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देवपहरी में आज भी स्थित है भगवान राम की कुटिया, लोगों का मन मोह रही यहां की प्राकृतिक सुंदरता, देखें वीडियो - KORBA A TOURIST PLACE

भगवान राम यहां वनवास के दौरान आए थे, यहां एक छोटी सी कुटिया है. जहां राम ठहरते थे, लक्ष्मण बैठकी भी एक जगह है. पढ़ें

Devpahari located in Chhattisgarh is a unique confluence of natural beauty and mythological beliefs, history related to Lord Shri Ram
देवपहरी में आज भी स्थित है भगवान राम की कुटिया (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Lifestyle Team

Published : Feb 13, 2025, 3:45 PM IST

Updated : Feb 13, 2025, 4:07 PM IST

आमतौर पर छत्तीसगढ़ का कोरबा जिले को काले हीरे की धरती कहा जाता है. यह जिला यहां मौजूद कोयले के अकूत भंडार और बिजली उत्पादन करने वाले पावर प्लांट के लिए भी काफी जाना जाता है. इसके अलावा कोरबा जिला अपने खूबसूरत पर्यटन स्थलों के लिए भी काफी प्रसिद्ध है. हाल के दिनों में जिला मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर दूर मनोरम जलप्रपात वाले पर्यटक स्थल देवपहरी की ख्याति काफी बढ़ी है.

बता दें, सतरेंगा को अंतरराष्ट्रीय टूरिस्ट स्पॉट के तौर पर विकसित करने की घोषणा हुई थी. इससे कुछ ही दूरी पर देवपहरी का जलप्रपात भी मौजूद है. जो न सिर्फ प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है. बल्कि देवपहरी के नाम से प्रभु श्री राम का नाम भी जुड़ा हुआ है. लोग आज भी मानते हैं की वनवास के दौरान प्रभु श्री राम यहां आए थे और इस क्षेत्र को राक्षसों के आतंक से मुक्त कराया था.

लोगों का मन मोह रही यहां की प्राकृतिक सुंदरता, देखे वीडियो (ETV Bharat)
देवपहरी पहुंचने के लिए जिला मुख्यालय से दो रास्ते हैं. एक रास्ता बालको होते हुए काफी पॉइंट से घाटियों वाला है. जबकि दूसरा रूमगड़ा हवाई पट्टी की ओर से दोपहरी तक पहुंचता है. ज्यादातर लोग इसी रास्ते से सफर करते हैं. लेमरू रोड में पर्यटन स्थल सतरेंगा से आगे बढ़ने पर जिला मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर दूर देवपहरी का जलप्रपात मौजूद है. यह खूबसूरत और मनोरम जलप्रपात चोरनई नदी पर बनता है. मुख्य जलप्रपात के अलावा इसके कई सहायक जलप्रपात भी हैं.
Devpahari located in Chhattisgarh is a unique confluence of natural beauty and mythological beliefs, history related to Lord Shri Ram
लोगों का मन मोह रही यहां की प्राकृतिक सुंदरता (ETV Bharat)

खासतौर पर जनवरी और फरवरी के महीने में इसकी खूबसूरती और बढ़ जाती है. बरसात के बाद जब ठंड का मौसम आता है. तब यहां ढेर सारे पर्यटक न सिर्फ जिला बल्कि राज्य भर से यहां, इस खूबसूरत जलप्रपात को देखने पहुंचते हैं. चोरनई हसदेव की प्रमुख सहायक नदी है. जो हसदेव नदी में ही जाकर समाहित हो जाती है. देवपहरी और आसपास का पूरा इलाका घने जंगलों से घिरा है. लेमरू हाथी रिजर्व वाला इलाका भी इससे लगा हुआ है

Devpahari located in Chhattisgarh is a unique confluence of natural beauty and mythological beliefs, history related to Lord Shri Ram
लोगों का मन मोह रही यहां की प्राकृतिक सुंदरता (ETV Bharat)


लेमरू के घने जंगल भी इसी क्षेत्र में हैं. जो हसदेव अरण्य क्षेत्र का हिस्सा है. इस पूरे क्षेत्र को इसकी खूबसूरती और घने वनों के लिए जाना जाता है. हसदेव और अन्य क्षेत्र को मध्य भारत का फेफड़ा कहा जाता है. वह इसलिए क्योंकि यहां देवपहरी जैसे खूबसूरत स्थान मौजूद हैं. जो कि यहां के घने वनों को सुरक्षित रखते हैं. 12 महीने इन नदियों में पानी होता है, यह पूरा इलाका हसदेव नदी का कैचमेंट एरिया है. घने वनों के कारण यहां साल भर हाथियों के मौजूदगी भी रहती है. यह हाथियों का रहवास क्षेत्र भी है. जहां अक्सर हाथी पानी पीने भी आते हैं.

