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लोकसभा चुनाव में जातिकरण समीकरण हावी, सभाओं में भी दिख रहा असर

हर लोकसभा चुनाव में जातिगत समीकरण एक्स फैक्टर का काम करती है. यहां तक कि इस बार भी चुनावी सभाएं भी इसी समीकरण को ध्यान में रखकर की जा रही हैं.

चुनाव प्रचार में जातिगत समीकरण का असर
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Published : May 4, 2019, 3:32 PM IST

राजगढ़। लोकसभा चुनाव में जहां प्रत्याशी जनता को अलग-अलग तरीकों से लुभाने की जीतोड़ कोशिश कर रहे हैं, तो वहीं वोट बैंक को बढ़ाने के लिए जातिगत समीकरण पर भी पैनी नजर रखी जा रही है. इसका उदाहरण है विधानसभा चुनाव में तंवर समाज का कांग्रेस को समर्थन देना. बीजेपी का वोट बैंक माने जाने वाले तंवर समाज ने बीजेपी को दरकिनार कर समाज के बापू सिंह तंवर को अपना समर्थन दिया था, इसलिए राजनीतिक दल प्रचार के दौरान जातिगत समीकरण का ध्यान रखते हैं.

उमा भारती
उमा भारती लोधी समाज की हैं, इसलिए राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र के सुठालिया और तलेन नगर में उनकी आम सभा की गई थी, क्योंकि यहां लोधी समाज का दबदबा है.

अमित शाह
अमित शाह की आमसभा ब्यावरा में की गई थी, क्योंकि इस क्षेत्र में महाजन समाज का दबदबा है. यहां अग्रवाल, जैन और महाजन समाज के लोगों की जनसंख्या बहुत है, इसलिए उनकी आमसभा यहां आयोजित की गई थी.

जयवर्धन सिंह-प्रियव्रत सिंह
प्रभारी मंत्री जयवर्धन सिंह और ऊर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह खींची ठाकुर समाज से नाता रखते हैं. खिलचीपुर विधानसभा क्षेत्र और राघौगढ़ विधानसभा क्षेत्र में ठाकुर समाज की जनसंख्या बहुत है. माना जा रहा है कि ये नेता पार्टी का वोट बैंक बढ़ाने के लिए समाज के लोगों से जनसंपर्क कर रहे हैं.

टिकट वितरण में जातिगत समीकरण भी एक बहुत बड़ा फैक्टर था. दोनों पार्टियों ने किसी भी बड़ी जाति के व्यक्ति को राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र से अपना उम्मीदवार नहीं बनाया है. राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र में दांगी, सोंधिया और सामान्य लोगों की जनसंख्या काफी है, इसलिए जहां बीजेपी ने धाकड़ समाज के रोडमल नागर को अपना प्रत्याशी बनाया है, वहीं कांग्रेस ने भी ट्रंप कार्ड खेलते हुए धाकड़ समाज की बहू मोना सुस्तानी को अपना प्रत्याशी बनाया है.

राजगढ़। लोकसभा चुनाव में जहां प्रत्याशी जनता को अलग-अलग तरीकों से लुभाने की जीतोड़ कोशिश कर रहे हैं, तो वहीं वोट बैंक को बढ़ाने के लिए जातिगत समीकरण पर भी पैनी नजर रखी जा रही है. इसका उदाहरण है विधानसभा चुनाव में तंवर समाज का कांग्रेस को समर्थन देना. बीजेपी का वोट बैंक माने जाने वाले तंवर समाज ने बीजेपी को दरकिनार कर समाज के बापू सिंह तंवर को अपना समर्थन दिया था, इसलिए राजनीतिक दल प्रचार के दौरान जातिगत समीकरण का ध्यान रखते हैं.

उमा भारती
उमा भारती लोधी समाज की हैं, इसलिए राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र के सुठालिया और तलेन नगर में उनकी आम सभा की गई थी, क्योंकि यहां लोधी समाज का दबदबा है.

अमित शाह
अमित शाह की आमसभा ब्यावरा में की गई थी, क्योंकि इस क्षेत्र में महाजन समाज का दबदबा है. यहां अग्रवाल, जैन और महाजन समाज के लोगों की जनसंख्या बहुत है, इसलिए उनकी आमसभा यहां आयोजित की गई थी.

