रतलाम। देश भर में दशहरे के दिन रावण को बुराई का प्रतीक मान कर उसका पुतला दहन किया जाता है. देश भर में रावण दहन करने की अलग-अलग परम्पराएं प्रचल्त हैं, ऐसी ही एक परम्परा रतलाम के कालूखेड़ा और चिकलाना गांव में है, जहां रावण का दहन करने से पहले उसकी नाक काट दी जाती है.
इस आयोजन में रावण का 40 फीट लम्बा मिट्टी का पुतला बनाया जाता है. जिसके बाद भगवान राम की सवारी पूरे गांव में निकाली जाती है. और कार्यक्रम स्थल पर पहुंचकर भगवान राम भाले और तलवार से रावण की नाक को काटते हैं, फिर उसके बाद उसका वध करते हैं.
इस अनोखे आयोजन को देखने के लिए आस-पास के इलाके से भारी संख्या में लोगों की भीड़ जमा होती है. ग्रमीण बताते हैं कि रावण की नाक काटने के पीछे की इस अनोखी परंपरा का कारण उसका घमंड चूर करना है.