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लोगों का मन मोह रही यहां की प्राकृतिक सुंदरता (ETV Bharat)
न सिर्फ प्राकृतिक बल्कि पौराणिक मान्यताओं के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है देवपहरीपुरातत्व विभाग के मार्गदर्शक हरि सिंह क्षत्री कहते हैं कि भगवान राम यहां वनवास के दौरान आए थे, तब वे यहां ठहरे थे. जलप्रपात के ऊपर में वह स्थान है, असल में इसका नाम महादेवपहरी है. प्राचीन किले के अवशेष हैं, जिसमें शिव मंदिर के 11वीं 12वीं शताब्दी के अवशेष हैं इस क्षेत्र में रॉक आर्ट शेल्टर हैं. जहां आदिमानव रहा करते थे, इसके अलावा एक राक्षस की गुफा है. जहां राक्षसों का भी आवास था. जो की उस जमाने के साधु संत और ग्रामीणों को मार कर खा जाते थे. जिनके संहार के लिए साधु संतों ने भगवान राम को यहां बुलाया था और राम ने यहां राक्षसों को मारकर क्षेत्र को उनके आतंक से मुक्ति दिलाई थी.
Devpahari located in Chhattisgarh is a unique confluence of natural beauty and mythological beliefs, history related to Lord Shri Ram
लोगों का मन मोह रही यहां की प्राकृतिक सुंदरता (ETV Bharat)

श्रीराम की कुटिया और लक्ष्मण बैठकी भी है यहां
यहां एक छोटी सी कुटिया है. जहां राम ठहरते थे, लक्ष्मण बैठकी भी एक जगह है और एक ऋषि गुफा है. जहां तपस्या करने का स्थान है. मैनपाट की तरह एक स्थान है, जो दूर-दूर तक फैला हुआ है, यहां खेती भी होती है. जो आदि मानव का विचारण क्षेत्र भी रहा है. तो इसलिए देवपहरी केवल एक पर्यटन स्थल ना होके यहां एक गोमुखी नाला है. आदिवासियों में मान्यता है कि जब गौहत्या हो जाती तब उस नाले में नहाने से गौहत्या का पाप भी दूर हो जाता था. इसलिए इसका सांस्कृतिक महत्व भी है. चोरनई नदी पर गोविंद झुंज जलप्रपात बनता है. जिसके अनेक सहायक जलधारा भी हैं. जो आगे जाकर मान घोघर नदी में मिलते हैं. सभी हसदेव नदी की सहायक नदियां हैं. जहां साल भर पानी रहता है. इसलिए यह स्थान प्राकृतिक खूबसूरती से परिपूर्ण तो है ही, लोगों की आस्था से भी जुड़ा है. हर तरह से यह स्थान बहुत महत्वपूर्ण है.

पर्यटक यहां आकर होते हैं आनंदित
देवपहरी पहुंची पर्यटक राजकुमारी ने बताया कि देवपहरी काफी खूबसूरत स्थान है. यहां के मान्यताओं पर हमें पूरा भरोसा है कि यहां से राम आए थे. इसलिए यहां घूमने आए हैं. काफी खूबसूरत झरना है. पहली बार आई हूं, काफी अच्छा लगा.

Devpahari located in Chhattisgarh is a unique confluence of natural beauty and mythological beliefs, history related to Lord Shri Ram
लोगों का मन मोह रही यहां की प्राकृतिक सुंदरता (ETV Bharat)
रामप्रवेश ने बताया कि देवपहरी एक काफी सुंदर स्थान है. यहां जो झरना है और यह देखने में काफी अच्छा लगता है. यहां के बारे में मैंने सुना था कि पत्थर और झरना देखने में काफी मनोरम दृश्य है. पहली बार आया हूं और मुझे बहुत खुशी हो रही है. यहां थोड़ा खतरा भी है, लोगों को सावधानी भी बरतनी चाहिए. पत्थर काफी चिकने हैं.

एलएन जायसवाल ने बताया कि यहां का जो जलप्रपात है? जिले के साथ ही पूरे राज्य में प्रसिद्ध है. एक विहंगम दृश्य है. लोग यहां आकर काफी खुशी महसूस करते हैं और काफी आनंद मिलता है. लोग कहते हैं कि भगवान राम वनवास के दौरान एक स्थान पर रुके थे और इससे अधिक जानकारी तो नहीं है. लेकिन यह मान्यता जरूर है. जिस पर लोग यकीन करते हैं.

