सागर। कोरोना संक्रमण के ग्रामीण इलाकों में फैलने को बाद प्रशासन ने सागर जिले के बीना में 1000 बेड का कोरोना अस्पताल बनाए जाने का फैसला लिया है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के निर्देश पर कैबिनेट मंत्री भूपेन्द्र सिंह को इस अस्पताल निर्माण का प्रभार सौंपा गया है. जिसके बाद मंत्री भूपेंद्र सिंह ने निर्माणाधीन अस्पताल का निरीक्षण कर तैयारियों का जायजा लिया. इस अवसर पर जिला प्रशासन के सभी वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे.
- मंत्री ने दी अस्पताल की जानकारी
अस्पताल निर्माण को लेकर मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि इस बार कोरोना ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत तेजी से फैल रहा है. इसी बात को ध्यान में रखकर अस्पताल बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि बीना करीब 5 जिलों के केंद्र में है, यहां पर हमें पर्याप्त आक्सीजन भी मिल गई है, इसलिए हम यह अस्पताल बना रहे हैं. बकौल मंत्री, इस अस्पताल का फायदा 5 जिलों के कोरोना मरीजों को होगा, जिसमें अशोकनगर, गुना, विदिशा, सागर शामिल हैं.
- बीना रिफाइनरी देगी ऑक्सीजन
इस अस्पताल में ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए बीना रिफाइनरी की इंडस्ट्रियल यूज की ऑक्सीजन को इस्तेमाल किया जाएगा. लिहाजा यह अस्पताल भी रिफाइनरी के नजदीक में बनाया जा रहा है. अस्पताल के सभी बेड पर ऑक्सीजन की सप्लाई पाइप लाइन के जरिए की जाएगी
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- 15 से 20 मई के बीच शुरू हो जाएगा अस्पताल
मंत्री भूपेंद्र सिंह ने बताया कि अस्पताल के निर्माण का काम दिन-रात चल रहा है. अस्पताल का आकार तैयार हो चुका है. उम्मीद की जा रही है कि 15 से 20 मई के बीच मुख्यमंत्री अस्पताल की शुरुआत कर देंगे. उन्होंने आगे कहा कि यह मध्य प्रदेश का ऐसा पहला अस्पताल है, जो इतने बड़े स्तर पर बनाया जा रहा है, जिसमें तमाम तरह की सुविधाएं जुटाई जा रही है. उन्होंने कहा, अस्पताल का ढांचा एक पक्की इमारत की तरह है. अस्पताल तक पहुंचने के लिए सड़क का निर्माण किया जा रहा है. पूरे इलाके में विद्युतीकरण का काम भी तेजी से चल रहा है. पानी की सप्लाई की व्यवस्था की जा रही है और ऑक्सीजन की सप्लाई के लिए अलग से पाइप लाइन बिछाई जा रही है. साथ ही अस्पताल तक ऑक्सीजन की सप्लाई के लिए जरूरी कंप्रेसर मशीन भी 12 मई तक पहुंच जाएगी.
मंत्री भूपेंद्र सिंह ने आगे बताया कि अस्पताल का संचालन निजी क्षेत्र को सौंपा जा रहा है. इसके लिए चिरायु अस्पताल की टीम से बातचीत चल रही है. मुख्यमंत्री के साथ चिरायु अस्पताल के अजय गोयन यहां का दौरा कर चुके हैं.यह अस्पताल पूरी तरह से आक्सीजन पर आधारित होगा, पाइप लाइन के जरिए हर बेड तक आक्सीजन पहुंचाई जाएगी. इस अस्पताल के संचालन के लिए हमें केवल 10 टन की ऑक्सीजन की आवश्यकता है, जबकि हमारे प्लांट की क्षमता 90 टन है,इसलिए हम आसपास के अस्पतालों के लिए भी यहीं से आक्सीजन उपलब्ध कराएंगे.