सागर। चुनावी साल में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए सत्ताधारी दल बीजेपी हर हथियार का इस्तेमाल कर रही है. इसी कड़ी में शिवराज सरकार ने नगरीय निकाय के जनप्रतिनिधियों को मानदेय और भत्ता बढ़ाने की सौगात दी है. सरकार के इस फैसले से प्रदेश के पंचायत प्रतिनिधि नाराज हो गए हैं. त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था के तहत काम कर रहे जनप्रतिनिधियों का कहना है कि एक तो सरकार द्वारा न के बराबर मानदेय दिया जा रहा है और वह भी समय पर नहीं मिल रहा, दूसरा पंचायतों को अधिकार विहीन कर दिया गया है. पंचायत प्रतिनिधियों की मांग है कि उनका मानदेय बढ़ाने के साथ उनके अधिकारों में भी वृद्धि की जाए. इस सिलसिले में जिला पंचायत संघ के अध्यक्ष हीरासिंह राजपूत सीएम शिवराज से मुलाकात करने वाले हैं.
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क्या चाहते हैं पंचायत प्रतिनिधि: पंचायत प्रतिनिधियों का कहना है कि जिला पंचायत अध्यक्षों को स्वेच्छा विकास निधि 25 लाख रुपए प्रति विधानसभा क्षेत्र के मान से दी जाए. पंचायत राज अधिनियम 1994 को पुन: और यथावत लागू किया जाए. जिला पंचायत अध्यक्षों को सांसद-विधायक की भांति परिचय पत्र जारी किया जाए. जिला पंचायत और मनरेगा के तहत होने वाले सभी निर्माण कार्यों के लिए जिला पंचायत अध्यक्षों से अनुमोदन लिया जाए. जिला पंचायतों को 15वें वित्त व अन्य मदों में जो राशि स्वीकृति की जाती है, उसमें कम से कम तीन गुना वृद्धि की जाए. इसके साथ ही उनकी और भी कई मांगे हैं.
सीएम से मुलाकात करेंगे जिला पंचायत संघ के अध्यक्ष: मध्य प्रदेश जिला पंचायत संघ के अध्यक्ष हीरा सिंह राजपूत का कहना है कि "संघ के गठन के समय हम लोगों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर अपनी मांगों से अवगत कराया था और उन्हें अपनी मांगों से संबंधित एक ज्ञापन भी सौंपा था. अब हम फिर से मुख्यमंत्री शिवराज से मुलाकात करने जा रहे हैं, जहां पंचायत ग्रामीण विकास मंत्री हम लोगों के साथ होंगे. हम मुख्यमंत्री से अपनी मांगों के संबंध में विस्तार से चर्चा करेंगे."