देखिए प्रशासन ने भी इस स्थान पर सावधान रहने के बोर्ड लगाए हैं. लोगों को चेतावनी भी देते हैं. थोड़ा खतरनाक स्थान भी है. इसलिए लोगों को सावधानी भी बरतनी चाहिए. इस स्थान पर आए हैं तो जानबूझकर खतरा मोल ना लें.

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आमतौर पर छत्तीसगढ़ का कोरबा जिले को काले हीरे की धरती कहा जाता है. यह जिला यहां मौजूद कोयले के अकूत भंडार और बिजली उत्पादन करने वाले पावर प्लांट के लिए भी काफी जाना जाता है. इसके अलावा कोरबा जिला अपने खूबसूरत पर्यटन स्थलों के लिए भी काफी प्रसिद्ध है. हाल के दिनों में जिला मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर दूर मनोरम जलप्रपात वाले पर्यटक स्थल देवपहरी की ख्याति काफी बढ़ी है.

बता दें, सतरेंगा को अंतरराष्ट्रीय टूरिस्ट स्पॉट के तौर पर विकसित करने की घोषणा हुई थी. इससे कुछ ही दूरी पर देवपहरी का जलप्रपात भी मौजूद है. जो न सिर्फ प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है. बल्कि देवपहरी के नाम से प्रभु श्री राम का नाम भी जुड़ा हुआ है. लोग आज भी मानते हैं की वनवास के दौरान प्रभु श्री राम यहां आए थे और इस क्षेत्र को राक्षसों के आतंक से मुक्त कराया था.

लोगों का मन मोह रही यहां की प्राकृतिक सुंदरता, देखे वीडियो (ETV Bharat)
देवपहरी पहुंचने के लिए जिला मुख्यालय से दो रास्ते हैं. एक रास्ता बालको होते हुए काफी पॉइंट से घाटियों वाला है. जबकि दूसरा रूमगड़ा हवाई पट्टी की ओर से दोपहरी तक पहुंचता है. ज्यादातर लोग इसी रास्ते से सफर करते हैं. लेमरू रोड में पर्यटन स्थल सतरेंगा से आगे बढ़ने पर जिला मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर दूर देवपहरी का जलप्रपात मौजूद है. यह खूबसूरत और मनोरम जलप्रपात चोरनई नदी पर बनता है. मुख्य जलप्रपात के अलावा इसके कई सहायक जलप्रपात भी हैं.
Devpahari located in Chhattisgarh is a unique confluence of natural beauty and mythological beliefs, history related to Lord Shri Ram
लोगों का मन मोह रही यहां की प्राकृतिक सुंदरता (ETV Bharat)

खासतौर पर जनवरी और फरवरी के महीने में इसकी खूबसूरती और बढ़ जाती है. बरसात के बाद जब ठंड का मौसम आता है. तब यहां ढेर सारे पर्यटक न सिर्फ जिला बल्कि राज्य भर से यहां, इस खूबसूरत जलप्रपात को देखने पहुंचते हैं. चोरनई हसदेव की प्रमुख सहायक नदी है. जो हसदेव नदी में ही जाकर समाहित हो जाती है. देवपहरी और आसपास का पूरा इलाका घने जंगलों से घिरा है. लेमरू हाथी रिजर्व वाला इलाका भी इससे लगा हुआ है

Devpahari located in Chhattisgarh is a unique confluence of natural beauty and mythological beliefs, history related to Lord Shri Ram
लोगों का मन मोह रही यहां की प्राकृतिक सुंदरता (ETV Bharat)


लेमरू के घने जंगल भी इसी क्षेत्र में हैं. जो हसदेव अरण्य क्षेत्र का हिस्सा है. इस पूरे क्षेत्र को इसकी खूबसूरती और घने वनों के लिए जाना जाता है. हसदेव और अन्य क्षेत्र को मध्य भारत का फेफड़ा कहा जाता है. वह इसलिए क्योंकि यहां देवपहरी जैसे खूबसूरत स्थान मौजूद हैं. जो कि यहां के घने वनों को सुरक्षित रखते हैं. 12 महीने इन नदियों में पानी होता है, यह पूरा इलाका हसदेव नदी का कैचमेंट एरिया है. घने वनों के कारण यहां साल भर हाथियों के मौजूदगी भी रहती है. यह हाथियों का रहवास क्षेत्र भी है. जहां अक्सर हाथी पानी पीने भी आते हैं.

