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तीर्थ नगरी चित्रकूट में लाखों श्रद्धालुओं ने किया दीपदान, देश-विदेश से पहुंचे सैलानी

दीपावली के पर्व पर भगवान राम की तपोभूमि चित्रकूट में लगने वाले पांच दिन के मेले में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पहुंचे और दीपदान किया.

लाखों श्रद्धालुओं ने किया दीपदान
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Published : Oct 28, 2019, 12:24 PM IST

Updated : Oct 28, 2019, 1:20 PM IST

सतना। दीपावली के पर्व पर भगवान राम की तपोभूमि चित्रकूट में लाखों की तादाद में श्रद्धालुओं ने दीपदान किया. चित्रकूट में दीपावली देश भर से पहले मनाई जाती है. मान्यता है कि यहां दीपदान करने से मनोकामना पूरी होती है. जिसके लिए दीपावली के पर्व पर चित्रकूट में पहुंचे चार से पांच लाख श्रद्धालुओं ने तीर्थ नगरी का दर्शन किया और मंदाकिनी में दीपदान किया.

लाखों श्रद्धालुओं ने किया दीपदान

दीपावली के मौके पर लगता है मेला

चित्रकूट में दीपावली के मौके पर पांच दिनों तक मेला लगता है, जिसमें देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु दीपदान करने के लिए आते हैं. इस साल भी करीब चार से पांच लाख श्रद्धालु मेले में पहुंचे. इस दौरान उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश दोनों ही राज्यों के प्रशासनिक अधिकारी सतर्क रहे. मेले में सुरक्षा-व्यवस्था भी चाक-चौबंद रही.

चित्रकूट है राम की तपोस्थली

श्रीराम ने अपने वनवास के 11 साल यहीं बिताए थे और लंका से वापस आने के समय भी श्रीराम अयोध्या से पहले चित्रकूट में ही रुके थे और कामतानाथ के दर्शन कर कामदगिरि की परिक्रमा लगाई थी. ग्रंथ बताते हैं कि राम अपने मित्र निषास को दिए वचन को निभाने के लिए यहां रुके थे. तब से दीपोत्सव का त्योहार सबसे पहले चित्रकूट में मनाया जाता है.

ऐसी है परम्परा

चित्रकूट में परम्परा चली आ रही है कि यहां पहुंचने वाले लोग मंदाकिनी में डुबकी लगाने के बाद कामदगिरि की परिक्रमा करते हैं फिर भगवान कामतानाथ की दरबार में दीपक जलाया जाता है और उसके बाद पूरे पांच दिनों तक दीप दान किया जाता है.

सतना। दीपावली के पर्व पर भगवान राम की तपोभूमि चित्रकूट में लाखों की तादाद में श्रद्धालुओं ने दीपदान किया. चित्रकूट में दीपावली देश भर से पहले मनाई जाती है. मान्यता है कि यहां दीपदान करने से मनोकामना पूरी होती है. जिसके लिए दीपावली के पर्व पर चित्रकूट में पहुंचे चार से पांच लाख श्रद्धालुओं ने तीर्थ नगरी का दर्शन किया और मंदाकिनी में दीपदान किया.

लाखों श्रद्धालुओं ने किया दीपदान

दीपावली के मौके पर लगता है मेला

चित्रकूट में दीपावली के मौके पर पांच दिनों तक मेला लगता है, जिसमें देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु दीपदान करने के लिए आते हैं. इस साल भी करीब चार से पांच लाख श्रद्धालु मेले में पहुंचे. इस दौरान उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश दोनों ही राज्यों के प्रशासनिक अधिकारी सतर्क रहे. मेले में सुरक्षा-व्यवस्था भी चाक-चौबंद रही.

