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इस गांव के लोगों को पीढ़ी-दर-पीढ़ी विरासत में मिल रहा कैंसर !

कैंसर एक विश्वव्यापी रोग है. कैंसर का नाम सुनते ही लोगों के पसीने छूट जाते हैं. कोई नहीं चाहता कि वह किसी अपने को कैंसर से जूझता देखे. फिर चाहे वह स्वास्थ्य को लेकर जागरूक हों .

35 deaths in last five years
जानलेवा कैंसर
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Published : Dec 10, 2019, 8:02 PM IST

Updated : Dec 10, 2019, 8:33 PM IST

रतलाम। कैंसर कितना भयावह है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूरे विश्व में होने वाली कुल मौतों का एक बड़ा हिस्सा कैंसर का होता है. आज एक ऐसे ही गांव की कहानी हम आपको सुनाने जा रहे हैं जिसमें महज पिछले पांच सालों में 35 लोगों की मौत कैंसर की वजह से हुई हैं. लेकिन शायद प्रशासन के लिए ये कोई बड़ा आंकड़ा नहीं है इसलिए वो इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं.

कैंसर की चपेट में रतलाम


हम बात कर रहे हैं रतलाम जिले के आलोट जनपद की ग्राम पंचायत भोजाखेड़ी की, जहां महज पांच वर्षों में 35 लोगों की कैंसर से मौत हो गई है. इतना ही नहीं गांव में कई लोग अभी भी कैंसर से पीड़ित हैं. कैंसर के मरीजों के बढ़ रहे आंकड़ों के बाद भी शासन-प्रशासन की नींद नहीं खुली है. गांव के लोगों का कहना है कि उनके यहां कैंसर पीढ़ी दर पीढ़ी विरासत की तरह चला आ रहा है कई बार शिकायत करने के बाद भी प्रशासन इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रहा है. लोगों का कहना है कि न ही यहां डॉक्टरों को बीमारी का पता चलता है न ही प्रशासन इस ओर कोई कदम उठा रहा है.

जब हमने गांव को लोगों से बात की तो अपनों के खोने का दर्द उनकी आंखों से छलक आया. लोगों का कहना है कि अगर प्रशासन इस ओर कोई ठोस कदम उठाएगा तो हो सकता है लोगों को इस बीमारी से राहत मिल सके. इस मामले में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग का कहना है कि पानी के स्रोतों की जांच की गई, जिससे ऐसा कोई कारण सामने नहीं आया है जिससे कैंसर के कारण का पता चल सके.उनका कहना है कि उन्होंने प्रदूषण बोर्ड उज्जैन को भी इस बारे में जानकारी दी है पर अभी तक कोई रिपोर्ट नहीं आई है.

वहीं आलोट विधायक मनोज चावला ने प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट को भी पत्र लिखा है. उन्होंने आलोट जनपद क्षेत्र के भोजाखेड़ी और जावरा जनपद क्षेत्र के केरवासा में कैंसर रोग से पीड़ित ग्रामीणों की मौत को लेकर पत्र लिख कर जांच कराने व नियंत्रण के उपाय करने की बात कही है.


क्या कैंसर सचमुच उतना खतरनाक है जितना उसे समझ जाता है या कैंसर के दुखद अनुभव के लिए हम ही जिम्मेदार हैं कि हमने इस भयावह बीमारी को बड़ा हौवा बना लिया है. आजकल कई तरह के कैंसर को गंभीर लेकिन काबू में आने लायक बीमारी माना जाता है लेकिन कैंसर को भी दूसरी बीमारियों की तहर दवाईयों से काबू में लाया जा सकता है, अब देखना होगा कि आखिर कब तक सरकार की नींद खुलती है और गांव के लोगों को राहत मिलती है.

रतलाम। कैंसर कितना भयावह है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूरे विश्व में होने वाली कुल मौतों का एक बड़ा हिस्सा कैंसर का होता है. आज एक ऐसे ही गांव की कहानी हम आपको सुनाने जा रहे हैं जिसमें महज पिछले पांच सालों में 35 लोगों की मौत कैंसर की वजह से हुई हैं. लेकिन शायद प्रशासन के लिए ये कोई बड़ा आंकड़ा नहीं है इसलिए वो इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं.

कैंसर की चपेट में रतलाम


हम बात कर रहे हैं रतलाम जिले के आलोट जनपद की ग्राम पंचायत भोजाखेड़ी की, जहां महज पांच वर्षों में 35 लोगों की कैंसर से मौत हो गई है. इतना ही नहीं गांव में कई लोग अभी भी कैंसर से पीड़ित हैं. कैंसर के मरीजों के बढ़ रहे आंकड़ों के बाद भी शासन-प्रशासन की नींद नहीं खुली है. गांव के लोगों का कहना है कि उनके यहां कैंसर पीढ़ी दर पीढ़ी विरासत की तरह चला आ रहा है कई बार शिकायत करने के बाद भी प्रशासन इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रहा है. लोगों का कहना है कि न ही यहां डॉक्टरों को बीमारी का पता चलता है न ही प्रशासन इस ओर कोई कदम उठा रहा है.

जब हमने गांव को लोगों से बात की तो अपनों के खोने का दर्द उनकी आंखों से छलक आया. लोगों का कहना है कि अगर प्रशासन इस ओर कोई ठोस कदम उठाएगा तो हो सकता है लोगों को इस बीमारी से राहत मिल सके. इस मामले में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग का कहना है कि पानी के स्रोतों की जांच की गई, जिससे ऐसा कोई कारण सामने नहीं आया है जिससे कैंसर के कारण का पता चल सके.उनका कहना है कि उन्होंने प्रदूषण बोर्ड उज्जैन को भी इस बारे में जानकारी दी है पर अभी तक कोई रिपोर्ट नहीं आई है.

वहीं आलोट विधायक मनोज चावला ने प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट को भी पत्र लिखा है. उन्होंने आलोट जनपद क्षेत्र के भोजाखेड़ी और जावरा जनपद क्षेत्र के केरवासा में कैंसर रोग से पीड़ित ग्रामीणों की मौत को लेकर पत्र लिख कर जांच कराने व नियंत्रण के उपाय करने की बात कही है.


क्या कैंसर सचमुच उतना खतरनाक है जितना उसे समझ जाता है या कैंसर के दुखद अनुभव के लिए हम ही जिम्मेदार हैं कि हमने इस भयावह बीमारी को बड़ा हौवा बना लिया है. आजकल कई तरह के कैंसर को गंभीर लेकिन काबू में आने लायक बीमारी माना जाता है लेकिन कैंसर को भी दूसरी बीमारियों की तहर दवाईयों से काबू में लाया जा सकता है, अब देखना होगा कि आखिर कब तक सरकार की नींद खुलती है और गांव के लोगों को राहत मिलती है.

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Last Updated : Dec 10, 2019, 8:33 PM IST
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