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MP Civil Judge Exam 2019 सुप्रीम कोर्ट ने MP हाइकोर्ट व राज्य सरकार से 4 हफ्ते में मांगा जवाब - कई उम्मीदवार साक्षात्कार की सूची से बाहर

मध्य प्रदेश सिविल जज परीक्षा 2019 (MP Civil Judge Exam 2019) को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (MP High Court) और मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी करते हुए 4 हफ्ते के अंदर जवाब (SC seeks reply in 4 weeks) मांगा है. दरअसल, इस परीक्षा को लेकर कुछ उम्मीदवारों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी और आरोप लगाया गया था कि लिखित परीक्षा के मिनिमम कट ऑफ मार्क्स के आधार पर इंटरव्यू में प्रवेश मिलना था. लेकिन लिखित परीक्षा में ज्यादातर छात्रों को दशमलव में एक जैसे अंक दिए गए और कई छात्र योग्य होने के बाद भी इंटरव्यू में शामिल नहीं हो पाए.

MP Civil Judge Exam 2019
सुप्रीम कोर्ट ने MP हाइकोर्ट व राज्य सरकार से 4 हफ्ते में मांगा जवाब
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Published : Nov 19, 2022, 1:00 PM IST

Updated : Nov 19, 2022, 1:08 PM IST

सागर। सुप्रीम कोर्ट ने इसे मनमाना नियम बताते हुए मध्य प्रदेश सरकार और मध्य प्रदेश हाई कोर्ट को जवाब तलब किया है. दरअसल, मध्यप्रदेश सिविल जज परीक्षा - 2019 में अनियमितता को लेकर उम्मीदवारों ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली थी. इसमें सुप्रीम कोर्ट की डिवीजन बेंच ने सुनवाई करते हुए मप्र सिविल जज परीक्षा 2019 को लेकर मध्यप्रदेश हाइकोर्ट और मध्यप्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है. सिविल जज परीक्षा 2019 में साक्षात्कार के लिए न्यूनतम 40% अंक निर्धारित किये गए थे.

सुप्रीम कोर्ट ने MP हाइकोर्ट व राज्य सरकार से 4 हफ्ते में मांगा जवाब

कई उम्मीदवार साक्षात्कार की सूची से बाहर : नियम के तहत लिखित परीक्षा में कई उम्मीदवार अच्छे अंक हासिल करके साक्षात्कार की सूची में जगह बना सकते थे, लेकिन ज्यादातर उम्मीदवारों को 18.67, 19.70 जैसे अंक देकर साक्षात्कार की सूची यानी अंतिम चयन से बाहर कर दिया था. इस वजह से लगभग 115 उम्मीदवारों को अंतिम सूची में शामिल नहीं किया गया. सुप्रीम कोर्ट ने इसे मनमाना नियम बताते हुए मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय एवं मध्यप्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर के 4 हफ़्तों के अंदर जवाब तलब किया है.

MP High Court के आदेश के खिलाफ अंतरजातीय विवाह के मामले में SC में दायर होगी SLP

सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस : सुप्रीम कोर्ट में मध्य प्रदेश सिविल जज परीक्षा के उम्मीदवारों के वकील वरुण सिंह का कहना है कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने सिविल जज परीक्षा 2019 के लिए विज्ञापन जारी किया था, जिसमें इंटरव्यू के लिए मिनिमम कट ऑफ मार्क तय किए गए थे. इस परीक्षा में काफी सारे लोग मिनिमम कट ऑफ मार्क हासिल नहीं कर पाए क्योंकि कहीं ना कहीं काफी सारे उम्मीदवारों को एक जैसे नंबर दिए थे और यह नंबर दशमलव में दिए गए थे. इन सारे बिंदुओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई की.

सागर। सुप्रीम कोर्ट ने इसे मनमाना नियम बताते हुए मध्य प्रदेश सरकार और मध्य प्रदेश हाई कोर्ट को जवाब तलब किया है. दरअसल, मध्यप्रदेश सिविल जज परीक्षा - 2019 में अनियमितता को लेकर उम्मीदवारों ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली थी. इसमें सुप्रीम कोर्ट की डिवीजन बेंच ने सुनवाई करते हुए मप्र सिविल जज परीक्षा 2019 को लेकर मध्यप्रदेश हाइकोर्ट और मध्यप्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है. सिविल जज परीक्षा 2019 में साक्षात्कार के लिए न्यूनतम 40% अंक निर्धारित किये गए थे.

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कई उम्मीदवार साक्षात्कार की सूची से बाहर : नियम के तहत लिखित परीक्षा में कई उम्मीदवार अच्छे अंक हासिल करके साक्षात्कार की सूची में जगह बना सकते थे, लेकिन ज्यादातर उम्मीदवारों को 18.67, 19.70 जैसे अंक देकर साक्षात्कार की सूची यानी अंतिम चयन से बाहर कर दिया था. इस वजह से लगभग 115 उम्मीदवारों को अंतिम सूची में शामिल नहीं किया गया. सुप्रीम कोर्ट ने इसे मनमाना नियम बताते हुए मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय एवं मध्यप्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर के 4 हफ़्तों के अंदर जवाब तलब किया है.

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सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस : सुप्रीम कोर्ट में मध्य प्रदेश सिविल जज परीक्षा के उम्मीदवारों के वकील वरुण सिंह का कहना है कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने सिविल जज परीक्षा 2019 के लिए विज्ञापन जारी किया था, जिसमें इंटरव्यू के लिए मिनिमम कट ऑफ मार्क तय किए गए थे. इस परीक्षा में काफी सारे लोग मिनिमम कट ऑफ मार्क हासिल नहीं कर पाए क्योंकि कहीं ना कहीं काफी सारे उम्मीदवारों को एक जैसे नंबर दिए थे और यह नंबर दशमलव में दिए गए थे. इन सारे बिंदुओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई की.

Last Updated : Nov 19, 2022, 1:08 PM IST
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