जयवर्धन सिंह-प्रियव्रत सिंह
प्रभारी मंत्री जयवर्धन सिंह और ऊर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह खींची ठाकुर समाज से नाता रखते हैं. खिलचीपुर विधानसभा क्षेत्र और राघौगढ़ विधानसभा क्षेत्र में ठाकुर समाज की जनसंख्या बहुत है. माना जा रहा है कि ये नेता पार्टी का वोट बैंक बढ़ाने के लिए समाज के लोगों से जनसंपर्क कर रहे हैं.

टिकट वितरण में जातिगत समीकरण भी एक बहुत बड़ा फैक्टर था. दोनों पार्टियों ने किसी भी बड़ी जाति के व्यक्ति को राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र से अपना उम्मीदवार नहीं बनाया है. राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र में दांगी, सोंधिया और सामान्य लोगों की जनसंख्या काफी है, इसलिए जहां बीजेपी ने धाकड़ समाज के रोडमल नागर को अपना प्रत्याशी बनाया है, वहीं कांग्रेस ने भी ट्रंप कार्ड खेलते हुए धाकड़ समाज की बहू मोना सुस्तानी को अपना प्रत्याशी बनाया है.

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mp_rajgarh_jatigat_03-05-2019


राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र में जैसे-जैसे 12 तारीख पास आ रही है और चुनाव की वोटिंग जैसे-जैसे नजदीक आती जा रही है वैसे ही प्रत्याशी और उनकी पार्टी के नेता जनता को अपनी और आकर्षित करने के लिए अनेक प्रयास कर रहे हैं वही जनता के बीच में जातीय समीकरण को देखते हुए नेता उस स्थान को चुन रहे हैं जहां से वह अपनी जाति के लोगों को ज्यादा से ज्यादा अपने पक्ष में कर सके , वही इस जाति समीकरण का एक ताजा उदाहरण अभी हुए विधानसभा चुनाव में देखने को मिला जब भाजपा का वोट बैंक कहे जाने वाले तंवर समाज ने कांग्रेस में अपना मत दिया, राजगढ़ विधानसभा क्षेत्र में तवर समाज का दब दबा माना जाता है और उन्होंने एकतरफा अपने जाति समाज के बापू सिंह तंवर को अपना मत दिया और राजगढ़ विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के प्रत्याशी बापू सिंह तंवर को राजगढ़ विधानसभा से विधायक बनाया । सभी बातों को ध्यान में रखकर पार्टियां राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र में अपना जाति समीकरण साधने में लगी हुई है ऐसे ही कुछ चुनावी सभाएं जो हाल ही में राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत की गई । वहीं प्रत्याशी जातियों के विभिन्न सामाजिक कार्यक्रमों में भी भाग ले रहे हैं जिससे जातिगत समीकरण को अपने पक्ष में कर सकें।


Body:उमा भारती की सभा सुठालिया में

वैसे तो कहा जाता है कि उमा भारती एक साध्वी है परंतु जातीय समीकरण को देखते हुए उनको लोधी समाज का माना जाता है, और उनकी समाज के लोगों को भाजपा के पक्ष में वोट करने के लिए राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र के सुठालिया और तलेन नगर में उनकी एक आम सभा की गई थी, इस सुठालिया और तलेन नगर के आसपास लोधी समाज की वोटिंग प्रतिशत बहुत अधिक है , हो सकता है कि वे लोग अपना मत भाजपा को दे ,इसलिए भाजपा पार्टी ने उमा भारती की आमसभा सुठालिया और तलेन नगर में की थी । वैसे तो उनका दबदबा सारी जातियों में है क्योंकि वे एक राष्ट्रीय नेता है।

जीतू पटवारी का नरसिंहगढ़ क्षेत्र में जनसंपर्क

वहीं जीतू पटवारी ने नरसिंहगढ़ और कुरावर के कुछ ऐसे क्षेत्रों में जनसंपर्क किया, जहां पर पिछड़े वर्ग के लोग ज्यादा निवास करते हैं । वे पिछड़ी जातियों में अपना दबदबा काफी रखते हैं और हो सकता है कि वे चाहते हैं कि यह जनसंपर्क उन लोगों तक काफी पहुंचे और वे लोग कांग्रेस के पक्ष में अपना मतदान करें और नरसिंहगढ़ ,कुरावर में यह सभी लोग उनके पक्ष में वोट करें।

