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कुदरत की गोद में बसा रीवा का घिनोचि धाम, झरना करता है भोलेनाथ का अभिषेक

मध्यप्रदेश अपनी कुदरती खूबसूरती के लिए काफी मशहूर है. वही यहां कई कुदरती करिश्मे भी देखने मिलते हैं, जिसे देख मन भाव विभोर हो उठता है.

कुदरत की गोद में बसा रीवा का घिनोचि धाम
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Published : Aug 18, 2019, 3:28 PM IST

रीवा। वैसे तो पूरा मध्य प्रदेश ही खूबसूरत है और यहां देखने को ऐसा बहुत कुछ है, जिसे निहारने को आपका मन करेगा. व्हाइट टाइगर के लिए दुनिया भर में मशहूर रीवा में प्रकृति की अनुपम छटा इसे बेहद खास बनाती है.

कुदरत की गोद में बसा रीवा का घिनोचि धाम

सिरमौर क्षेत्र में घिनोचि धाम स्थित है...जिसे पियावन के नाम से भी जाना जाता है. जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर रीवा डभौरा सड़क मार्ग पर स्थित घिनौचि धाम जमीन से तकरीबन 200 फीट नीचे और 800 फीट चौड़े पहाड़ से घिरा हुआ है.

घिनोचि धाम दो अद्भुत प्राकृतिक झरनो का संगम है जो भगवान भोलेनाथ का निरंतर जलाभिषेक करते हैं. प्रकृति के इस खूबसूरत नजारे को देखने के लिए सैकड़ों की तादाद में पर्यटक दूर-दूर से पहुंचते हैं. प्रकृति के इस विहंगम नजारे को देखना बहुत रोमांचकारी हैं.

घिनौचि धाम में शिवलिंग और चट्टानों में प्राचीन प्रागैतिहासिक शैल चित्र भी देखे जा सकते हैं जो क्षेत्र की गौरव गाथा का बखान करते हैं. यहां दो प्रमुख सर्पीलाकार चट्टानें हैं जो अपने आप में ही अद्भुत छटा को बिखेरती हैं. घाटी की सुरक्षा की जिम्मेदारी वन विभाग को सौंपी गई है.

सर्पीलाकार चट्टानें, सुंदर पहाड़ और झरने से घिरी वादियां यहां की सुंदरता को चार चांद लगाती हैं. वन विभाग द्वारा घिनोचि धाम और टोंस वाटरफॉल को मध्य प्रदेश पर्यटन में शामिल करने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है.

रीवा। वैसे तो पूरा मध्य प्रदेश ही खूबसूरत है और यहां देखने को ऐसा बहुत कुछ है, जिसे निहारने को आपका मन करेगा. व्हाइट टाइगर के लिए दुनिया भर में मशहूर रीवा में प्रकृति की अनुपम छटा इसे बेहद खास बनाती है.

कुदरत की गोद में बसा रीवा का घिनोचि धाम

सिरमौर क्षेत्र में घिनोचि धाम स्थित है...जिसे पियावन के नाम से भी जाना जाता है. जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर रीवा डभौरा सड़क मार्ग पर स्थित घिनौचि धाम जमीन से तकरीबन 200 फीट नीचे और 800 फीट चौड़े पहाड़ से घिरा हुआ है.

घिनोचि धाम दो अद्भुत प्राकृतिक झरनो का संगम है जो भगवान भोलेनाथ का निरंतर जलाभिषेक करते हैं. प्रकृति के इस खूबसूरत नजारे को देखने के लिए सैकड़ों की तादाद में पर्यटक दूर-दूर से पहुंचते हैं. प्रकृति के इस विहंगम नजारे को देखना बहुत रोमांचकारी हैं.

घिनौचि धाम में शिवलिंग और चट्टानों में प्राचीन प्रागैतिहासिक शैल चित्र भी देखे जा सकते हैं जो क्षेत्र की गौरव गाथा का बखान करते हैं. यहां दो प्रमुख सर्पीलाकार चट्टानें हैं जो अपने आप में ही अद्भुत छटा को बिखेरती हैं. घाटी की सुरक्षा की जिम्मेदारी वन विभाग को सौंपी गई है.