चित्रकूट है राम की तपोस्थली

श्रीराम ने अपने वनवास के 11 साल यहीं बिताए थे और लंका से वापस आने के समय भी श्रीराम अयोध्या से पहले चित्रकूट में ही रुके थे और कामतानाथ के दर्शन कर कामदगिरि की परिक्रमा लगाई थी. ग्रंथ बताते हैं कि राम अपने मित्र निषास को दिए वचन को निभाने के लिए यहां रुके थे. तब से दीपोत्सव का त्योहार सबसे पहले चित्रकूट में मनाया जाता है.

ऐसी है परम्परा

चित्रकूट में परम्परा चली आ रही है कि यहां पहुंचने वाले लोग मंदाकिनी में डुबकी लगाने के बाद कामदगिरि की परिक्रमा करते हैं फिर भगवान कामतानाथ की दरबार में दीपक जलाया जाता है और उसके बाद पूरे पांच दिनों तक दीप दान किया जाता है.

Intro:एंकर इंट्रो --
दीपावली के पावन पर्व पर भगवान राम की तपोभूमि चित्रकूट में लाखों की तादाद में श्रद्धालुओं ने किया दीपदान.यहाँ दीपदान भगवान राम के अयोध्या वापस आने की खुशी में मनाया जाता है. चित्रकूट में पूरे देश मे सबसे पहले यहाँ दीपावली मनाई जाती हैं.यहाँ दीपदान करने से हर भक्तों की मनोकामना पूर्ति होती हैं ।


Body:Vo --
भगवान राम की तपोस्थली चित्रकूट में आज आस्था का जन सैलाब उमड़ा हुआ है.यहां 40-50 लाख श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिल रही है. श्रद्धालु भक्त अपनी आस्था लेकर चित्रकूट पहुच रहे है.रामघाट में यहाँ की पवित्र नदी मां मंदाकिनी में दीपदान कर अपनी पुरातन परम्परा को निभाया और भगवान कामतानाथ की दरबार में दीपक जलाया.मंदाकिनी में डुबकी लगाने के बाद कामदगिरि की परिक्रमा किया. मान्यता है कि भगवान राम लंका फतेह के बाद अपने वायदे को निभाने अयोध्या के पहले चित्रकूट में रुके थे.ग्रंथ बताते है कि स्थानीय निवासी भील केवट निषादो के अलावा ऋषि मुनि साधू संत और देवताओं ने खुशी मनाई थी. मंदाकिनी में दीपदान किया था, कामतानाथ के दर्शन किये थे. कामदगिरि की परिक्रमा लगाई थी.पूरे चित्रकूट को सजाकर देश मे सबसे पहले चित्रकूट में दीपावली मनाई गई थी.उसी परंपरा को निभाने आज देश के कोने कोने से लाखो श्रद्धालु अपनी अनोखी आस्था के साथ चित्रकूट आते है.कुछ पैदल तो कुछ दंडवत चित्रकूट आते है.जनश्रुति है कि आज चित्रकूट में दीपदान करने से हर मनोकामना पूरी होती है.आपको बता दें कि भगवान राम वनवास के 11 वर्ष से अधिक चित्रकूट में बिताया था.लंका जाते समय स्थानीय निवासियों ने भगवान राम से वापस चित्रकूट आने का वायदा लिया था.लंका जीतने के बाद भगवान राम का पुष्पक विमान अयोध्या के पहले चित्रकूट में उतरा था.यहां के निवासियों ने भगवान के आने पर पूरे चित्रकूट को सजाकर खुशी मनाई थी.मंदाकिनी में डुबकी लगाकर दीपदान किया था.भगवान कामतानाथ के दर्शन कर कामदगिरि की परिक्रमा किया था.दीपावली का मेला 05 दिनों तक चलेगा.मप्र.-उप्र. जिला प्रशासन अपने अपने बार्डर में चाक चौबंद सुरक्षा व्यवास्था की है.सफल आयोजन के लिये चप्पे चप्पे पर पैनी नज़र रखी जा रही है !

Conclusion:Byte --
मदनगोपालदास -- संत चित्रकूट सतना ।
Last Updated : Oct 28, 2019, 1:20 PM IST
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