदा होगा, यदि सरकार मध्य प्रदेश में इसे लागू करती है तो यह सराहनीय पहल होगी.
एमएसपी से बढ़ेगा किसानों का इंटरेस्ट
सब्जी किसान संतोष शर्मा कहते हैं कि किसान की उपज को आमतौर पर मंडियो में उचित भाव नहीं मिल पाता है और किसान ठग लिया जाता है. वहीं कई बार उत्पादन ज्यादा होने पर रेट गिर जाता है, जिस कारण किसान उपज को मंडी में ले जाने के जगह में फेंकना पसंद करता है. ऐसे में अग एमएपी तय हो जाती है तो सब्जियां उगाने में किसान का इंटरेस्ट बढ़ जाएगा. एक अन्य किसान गोविंद सिंह बताते हैं कि कई बार मौसम के कारण किसान को नुकसान उठाना पड़ता है. कभी ओला तो कभी पाला किसानों की फसलों को बर्बाद कर देता है. ऐसे में किसानों की उपज की एमएसपी तय हो जाए तो मौसम की मार पर पड़ने पर किसानों को काफी राहत मिल सकेगी और फसल बर्बाद होने से किसान को नुकसान से उबरने में काफी मदद मिलेगी.
मप्र में इतनी है पैदावार
मध्यप्रदेश में प्याज के दाम हुए थे तय
पिछले कुछ साल तक मध्यप्रदेश में सरकार प्याज की भावांतर भुगतान और समर्थन मूल्य पर खरीदी जरूर कर चुकी है, लेकिन शेष फल व सब्जियों के न्यूनतम दाम अब तक कभी तय नहीं किए गए, उन दिनों भी सरकार से अन्य उपजों को भावांतर भुगतान में खरीदने की मांग की गई थी, लेकिन अन्य वस्तुओं की खरीदी होना अलग बात प्याज की खरीदी भी भावांतर भुगतान में बंद हो गई.
कितनी है केरल में सब्जियों की एमएसपी
केरल में जमीन के भीतर उगने वाली जेली, साबूदाना जैसी फसलों (टेपियोका) की बेस प्राइस 12 रुपये प्रति किलो तय की गई है. वहीं, केला 30 रुपए, अनानास 15 रुपए प्रति किलो और टमाटर की एमएसपी 8 रुपए प्रति किलो तय की गई है. सभी उपज के लिए किसानों की लागत से 20 फीसदी ऊपर दर पर MSP तय की गई है. इस योजना के तहत केरल सरकार 1000 स्टोर भी खोलने की योजना बना रही है.
सब्जियों पर एमएसपी देने से क्या होगी दिक्कत
सब्जियों पर एमएसपी की मांग भले ही उठने लगी है और कृषि मंत्री ने भले ही एसके लिए तैयारी करने की बात कही हो, लेकिन इससे पहले सरकार को काफी तैयारियां करनी होंगी. अभी मध्य प्रदेश में जो फसलें खरीदी जा रही हैं, उनके रख-रखाव के लिए सरकार के पास जरूरी संसाधन नहीं है. हर साल कई टन अनाज बर्बाद चला जाता है, ऐसे में सरकार को जरूरत होगी कि इसके लिए सरकार पहले प्रदेश में वेयर हाउस की संख्या बढ़ाए.
झारखंड में बन रही योजना
किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य दिलाने और उन्हें बिचौलियों से मुक्त कराने के लिए झारखंड सरकार भी सब्जियों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने की योजना बना रही है. इसके लिए सरकार ने केरल, कर्नाटक समेत अन्य राज्यों के ड्राफ्ट का अध्ययन कर रिपोर्ट मंगवाई गई है.