सर्पीलाकार चट्टानें, सुंदर पहाड़ और झरने से घिरी वादियां यहां की सुंदरता को चार चांद लगाती हैं. वन विभाग द्वारा घिनोचि धाम और टोंस वाटरफॉल को मध्य प्रदेश पर्यटन में शामिल करने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है.

Intro:मध्य प्रदेश के रीवा जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर की दूरी पर रीवा डभौरा सड़क मार्ग में सिरमोर से 6 किलोमीटर की दूरी पर बरदहा घाटी के पहले मोड़ से दाहिनी तरफ पगडंडी कच्चा मार गए वहां से 2 किलोमीटर अंदर जाने पर स्थित है पावन घिनोचि धाम जो की धरती से 200 फीट नीचे लगभग 800 फीट चौड़े प्रकृति की सुंदर वादियों एवं चारों तरफ पहाड़ से गिरा हुआ है...



Body:पावन घिनोचि धाम प्रियावन में पर्यटकों को आकर्षित करने का विशेष कारण यह है कि धरती से 200 फीट नीचे दो अद्भुत प्राकृतिक जलप्रपात ओं का संगम जिनका आनंद पर्यटक वर्षा काल में जुलाई से नवंबर महीने तक ले सकते हैं साथ ही अद्भुत प्राकृतिक से जल द्वारा प्राचीन शिवलिंग का निरंतर सत्य जलाभिषेक होता है शिवलिंग में प्राचीन शैल चित्र भी हैं यहां की चट्टानों में गिरे हुए प्रागैतिहासिक शैल चित्र जिनमें इस क्षेत्र की गौरव गाथा का भी ज्ञान होता है यहां की अद्भुत सर्किलाकार चट्टाने अपने आप में ही अद्भुत हैं।


यहां आए दिन रोज सैकड़ों लोग इस अद्भुत दृश्य का आनंद लेने आते रहते हैं प्रकृति के द्वारा शिवलिंग का जिस प्रकार जलाभिषेक का दृश्य यहां देखने को मिलता है शायद ही ऐसा अनोखा दृश्य कहीं दूसरी जगह देखने को मिलता होगा पहाड़ों से दिखने वाली है सुंदर वादियां अपने ही आप में यहां की सुंदरता को बढ़ाने का काम करते हैं जोकि यहां घूमने आने वाले पर्यटकों को लुभाने का काम करता है।

इस अद्भुत नजारे के आनंद लेने आने वाले लोगों का कहना है कि यहां उन्हें पानी की कलकल धारा से मन को शांति मिलती है और शिवलिंग का प्रकृति के द्वारा जलाभिषेक देखते ही बनता है जो भगवान शिव की महिमा को एक नया ही रूप में दिखाने का काम कर रहा है साथ ही यहां की वादियां सुंदर पहाड़ और झरने यहां की सुंदरता पर चार चांद लगाते हैं।

वही वन विभाग को इसकी सुरक्षा का जिम्मा सौंपा गया है वन विभाग के अंतर्गत काम कर रहे अधिकारी का मानना है कि यह रोज सैकड़ों लोग इस अद्भुत दृश्य को देखने आते रहते हैं सबसे ज्यादा बरसात के समय में यहां लोगों की संख्या बढ़ती जाती है अक्सर जुलाई से नवंबर के बीच यहां लोग सबसे ज्यादा दिखते हैं।

बाइट- पर्यटक।
बाइट- पर्यटक।
बाइट- पर्यटक।
बाइट- गार्ड, वन विभाग रीवा।


Conclusion:सिरमौर के बेहद घने जंगलों प्राकृतिक घाटियों में स्थित पावन पावन घिनोचि धाम एवं टोंस वाटरफॉल को विगत 2013 से ही खोजने एक्सप्लोरर करते हुए उन्हें इको पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने मनोरंजन क्षेत्र अधिसूचित कराने का समग्र प्रस्ताव शोध करते हुए आवश्यक जानकारी जुटा ते हुए समस्त सतह वाहन करते हुए समिति संस्थानों में बिना किसी आर्थिक लाभ के सर्वेश सोनी द्वारा तैयार किया गया था जिसे वन विभाग रीवा द्वारा शासन की ओर अग्रसर किया गया है।
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