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पहचान खो रहा है रतलाम का प्रसिद्ध चौरानी पान, किसान छोड़ रहे खेती

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Published : Jan 31, 2020, 2:16 PM IST

Updated : Jan 31, 2020, 2:46 PM IST

पानी की कमी और शासकीय सुविधाओं के आभाव के चलते रतलाम जिले के चौराना गांव में चौरानी पान की खेती करने वाले किसान खेती छोड़ने पर मजबूर है. वहीं उद्यानिकी विभाग ने लीजधारी पान उत्पादकों को योजना का लाभ दिलवाने के लिए शासन के पास प्रस्ताव भेजा है.

Farmers of Chaurani paan are forced to leave farming
चौरानी पान की खेती करने वाले किसान खेती छोड़ने पर मजबूर

रतलाम। चौरानी पान की खेती के लिए जाने जाना वाला रतलाम जिले के चौराना गांव के किसानों का आज पान की खेती से मोह भंग हो गया है. गांव में चौराना पान की खेती करने वाले चौरसिया समाज के 200 से अधिक किसान थे, जो विशेष स्वाद वाले चौरानी पान का उत्पादन करते थे. कभी ये पान दिल्ली, मेरठ, देहरादून और पाकिस्तान तक निर्यात किया जाता था, लेकिन पानी की कमी और शासकीय सुविधाओं के आभाव के चलते गांव में महज सात-आठ किसान ही पान की खेती करते है.

चौरानी पान की खेती करने वाले किसान खेती छोड़ने पर मजबूर

किसान छोड़ रहे खेती
दरअसल रतलाम जिले का चौराना गांव देशभर में पान की खेती के लिए मशहूर है. यहां के विशेष स्वाद वाले देशी पान को चौरानी पान के नाम से देश और विदेश में जाना जाता है, लेकिन असुविधाओं के चलते किसान पान की खेती छोड़ने को मजबूर हैं. पान की खेती कर रहे किसानों का कहना है कि पान की खेती अब लाभ का धंधा नहीं रह गया है. मौसम की मार और पानी की कमी के चलते कई किसान खेती छोड़ चुके हैं. वहीं उद्यानिकी विभाग से भी किसानों को कोई मदद नहीं मिल पा रही है.

शासकीय योजनाओं का नहीं मिल रहा लाभ
उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों के अनुसार पान की खेती करने वाले उन्हीं किसानों को अनुदान और प्रोत्साहन मिल सकता है, जिनके नाम पर कृषि भूमि दर्ज हो और किसान की श्रेणी में आते हो, लेकिन चौराना गांव के पान उत्पादक किसान यह खेती जमीन लीज पर लेकर करते हैं. जिसकी वजह से उन्हें कोई शासकीय योजना का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है.

शासन को भेजा जा रहा प्रस्ताव
बहरहाल रतलाम के चौराना गांव से लुप्त हो रही चौरानी पान की खेती को बचाने के लिए उद्यानिकी विभाग ने लीजधारी पान उत्पादकों को योजना का लाभ दिलवाने के लिए शासन के पास प्रस्ताव भेजा है. वहीं अपनी पुश्तैनी पान की खेती कर रहे यह सात-आठ किसान भी चौरानी पान को बचाने के लिए अपना अहम योगदान दे रहे हैं.

लीजधारी पान उत्पादकों को लाभ दिलाने शासन को भेजा जा रहा प्रस्ताव

रतलाम। चौरानी पान की खेती के लिए जाने जाना वाला रतलाम जिले के चौराना गांव के किसानों का आज पान की खेती से मोह भंग हो गया है. गांव में चौराना पान की खेती करने वाले चौरसिया समाज के 200 से अधिक किसान थे, जो विशेष स्वाद वाले चौरानी पान का उत्पादन करते थे. कभी ये पान दिल्ली, मेरठ, देहरादून और पाकिस्तान तक निर्यात किया जाता था, लेकिन पानी की कमी और शासकीय सुविधाओं के आभाव के चलते गांव में महज सात-आठ किसान ही पान की खेती करते है.

चौरानी पान की खेती करने वाले किसान खेती छोड़ने पर मजबूर

किसान छोड़ रहे खेती
दरअसल रतलाम जिले का चौराना गांव देशभर में पान की खेती के लिए मशहूर है. यहां के विशेष स्वाद वाले देशी पान को चौरानी पान के नाम से देश और विदेश में जाना जाता है, लेकिन असुविधाओं के चलते किसान पान की खेती छोड़ने को मजबूर हैं. पान की खेती कर रहे किसानों का कहना है कि पान की खेती अब लाभ का धंधा नहीं रह गया है. मौसम की मार और पानी की कमी के चलते कई किसान खेती छोड़ चुके हैं. वहीं उद्यानिकी विभाग से भी किसानों को कोई मदद नहीं मिल पा रही है.