वहीं राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र में अनेक ऐसे नेता हैं जिनका अपनी जाति मैं काफी वर्चस्व है जैसे कि हजारीलाल दांगी समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष है और वह अपने जाति में काफी दबदबा रखते हैं और वे भाजपा के पूर्व विधायक है और भाजपा में ,अभी जिले में अपना काफी वर्चस्व रखते हैं और वे भाजपा के जिले में वरिष्ठ नेताओं में उनके गिनती होती है । वही राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र में राजगढ़ ,खिलचीपुर और ब्यावरा विधानसभा क्षेत्रों में दांगी समाज की जनसंख्या काफी है और भाजपा द्वारा यही अपेक्षा की जा रही है कि हजारीलाल दांगी द्वारा उनकी जाति का मत उनके पक्ष में जाए ।

वहीं अमित शाह की आमसभा भी एक ऐसे शहर में की गई थी जहां पर महाजन समाज का काफी दबदबा है और यहां पर अग्रवाल ,जैन और महाजन समाज की जनसंख्या बहुत है और हो सकता है कि इसी बात को ध्यान में रखते हुए भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष की आम सभा ब्यावरा नगर में की गई थी।




Conclusion:वहीं जिले के प्रभारी मंत्री जयवर्धन सिंह और ऊर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह खींची ठाकुर समाज से अपना नाता रखते हैं और खिलचीपुर विधानसभा क्षेत्र और राघौगढ़ विधानसभा क्षेत्र में ठाकुर समाज की जनसंख्या बहुत है और माना जा रहा है कि यहां नेता भी अपनी समाज को अपनी पार्टी के वोट बैंक में बदलने के लिए उनसे जनसंपर्क कर रहे हैं और उन इलाकों में धोरे कर रहे हैं जहां पर उनकी समाज के लोग ज्यादा रहते हैं। वैसे तो वे हर जाति में अपना दबदबा रखते हैं परंतु उनका वर्चस्व अपनी जाति में भी कम नहीं है जिससे माना जा रहा है कि उनकी जाति के लोग उनके साथ जाना पसंद करेंगे।

वहीं दोनों प्रत्याशी विभिन्न जातियों के हो रहे हैं सामाजिक कार्यक्रमों में भी भाग लेने से पीछे नहीं हट रहे हैं और जातियों के हो रहे विवाह सम्मेलनों में जा जाकर लोगों से मिल रहे हैं ताकि उन जातियों के वोट उनकी तरफ आकर्षित हो सके।


वहीं टिकट वितरण में भी दोनों पार्टियों ने काफी सोच-समझकर जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए अपना टिकट वितरण किया है जहां दोनों पार्टियों ने किसी भी बड़ी जाति के व्यक्ति को राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र से अपना उम्मीदवार नहीं बनाया है राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र में दांगी ,सोंधिया और सामान्य लोगों की जनसंख्या काफी है और कहीं बड़ी जाति के व्यक्ति को अपना प्रत्याशी बनाकर दूसरी बड़ी जाति कौन नाराज नहीं करना चाहते हो इसलिए जहां भाजपा ने धाकड़ समाज के रोडमल नागर को अपना प्रत्याशी बनाया है वही कांग्रेस ने भी ट्रंप कार्ड खेलते हुए धाकड़ समाज की बहू को अपना प्रत्याशी बनाया है ,वहीं हो सकता है कि उन्होंने मोना सुस्तानी के द्वारा भोपाल में भी जाति समीकरण साधने की कोशिश की है ,मोना सुस्तानी जहां धाकड़ समाज की बहू है परंतु वह सिंधी समाज की बेटी भी है वही हो सकता है कि भोपाल में सिंधी समाज को कांग्रेस के प्रति आकर्षित करने के लिए मोना सुस्तानी को राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र से टिकट दिया गया हो।

विसुअल

आमसभा के विसुअल

विवाह सम्मेलन में शामिल होने की जानकारी देती फ़ेसबुक पोस्ट्स।


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