शहडोल। कोरोना काल में हर वर्ग और विभाग प्रभावित हुआ है. ऐसे में खेल गतिविधियों पर भी कोरोना संक्रमण का खासा असर पड़ा है. आदिवासी जिला शहडोल के युवा हर तरह के खेलों में आगे हैं. क्रिकेट और एथलेटिक्स जैसे खेलों में ये युवा कमाल करते रहे हैं. जिले के अलग-अलग एज ग्रुप के खिलाड़ी जहां एमपीसीए की टीम में अपनी जगह बनाती थीं, इनमें से कुछ लड़कियां तो एमपीसीए की टीम से खेल कर भारतीय टीम में भी जगह बनाने के लिए दावेदारी कर रही थी. लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते यह साल खिलाड़ियों के निराशाजनक रहा.
स्टेडियम में पसरा रहा सन्नाटा
शहडोल जिला अब क्रिकेट को लेकर भी अपनी अलग पहचान बना चुका है. पिछले कुछ सालों में जिले से कई खिलाड़ी क्रिकेट में देश ही नहीं बल्कि दुनिया में भी अपना नाम कमा रही हैं. खिलाड़ी पूजा वस्त्रकार जहां भारतीय टीम से खेल रही हैं तो वहीं जिले के कुछ लड़के मध्य प्रदेश की रणजी टीम तक भी पहुंच चुके हैं. कई खिलाड़ी हर साल एमपीसीए की अलग-अलग एज ग्रुप की टीम में भी सेलेक्ट होते हैं. जिनमें कुछ खिलाड़ी बेहतर प्रदर्शन करके टीम इंडिया में सिलेक्शन के लिए अपना दावा ठोक रही हैं. लेकिन कोरोना काल ने इन पर भी ब्रेक लगा दिया है और साल भर स्टेडियम में सन्नाटा पसरा रहा.
कोरोना का ब्रेक, नहीं हुईं प्रतियोगिताएं
शहडोल संभागीय क्रिकेट संघ के सचिव अजय द्विवेदी कहते हैं कि साल 2020 में अन्य खेलों की तरह क्रिकेट खिलाड़ियों का भी बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है. क्योंकि उम्र के हिसाब से अंडर-16, अंडर-19 अंडर-20 और अंडर-23 एज ग्रुप की जितनी भी प्रतियोगिताएं होती थी, इस वर्ष नहीं हो सकी हैं. बीसीसीआई सीनियर वर्ग की प्रतियोगिता जरूर करा रही है. लेकिन उससे भी बहुत ज्यादा लाभ नहीं कह सकते हैं. क्योंकि निचले स्तर तक जब तक प्रतियोगिताएं नहीं होंगी तो वो बच्चे जो राष्ट्रीय स्तर पर अपनी दावेदारी कर रहे थे, उन्हें आगे बढ़ने का मौका नहीं मिल पाएगा. जो लड़कियां मध्य प्रदेश टीम का प्रतिनिधित्व कर रही हैं, प्रतियोगिताओं के ना होने की वजह से एक साल पीछे जाना पड़ा. अभी तो स्थिति सामान्य नहीं कह सकते हैं लेकिन जैसे-जैसे स्थिति सामान्य होती जाएगी, अगले सत्र के लिए तैयारियां शुरू की जा सकती हैं.
हर साल एमपी से होता है खिलाड़ियों का सिलेक्शन
मध्य प्रदेश की टीम में शहडोल से सभी उम्र वर्ग में लगभग 2 से 3 खिलाड़ी तो सेलेक्ट होते ही थे. जिसमें अभी वर्तमान में ही देखा जाए तो रणजी के लिए ही तीन खिलाड़ी चयनित हुए हैं. मुश्ताक अली ट्रॉफी के लिए हिमांशु मंत्री, कुमार कार्तिक सेलेक्ट हो चुके हैं. पूनम, शशि कला, रीना कई लड़कियां अपनी दावेदारी पेश कर रही हैं. यदि भविष्य में प्रतियोगिताएं हुईं तो अपने प्रदर्शन के आधार पर राष्ट्रीय टीम में जगह बना सकते हैं.
ये लड़कियां बना सकती थीं टीम इंडिया में जगह
संभागीय क्रिकेट संघ के सचिव अजय द्विवेदी कहते हैं कि पूनम और रीना यह दो लड़कियां ऐसी थी कि यदि कोरोना की वजह से प्रतियोगिताओं में ब्रेक ना लगता और टूर्नामेंट होते रहते तो यह दोनों बड़े स्तर पर जगह बना सकती थीं.
दूसरे स्पोर्ट्स में भी पसरा रहा सन्नाटा
धीरेंद्र सिंह जो एथलेटिक्स के एनआईएस कोच हैं वो बताते हैं कि स्पोर्ट्स की गतिविधियां कोरोना काल के चलते पूरी तरह से बंद रहीं. खिलाड़ी यदि प्लान के हिसाब से सुबह शाम ट्रेनिंग शेड्यूल करते हैं और अचानक एक प्लान भी मिस कर दिया तो नुकसान होता है. कोरोना काल में 6 से 8 महीने का ब्रेक खिलाड़ियों को खासा प्रभावित कर रहा है. प्रैक्टिस करने के बाद, ये कुछ अच्छा कर नहीं पा रहे हैं. हमारे पास 10 एथलीटों का ऐसा ग्रुप था, जिनकी तैयारी पीक पर चल रही थी. लांग डिस्टेंस में कुछ गर्ल्स थीं, स्प्रिंटर थे जो कि एसजीएफआई और सीनियर नेशनल में भी अच्छा रिजल्ट देते, लेकिन वो कुछ नहीं कर पा रहे हैं. कोरोनाकाल की वजह से एक तरह से कहा जाए तो ये साल युवा स्पोर्ट्स प्लेयर के लिए भी नुकसानदायक रहा.