सतना। जिले के धार्मिक नगरी चित्रकूट में दीपावली के दूसरे दिन गधों एवं खच्चरों का मेला मंदाकिनी घाट के किनारे लगा. इस मेले में हजारों की संख्या में गधे और खच्चर बिकने के लिए पहुंचे. यह मेला 3 दिनों तक चलेगा. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह मेला करीब 3 सौ वर्ष पुराना है. इस मेले की शुरुआत मुगल शासक औरंगजेब ने की थी. ऐसा माना जाता है कि एक बार मुगल शासक औरंगजेब की सेना में रसद और असलहा ढोने वालों की कमी आ गई, ऐसे में मुगल शासक ने पूरे इलाके से गधे और खच्चरों के पालकों को चित्रकूट के मंदाकिनी नदी घाट के किनारे इकट्ठा कर लिया और सभी के गधों एवं खच्चरों को उनके पालकों से खरीद लिए. तब से लेकर आज तक यह व्यापार का सिलसिला हर वर्ष जारी है. (satna donkey fair)
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खच्चरों का मेला देखने उमड़ती है भीड़: इस अनोखे मेले को देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं, खच्चरों के मेले में मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के अलावा कई राज्यों से गधे और खच्चर उनके पालक लेकर आते हैं. यहां गधे और खच्चर खरीददारों के अलावा इनको देखने वालों की भीड़ उमड़ती है. यह मेला लोगों के लिए हर वर्ष चर्चा का विषय बना रहता है. आज के आधुनिक दौर में लोग टेक्नोलॉजी की ओर बढ़ते चले जा रहे हैं लेकिन आज भी बरसों पुरानी परंपरा चित्रकूट में बखूबी चली आ रही है. इस मेले में गधे और खच्चरों की कीमत हजारों रुपए से लेकर लाखों रुपए तक आंकी जाती है. हालांकि मुगल काल से शुरू हुआ यह मेला अब सुविधाओं के अभाव में कम होता जा रहा है, लेकिन इस विरासत को संजो कर रखने वाले आज भी मेले का आयोजन जारी रखे हुए हैं.
क्या रहा शाहरुख सलमान का हाल: दरअसल इस मेले में सबसे ज्यादा बिकने आने वाले गधों और खच्चर का नाम फिल्मी सितारों के नाम पर होता है. इसके पीछे ग्लैमर को माना जाता है. जिन गधों और खच्चे की सुंदरता ज्यादा होती है और हष्ट, पुष्ट ज्यादा होते हैं उनका नाम भी बॉलीवुड के चमकते सितारों के नाम पर रखा जाता है. इससे खरीदारों को लुभाया जाता है. फीमेल का नाम भी बॉलीवुड अदाकार के नाम पर रखने की परंपरा है. इसमें कटरीना से लेकर मधुबाला तक शामिल है. इस बार इनकी बोली हजारों में लगी.
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