Devpahari located in Chhattisgarh is a unique confluence of natural beauty and mythological beliefs, history related to Lord Shri Ram
लोगों का मन मोह रही यहां की प्राकृतिक सुंदरता (ETV Bharat)
न सिर्फ प्राकृतिक बल्कि पौराणिक मान्यताओं के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है देवपहरीपुरातत्व विभाग के मार्गदर्शक हरि सिंह क्षत्री कहते हैं कि भगवान राम यहां वनवास के दौरान आए थे, तब वे यहां ठहरे थे. जलप्रपात के ऊपर में वह स्थान है, असल में इसका नाम महादेवपहरी है. प्राचीन किले के अवशेष हैं, जिसमें शिव मंदिर के 11वीं 12वीं शताब्दी के अवशेष हैं इस क्षेत्र में रॉक आर्ट शेल्टर हैं. जहां आदिमानव रहा करते थे, इसके अलावा एक राक्षस की गुफा है. जहां राक्षसों का भी आवास था. जो की उस जमाने के साधु संत और ग्रामीणों को मार कर खा जाते थे. जिनके संहार के लिए साधु संतों ने भगवान राम को यहां बुलाया था और राम ने यहां राक्षसों को मारकर क्षेत्र को उनके आतंक से मुक्ति दिलाई थी.
Devpahari located in Chhattisgarh is a unique confluence of natural beauty and mythological beliefs, history related to Lord Shri Ram
लोगों का मन मोह रही यहां की प्राकृतिक सुंदरता (ETV Bharat)

श्रीराम की कुटिया और लक्ष्मण बैठकी भी है यहां
यहां एक छोटी सी कुटिया है. जहां राम ठहरते थे, लक्ष्मण बैठकी भी एक जगह है और एक ऋषि गुफा है. जहां तपस्या करने का स्थान है. मैनपाट की तरह एक स्थान है, जो दूर-दूर तक फैला हुआ है, यहां खेती भी होती है. जो आदि मानव का विचारण क्षेत्र भी रहा है. तो इसलिए देवपहरी केवल एक पर्यटन स्थल ना होके यहां एक गोमुखी नाला है. आदिवासियों में मान्यता है कि जब गौहत्या हो जाती तब उस नाले में नहाने से गौहत्या का पाप भी दूर हो जाता था. इसलिए इसका सांस्कृतिक महत्व भी है. चोरनई नदी पर गोविंद झुंज जलप्रपात बनता है. जिसके अनेक सहायक जलधारा भी हैं. जो आगे जाकर मान घोघर नदी में मिलते हैं. सभी हसदेव नदी की सहायक नदियां हैं. जहां साल भर पानी रहता है. इसलिए यह स्थान प्राकृतिक खूबसूरती से परिपूर्ण तो है ही, लोगों की आस्था से भी जुड़ा है. हर तरह से यह स्थान बहुत महत्वपूर्ण है.

पर्यटक यहां आकर होते हैं आनंदित
देवपहरी पहुंची पर्यटक राजकुमारी ने बताया कि देवपहरी काफी खूबसूरत स्थान है. यहां के मान्यताओं पर हमें पूरा भरोसा है कि यहां से राम आए थे. इसलिए यहां घूमने आए हैं. काफी खूबसूरत झरना है. पहली बार आई हूं, काफी अच्छा लगा.

Devpahari located in Chhattisgarh is a unique confluence of natural beauty and mythological beliefs, history related to Lord Shri Ram
लोगों का मन मोह रही यहां की प्राकृतिक सुंदरता (ETV Bharat)
रामप्रवेश ने बताया कि देवपहरी एक काफी सुंदर स्थान है. यहां जो झरना है और यह देखने में काफी अच्छा लगता है. यहां के बारे में मैंने सुना था कि पत्थर और झरना देखने में काफी मनोरम दृश्य है. पहली बार आया हूं और मुझे बहुत खुशी हो रही है. यहां थोड़ा खतरा भी है, लोगों को सावधानी भी बरतनी चाहिए. पत्थर काफी चिकने हैं.

एलएन जायसवाल ने बताया कि यहां का जो जलप्रपात है? जिले के साथ ही पूरे राज्य में प्रसिद्ध है. एक विहंगम दृश्य है. लोग यहां आकर काफी खुशी महसूस करते हैं और काफी आनंद मिलता है. लोग कहते हैं कि भगवान राम वनवास के दौरान एक स्थान पर रुके थे और इससे अधिक जानकारी तो नहीं है. लेकिन यह मान्यता जरूर है. जिस पर लोग यकीन करते हैं.

देखिए प्रशासन ने भी इस स्थान पर सावधान रहने के बोर्ड लगाए हैं. लोगों को चेतावनी भी देते हैं. थोड़ा खतरनाक स्थान भी है. इसलिए लोगों को सावधानी भी बरतनी चाहिए. इस स्थान पर आए हैं तो जानबूझकर खतरा मोल ना लें.

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Last Updated : Feb 13, 2025, 4:07 PM IST
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