सागर। बुंदेलखंड की ऐतिहासिक और पुरातात्विक धरोहर पूरी दुनिया में मशहूर है. यहां बीना के पास एरण में गुप्त काल की ऐतिहासिक धरोहर देखने को मिलती है. तो ये भी प्रमाण है कि ईसा पूर्व भी यह इलाका आबाद रहा है. खजुराहो की मूर्ति कला विश्व प्रसिद्ध है,तो ओरछा का रामराजा मंदिर अपने आप में अलौकिक अनुभूति देता है. पूरा बुंदेलखंड इस ऐतिहासिक और समृद्धि विश्व विरासत से भरपूर है. इसी तरह सागर जिले की रेहली नगर में करीब 11 सौ साल पुराना ऐतिहासिक के सूर्य मंदिर है, जो चंदेल वंश के राजाओं द्वारा बनाया गया था. वैसे इस मंदिर का मूल स्वरूप को काफी नुकसान हुआ है,लेकिन मंदिर में सूर्य भगवान की मूर्ति चंदेल कालीन कला का अद्भुत नमूना माना जाता है. इस मंदिर का महत्व इसे लेकर भी है कि पूरे देश में यह एक इकलौता मंदिर है,जो कर्क रेखा पर स्थित है. इसके अलावा पूर्व की तरफ मंदिर का मुख होने के कारण इसका विशेष महत्व है.
इतिहासकार डॉ भरत शुक्ला बताते हैं कि सागर जिला मुख्यालय 40 किमी दूर रहली विकासखंड मुख्यालय में सूर्य मंदिर स्थापित है. यह मंदिर देहार और सुनार नदी के संगम पर स्थापित है. अपनी ऐतिहासिकता और प्राचीनता के कारण इस मंदिर की दूर-दूर तक चर्चा है. खास बात ये कि स्थानीय लोग मंदिर को अपनी धरोहर मान का पूजा अर्चना करते हैं. इस सूर्य मंदिर की स्थापना 10 वीं शताब्दी में चंदेल वंश के राजाओं द्वारा कराई गई थी. यह मंदिर करीब 11 साल पुराना है. यह देश का एकमात्र ऐसा सूर्य मंदिर है,जो कर्क रेखा पर स्थित है.
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रेहली के सूर्य मंदिर की खासियत
मंदिर पूर्व मुखी है. सूर्योदय के समय सूर्य की किरणें सीधे मंदिर पर पड़ती हैं. यह मंदिर स्थापत्य कला की शहतीर कला में बना हुआ है. मंदिर में स्थित भगवान सूर्य की प्रतिमा सात घोड़ों के रथ पर सवार है. सूर्य भगवान 7 वर्णों के प्रतीक के साथ अश्व रथ पर सवार हैं. मंदिर में सूर्य देव की प्रतिमा के साथ भगवान सूर्य की दो पत्नियों की भी प्रतिमाएं स्थापित है.साथ ही दाएं और बाएं भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित है. इस मंदिर में महाश्वेता देवी अभय मुद्रा में हैं और त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु महेश की त्रिमूर्ति भी विराजमान है.