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भूलकर भी नहीं छूने चाहिए हनुमान जी के पैर जानिए इसके पीछे की सच्चाई, तस्वीरें भी हैं चौंकाने वाली - MYSTERY OF HANUMAN JI

इस खबर के माध्यम से जानिए हनुमानजी के चरण स्पर्श करना क्यों वर्जित है और शनिदेव किस रूप में उनके चरणों में मौजूद हैं...

You should not touch the feet of Hanuman ji even by mistake, know the truth behind it, the pictures are also shocking
भूलकर भी नहीं छूने चाहिए हनुमान जी के पैर जानिए इसके पीछे की सच्चाई, तस्वीरें भी हैं चौंकाने वाली (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Lifestyle Team

Published : Feb 10, 2025, 5:59 PM IST

हनुमान जी से जुड़े कई ऐसे रहस्य हैं जो आज भी पहेली बने हुए हैं. इन्हीं रहस्यों में से एक रहस्य यह भी है कि उनके पैरों के नीचे कौन रहता है और हनुमान जी के पैर के क्यों नहीं छूने चाहिए? बता दें कि हिंदू धर्म में हनुमान जी को भगवान राम के परम भक्त और सर्वोच्च देवता माना जाता है. धार्मिक ग्रंथों में हनुमान जी से जुड़े कई रहस्यों का वर्णन किया गया है. इन्हीं में से एक रहस्य यह भी है कि हनुमान जी के पैरों के नीचे कौन रहता है और उनका पैर लोगों को क्यों नहीं छूना चाहिए? खबर में जानें विस्तार से...

पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान शिव ने शनिदेव को अपना कर्म-दान नियुक्त किया, तो शुरुआत में तो सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन धीरे-धीरे शनिदेव को अपनी शक्तियों का घमंड होने लगा, जिसके कारण पृथ्वी वासियों को उनका भयंकर क्रोध और अनुचित दंड भोगना पड़ा. इसी बीच, हनुमान जी पृथ्वी लोक का भ्रमण करने निकले, वहां उन्होंने देखा कि पृथ्वी पर ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं था, जिसे बिना किसी कारण और बिना किसी अपराध के शनिदेव का क्रोध परेशान न कर रहा हो.

शनिदेव का क्रोध पृथ्वी पर मनुष्यों और स्वर्ग में देवताओं पर भारी पड़ रहा था , यह देखकर हनुमान जी शनिदेव से मिलने और उन्हें समझाने के लिए उनके लोक पहुंचे. हनुमान जी ने शनिदेव से मिलकर उन्हें पृथ्वी और स्वर्ग का हाल बताया और शनिदेव से प्रार्थना की कि वे अपना क्रोध शांत करें और किसी को बिना किसी कारण दंड न दें. शनिदेव को समझाते हुए हनुमान जी ने कहा कि अशुभ फल उन्हीं को मिलते हैं जो दंड के अधिकारी होते हैं, लेकिन शनिदेव अपनी शक्तियों के मद में इतने मग्न थे कि उन्हें अपनी गलती का अहसास ही नहीं हुआ और उन्होंने हनुमान जी का भी अपमान कर दिया.

हनुमान जी के समझाने पर भी शनिदेव ने विनम्रता के स्थान पर क्रोध में आकर उनके साथ दुर्व्यवहार किया, शनिदेव की यह मनोदशा देखकर, हनुमान जी ने शनिदेव को उनकी गलती का अहसास कराकर उन्हें सही रास्ते पर लाने का निर्णय लिया, जिसके बाद एक बार फिर से हनुमान जी शनिदेव के यहां पहुंचे, जिसके बाद हनुमान जी और शनिदेव के बीच भयंकर युद्ध हुआ. माना जाता है कि यह युद्ध कई महीनों तक चला था. जिसमें शनिदेव की शक्ति क्षीण होने लगी थी.

अपनी शक्ति कम होती देख शनिदेव चिंतित हो गए. जब शनिदेव ने देखा कि हनुमान जी अत्यंत क्रोधित हैं तो वे वहां से भागकर एक स्थान पर छिप गए और हनुमान के क्रोध से छुटकारा पाने के तरीके खोजने शुरू कर दिए. यह तब था जब उन्हें लगा कि हनुमान एक 'ब्रह्मचारी' हैं और कभी किसी महिला को चोट नहीं पहुंचा सकते. उन्होंने एक महिला का रूप धारण कर लिया और हनुमान के चरणों में आत्मसमर्पण कर दिया तथा क्षमा मांगी. जिसके बाद हनुमान जी ने उन्हें अभय दान दे दिया। ऐसा माना जाता है कि तब से शनिदेव हनुमान जी के चरणों में निवास करते हैं.

