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PM के आत्मनिर्भर भारत से प्रेरित हुई अनीता, तुलसी की खेती से बनाई नई पहचान

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Published : Sep 26, 2020, 11:59 AM IST

सीहोर जिले के इछावर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत से प्रेरित होकर अनीता बाई ने तुलसी की खेती कर अपनी नई पहचान बनाई है.

SEHORE
अनीता ने तुलसी की खेती कर बनाई अपनी नई पहचान

सीहोर। इछावर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के कथन से प्रेरित होकर तुलसी की खेती कर अनीता ने अपनी पहचान बनाई. देश में कोरोना जैसी महामारी का प्रकोप चल रहा है. शासन प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग कोरोना संक्रमण रोकने का हर संभव प्रयास कर रहा है. ऐसे में इछावर तहसील के ग्राम सिराडी की महिला अनिता ने तुलसी की खेती कर अच्छा खासा लाभ अर्जित कर सभी को चौंका दिया है.

तुलसी आयुर्वेदिक पद्धति में उपयोग किया जाने वाला महत्वपूर्ण पौधा है. इसकी जड़ और पत्तियों का उपयोग रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए किया जाता है. इसी के अनुक्रम में मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के द्वारा अनिता बाई को ये प्रेरणा मिली. लगभग 60 से 70 दिन बाद तुलसी के पौधे 3 से 4 फीट के हो चुके हैं. वर्तमान समय में प्रकृति के प्रकोप और बारिश की मार से सोयाबीन का उत्पाद भले ही बहुत कम हुआ है, लेकिन तुलसी की फसल लहलहा रही है. तुलसी की खेती से महिला कृषकों को ना केवल आर्थिक लाभ होता है, बल्की मिट्टी के सूक्ष्म कणों को भी लाभ पहुंचता है.

सिराडी गांव की अनीता ने 1 एकड़ जमीन में लगभग 9 हजार की लागत से तुलसी की खेती की, जिसमें 300 रुपए बीज और शेष गोबर खाद, निंदाई, गुड़ाई, सिंचाई आदि पर व्यय हुआ है. एक एकड़ पर खेती से 10 से 12 क्विंटल तुलसी प्राप्त हुई, जिसका विक्रय लगभग 35 हजार रुपए से 38 हजार रुपए तक होता है. आईटीसी के माध्यम से इन औषधीय पौधों को बायबैक किया जाकर औषधीय निर्माण के लिए संस्था द्वारा खरीद लिया जाता है. इस प्रकार अनीता द्वारा तुलसी की खेती कर ना केवल अपनी आर्थिक स्थिति सुधारी साथ ही खेत एवं आसपास के वातावरण को भी शुद्ध किया जा रहा है.

सीहोर। इछावर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के कथन से प्रेरित होकर तुलसी की खेती कर अनीता ने अपनी पहचान बनाई. देश में कोरोना जैसी महामारी का प्रकोप चल रहा है. शासन प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग कोरोना संक्रमण रोकने का हर संभव प्रयास कर रहा है. ऐसे में इछावर तहसील के ग्राम सिराडी की महिला अनिता ने तुलसी की खेती कर अच्छा खासा लाभ अर्जित कर सभी को चौंका दिया है.

तुलसी आयुर्वेदिक पद्धति में उपयोग किया जाने वाला महत्वपूर्ण पौधा है. इसकी जड़ और पत्तियों का उपयोग रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए किया जाता है. इसी के अनुक्रम में मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के द्वारा अनिता बाई को ये प्रेरणा मिली. लगभग 60 से 70 दिन बाद तुलसी के पौधे 3 से 4 फीट के हो चुके हैं. वर्तमान समय में प्रकृति के प्रकोप और बारिश की मार से सोयाबीन का उत्पाद भले ही बहुत कम हुआ है, लेकिन तुलसी की फसल लहलहा रही है. तुलसी की खेती से महिला कृषकों को ना केवल आर्थिक लाभ होता है, बल्की मिट्टी के सूक्ष्म कणों को भी लाभ पहुंचता है.

सिराडी गांव की अनीता ने 1 एकड़ जमीन में लगभग 9 हजार की लागत से तुलसी की खेती की, जिसमें 300 रुपए बीज और शेष गोबर खाद, निंदाई, गुड़ाई, सिंचाई आदि पर व्यय हुआ है. एक एकड़ पर खेती से 10 से 12 क्विंटल तुलसी प्राप्त हुई, जिसका विक्रय लगभग 35 हजार रुपए से 38 हजार रुपए तक होता है. आईटीसी के माध्यम से इन औषधीय पौधों को बायबैक किया जाकर औषधीय निर्माण के लिए संस्था द्वारा खरीद लिया जाता है. इस प्रकार अनीता द्वारा तुलसी की खेती कर ना केवल अपनी आर्थिक स्थिति सुधारी साथ ही खेत एवं आसपास के वातावरण को भी शुद्ध किया जा रहा है.

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