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CM शिवराज के गृह क्षेत्र बुधनी के खिलौना व चरखा G-20 सम्मेलन में दिखेंगे - बुधनी के खिलौना व चरखा

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के गृह क्षेत्र बुधनी की पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनने वाली है. यहां बनने वाले लकड़ी के खिलौने व चरखे की ब्रांडिंग एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत की जा रही है. बुधनी में बच्चों के खेलने के लिए वॉकर, किचिन शेड, चकरी, गाड़ी सहित कई अन्य कई प्रकार के खिलौने तैयार किये जा रहे हैं. यहां बनाए जाने वाले चरखा की चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर होती है.

MP toy and charkha of Budhni
CM शिवराज के गृह क्षेत्र बुधनी के खिलौना व चरखा G-20 सम्मेलन में दिखेंगे
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Published : Apr 21, 2023, 1:16 PM IST

सीहोर। जिले के बुधनी क्षेत्र के जंगलों में पाई जाने वाली दूधी लकड़ी से बनने वाले खिलौनों की पहचान देशभर में है. एक जिला एक उत्पाद योजना में इसे शामिल कर बाजार उपलब्ध कराने के प्रयास भी मध्य प्रदेश सरकार कर रही है. अभी तक इन कारीगरों की पहचान खिलौनों के कारण थी, लेकिन अब बुधनी के कारीगरों की पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहुंचेगी. इन कारीगरों द्वारा बनाए गए चरखे आगामी दिनों में इंदौर में होने जा रहे जी 20 सम्मेलन में अलग-अलग देशों से आने वाले प्रतिनिधियों को स्वागत के दौरान भेंट किए जाएंगे.

500 चरखे तैयार : उल्लेखनीय है कि बुधनी क्षेत्र में बनने वाले खिलौनों और हस्तशिल्प को एक जिला एक उत्पाद योजना में शामिल किया गया है. जिसके तहत खिलौना कारीगरों को जिला प्रशासन प्रशिक्षण दिलाने के साथ ही बेहतर बाजार भी उपलब्ध करा रहा है, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की दिली ख्वाइश है कि बुधनी में बनने वाले खिलौनों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिले. इसको लेकर कलेक्टर प्रवीण सिंह अढाइच काफी गंभीर हैं. उन्होंने करीब 500 चरखे बुधनी के खिलौना कारीगरों बनवाए हैं. इन खिलौनों को इंदौर में होने जा रही जी 20 सम्मिट में प्रतिनिधियों को भेंट किया जाएगा. इन चरखों पर मेड इन बुधनी भी अंकित होगा.

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84 परिवार पंजीकृत : कलेक्टर प्रवीण सिंह अढाइच ने बताया कि बुधनी घाट क्षेत्र में 84 परिवार हैं, जो लकड़ी के खिलौने बनाने की कारीगरी का काम करते हैं. इन्हें चिह्नित कर वन विभाग द्वारा पंजीकृत किया गया है. वन विभाग से इन कारीगरों को दूधी की लकड़ी उपलब्ध कराई जाती है. वहीं हस्तशिल्प विभाग द्वारा इन्हें प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया है. बीते दिनों दिल्ली में आयोजित अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला, इंदौर में आयोजित सम्मिट में बुधनी खिलौनों का स्टाल लगाया गया था, जहां पर आए देश विदेश के मेहमानों ने बुधनी के खिलौनों को काफी पसंद किया और खरीदा गया. वर्तमान में बुधनी खिलौना का शोरूम भोपाल के गौहर महल में बनाया गया है. वहीं नर्मदापुरम रेलवे स्टेशन पर भी इसका शोरूम है.

सीहोर। जिले के बुधनी क्षेत्र के जंगलों में पाई जाने वाली दूधी लकड़ी से बनने वाले खिलौनों की पहचान देशभर में है. एक जिला एक उत्पाद योजना में इसे शामिल कर बाजार उपलब्ध कराने के प्रयास भी मध्य प्रदेश सरकार कर रही है. अभी तक इन कारीगरों की पहचान खिलौनों के कारण थी, लेकिन अब बुधनी के कारीगरों की पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहुंचेगी. इन कारीगरों द्वारा बनाए गए चरखे आगामी दिनों में इंदौर में होने जा रहे जी 20 सम्मेलन में अलग-अलग देशों से आने वाले प्रतिनिधियों को स्वागत के दौरान भेंट किए जाएंगे.

500 चरखे तैयार : उल्लेखनीय है कि बुधनी क्षेत्र में बनने वाले खिलौनों और हस्तशिल्प को एक जिला एक उत्पाद योजना में शामिल किया गया है. जिसके तहत खिलौना कारीगरों को जिला प्रशासन प्रशिक्षण दिलाने के साथ ही बेहतर बाजार भी उपलब्ध करा रहा है, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की दिली ख्वाइश है कि बुधनी में बनने वाले खिलौनों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिले. इसको लेकर कलेक्टर प्रवीण सिंह अढाइच काफी गंभीर हैं. उन्होंने करीब 500 चरखे बुधनी के खिलौना कारीगरों बनवाए हैं. इन खिलौनों को इंदौर में होने जा रही जी 20 सम्मिट में प्रतिनिधियों को भेंट किया जाएगा. इन चरखों पर मेड इन बुधनी भी अंकित होगा.

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84 परिवार पंजीकृत : कलेक्टर प्रवीण सिंह अढाइच ने बताया कि बुधनी घाट क्षेत्र में 84 परिवार हैं, जो लकड़ी के खिलौने बनाने की कारीगरी का काम करते हैं. इन्हें चिह्नित कर वन विभाग द्वारा पंजीकृत किया गया है. वन विभाग से इन कारीगरों को दूधी की लकड़ी उपलब्ध कराई जाती है. वहीं हस्तशिल्प विभाग द्वारा इन्हें प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया है. बीते दिनों दिल्ली में आयोजित अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला, इंदौर में आयोजित सम्मिट में बुधनी खिलौनों का स्टाल लगाया गया था, जहां पर आए देश विदेश के मेहमानों ने बुधनी के खिलौनों को काफी पसंद किया और खरीदा गया. वर्तमान में बुधनी खिलौना का शोरूम भोपाल के गौहर महल में बनाया गया है. वहीं नर्मदापुरम रेलवे स्टेशन पर भी इसका शोरूम है.

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