गुजरात के सारंगपुर में कष्टभंजन हनुमान देव
गुजरात के सारंगपुर में इस कहानी से जुड़ा एक मंदिर है. इस मंदिर का नाम कष्टभंजन हनुमान देव मंदिर है. इसका स्वरूप बहुत भव्य है. यह मंदिर अपने पौराणिक महत्व, सुंदरता और भव्यता के लिए बहुत प्रसिद्ध है. मंदिर में स्थापित मूर्ति में साफ देखा जा सकता है कि लकड़ी के हनुमान जी सोने के सिंहासन पर विराजमान हैं. हनुमान की मूर्ति के चारों ओर वानरों की सेना दिखाई देती है. हनुमान के साथ शनिदेव भी स्त्री रूप में मौजूद हैं. शनि हनुमान के चरणों में बैठे हैं.

(डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी लोक मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ETV भारत इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान शिव ने शनिदेव को अपना कर्म-दान नियुक्त किया, तो शुरुआत में तो सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन धीरे-धीरे शनिदेव को अपनी शक्तियों का घमंड होने लगा, जिसके कारण पृथ्वी वासियों को उनका भयंकर क्रोध और अनुचित दंड भोगना पड़ा. इसी बीच, हनुमान जी पृथ्वी लोक का भ्रमण करने निकले, वहां उन्होंने देखा कि पृथ्वी पर ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं था, जिसे बिना किसी कारण और बिना किसी अपराध के शनिदेव का क्रोध परेशान न कर रहा हो.

शनिदेव का क्रोध पृथ्वी पर मनुष्यों और स्वर्ग में देवताओं पर भारी पड़ रहा था , यह देखकर हनुमान जी शनिदेव से मिलने और उन्हें समझाने के लिए उनके लोक पहुंचे. हनुमान जी ने शनिदेव से मिलकर उन्हें पृथ्वी और स्वर्ग का हाल बताया और शनिदेव से प्रार्थना की कि वे अपना क्रोध शांत करें और किसी को बिना किसी कारण दंड न दें. शनिदेव को समझाते हुए हनुमान जी ने कहा कि अशुभ फल उन्हीं को मिलते हैं जो दंड के अधिकारी होते हैं, लेकिन शनिदेव अपनी शक्तियों के मद में इतने मग्न थे कि उन्हें अपनी गलती का अहसास ही नहीं हुआ और उन्होंने हनुमान जी का भी अपमान कर दिया.

हनुमान जी के समझाने पर भी शनिदेव ने विनम्रता के स्थान पर क्रोध में आकर उनके साथ दुर्व्यवहार किया, शनिदेव की यह मनोदशा देखकर, हनुमान जी ने शनिदेव को उनकी गलती का अहसास कराकर उन्हें सही रास्ते पर लाने का निर्णय लिया, जिसके बाद एक बार फिर से हनुमान जी शनिदेव के यहां पहुंचे, जिसके बाद हनुमान जी और शनिदेव के बीच भयंकर युद्ध हुआ. माना जाता है कि यह युद्ध कई महीनों तक चला था. जिसमें शनिदेव की शक्ति क्षीण होने लगी थी.

अपनी शक्ति कम होती देख शनिदेव चिंतित हो गए. जब शनिदेव ने देखा कि हनुमान जी अत्यंत क्रोधित हैं तो वे वहां से भागकर एक स्थान पर छिप गए और हनुमान के क्रोध से छुटकारा पाने के तरीके खोजने शुरू कर दिए. यह तब था जब उन्हें लगा कि हनुमान एक 'ब्रह्मचारी' हैं और कभी किसी महिला को चोट नहीं पहुंचा सकते. उन्होंने एक महिला का रूप धारण कर लिया और हनुमान के चरणों में आत्मसमर्पण कर दिया तथा क्षमा मांगी. जिसके बाद हनुमान जी ने उन्हें अभय दान दे दिया। ऐसा माना जाता है कि तब से शनिदेव हनुमान जी के चरणों में निवास करते हैं.

गुजरात के सारंगपुर में कष्टभंजन हनुमान देव
गुजरात के सारंगपुर में इस कहानी से जुड़ा एक मंदिर है. इस मंदिर का नाम कष्टभंजन हनुमान देव मंदिर है. इसका स्वरूप बहुत भव्य है. यह मंदिर अपने पौराणिक महत्व, सुंदरता और भव्यता के लिए बहुत प्रसिद्ध है. मंदिर में स्थापित मूर्ति में साफ देखा जा सकता है कि लकड़ी के हनुमान जी सोने के सिंहासन पर विराजमान हैं. हनुमान की मूर्ति के चारों ओर वानरों की सेना दिखाई देती है. हनुमान के साथ शनिदेव भी स्त्री रूप में मौजूद हैं. शनि हनुमान के चरणों में बैठे हैं.

(डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी लोक मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ETV भारत इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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