जबलपुर। वन्य प्राणी विशेषज्ञ डॉक्टर एबी श्रीवास्तव का कहना है कि ''कूनो अभ्यारण में चीतों की मौत की स्पष्ट वजह तो पोस्टमार्टम के बाद ही पता लगेगी. लेकिन कॉलर आईडी की वजह से उनके गले में घाव बन सकते हैं. कॉलर आईडी लगाते वक्त उनकी तेजधार चीते की चमड़ी को खराब कर सकती है.'' जबलपुर स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ फॉरेंसिक एंड हेल्थ के पूर्व डायरेक्टर डॉक्टर एबी श्रीवास्तव मध्य प्रदेश के सबसे अनुभवी वन्य प्राणी विशेषज्ञ हैं. इन्होंने 20,000 से ज्यादा वन्य प्राणियों का पोस्टमार्टम किया है. सैकड़ों जानवरों को एक जंगल से दूसरे जंगल शिफ्ट करने के अभियानों में एबी श्रीवास्तव ने मुख्य भूमिका निभाई है. पन्ना के जंगलों में एबी श्रीवास्तव ने ही बाघ शिफ्ट किए थे.
कॉलर आईडी बेल्ट होते हैं धारदार: डॉ एबी श्रीवास्तव का कहना है कि ''कूनो अभ्यारण्य में चीतों की मौत किस वजह से हो रही है इसका सही कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट को देखकर ही लगाया जा सकता है.'' जहां तक कॉलर आईडी से हुए इंफेक्शन की बात है तो डॉ एबी श्रीवास्तव का कहना है कि ''उन्होंने सैकड़ों बाघ और दूसरे जानवरों में कॉलर आईडी लगाए हैं. जो कंपनी कॉलर आईडी बेल्ट सप्लाई करती हैं, उन बेल्ट के किनारे तीखे होते हैं. इसलिए इन्हें लगाते समय उसके किनारों की धार को घिसना जरूरी होता है.''
कॉलर आईडी हो सकती है चीतों की मौत की वजह: एबी श्रीवास्तव का कहना है कि ''लंबे अनुभव के बाद उन्हें यह बारीकी समझ में आई थी. क्योंकि जिन जानवरों में कॉलर आईडी लगाया जाता है वे जब मूवमेंट करते हैं तो तीखी धार वाला बेल्ट उनकी चमड़ी को काट देता है और खुली चमड़ी पर घाव होने का खतरा बना रहता है. जो कूनो में मृत चीतों के चित्रों को देखकर स्पष्ट समझ में आ रहा है कि कॉलर आईडी की वजह से चीते की गले पर घाव बने हैं. संभवत इसी की वजह से उनके शरीर में कोई इंफेक्शन फैला होगा. अभी तक कूनो अभ्यारण में चीतों की जिस तरह से मौत हो रही है.'' उससे यह तो स्पष्ट है कि यहां अनुभवी लोगों की कमी है. देश और दुनिया का एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट छोटी-छोटी लापरवाहियों की भेंट चढ़ा रहा है. जबकि प्रधानमंत्री कार्यालय कोर्ट इस अभियान को मॉनिटर कर रहा है.