शासकीय योजनाओं का नहीं मिल रहा लाभ
उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों के अनुसार पान की खेती करने वाले उन्हीं किसानों को अनुदान और प्रोत्साहन मिल सकता है, जिनके नाम पर कृषि भूमि दर्ज हो और किसान की श्रेणी में आते हो, लेकिन चौराना गांव के पान उत्पादक किसान यह खेती जमीन लीज पर लेकर करते हैं. जिसकी वजह से उन्हें कोई शासकीय योजना का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है.

शासन को भेजा जा रहा प्रस्ताव
बहरहाल रतलाम के चौराना गांव से लुप्त हो रही चौरानी पान की खेती को बचाने के लिए उद्यानिकी विभाग ने लीजधारी पान उत्पादकों को योजना का लाभ दिलवाने के लिए शासन के पास प्रस्ताव भेजा है. वहीं अपनी पुश्तैनी पान की खेती कर रहे यह सात-आठ किसान भी चौरानी पान को बचाने के लिए अपना अहम योगदान दे रहे हैं.

लीजधारी पान उत्पादकों को लाभ दिलाने शासन को भेजा जा रहा प्रस्ताव
Intro:देश विदेश में प्रसिद्ध रतलाम जिले का चौरानी पान अब अपना वजूद खोने जा रहा है। कभी चौराना गांव के नाम से मशहूर हुआ चौरानी पान खेती करने वाले किसानों का मोह अब पान की खेती से भंग हो गया है। गांव में एक समय चौरानी पान की खेती करने वाले चौरसिया समाज के 200 से अधिक किसान थे जो विशेष स्वाद वाले चौरानी पान का उत्पादन करते थे। जिसे दिल्ली, मेरठ ,देहरादून और पाकिस्तान तक निर्यात किया जाता था। लेकिन पानी की कमी और शासकीय सुविधाओं की मदद के अभाव में गांव में महज 7-8 किसान ही पान की खेती करते हैं।



Body:दरअसल रतलाम जिले का चौराना गांव देशभर में पान की खेती के लिए मशहूर है। यहां के विशेष स्वाद वाले देशी पान को चौरानी पान के नाम से देश और विदेश में जाना जाता है। लेकिन मौसम की मार, पानी की कमी और शासकीय सुविधाओं के अभाव में यहां के पान की खेती करने वाले किसान आप पान की खेती छोड़ने को मजबूर हैं। कभी इस गांव में 200 से अधिक पानी बादल किसान मौजूद थे जिनकी संख्या घटकर महज 7-8 ही रह गई है। वर्तमान में पान की खेती कर रहे किसानों का कहना है कि पान की खेती अब लाभ का धंधा नहीं रही है। मौसम की मार और पानी की कमी के चलते कई किसान की खेती छोड़ चुके हैं। वही उद्यानिकी विभाग से भी किसानों को कोई मदद नहीं मिल पा रही है। उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों के अनुसार पान की खेती करने वाले उन्हीं किसानों को अनुदान और प्रोत्साहन मिल सकता है, जिनके नाम पर कृषि भूमि दर्ज होकर वह किसान की श्रेणी में आते हो लेकिन चोराना गांव के पान उत्पादक किसान यह खेती जमीन लीज पर लेकर करते हैं। जिसकी वजह से उन्हें कोई शासकीय योजना का लाभ भी मिल पा रहा है।


Conclusion:बहरहाल रतलाम के चौराना गांव से लुप्त हो रही चौरानी पान की खेती को बचाने के लिए उद्यानिकी विभाग ने लीजधारी पान उत्पादकों को योजना का लाभ दिलवाने के लिए प्रस्ताव शासन के पास भेजा है। वही अपनी पुश्तैनी पान की खेती कर रहे यह सात-आठ किसान भी चौरानी पान का वजुद बचाने के लिए अपना अहम योगदान दे रहे हैं।


वन टू वन- पान उत्पादक किसानों महेंद्र चौरसिया एवं प्रकाश चौरसिया के साथ

बाइट 01- प्रकाश चौरसिया (पान की खेती करने वाले किसान)
बाइट 02- महेंद्र चौरसिया (पान की खेती करने वाले किसान)
बाइट-03- जे एस कनेल (उप संचालक उद्यानिकी विभाग रतलाम)
Last Updated : Jan 31, 2020, 2:46 PM IST
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