राजगढ़। प्रदेश में मार्च से पहले हफ्ते में बोर्ड परीक्षाएं शुरु होने वाली हैं. जिसके चलते अक्सर देखा जाता है कि छात्र-छात्राएं परीक्षा में परफार्मेंस को लेकर तनाव में आ जाते हैं. जिसकी वजह से कई बार आत्महत्या जैसे गलत कदम उठा लेते हैं. इन तमाम बातों को लेकर ईटीवी भारत ने वरिष्ठ शिक्षक राधेश्याम पुरविया से खास बातचीत की.
टेंशन फ्री होकर दे एग्जाम
वरिष्ठ शिक्षक राधेश्याम पुरविया ने बच्चों से अपील की, कि वे परीक्षा को लेकर टेंशन न लें. तनाव मुक्त होकर परीक्षा दें. साथ ही उन्होंने शिक्षकों के लिए भी संदेश दिया कि शिक्षक बच्चों की काउंसलिंग करें और एक सही एग्जाम स्ट्रेटजी बताएं.
ये स्ट्रेटजी करें फॉलो
राधेश्याम पुरविया बताते हैं कि, एग्जाम से पहले बच्चों को रिवीजन करना चाहिए. इसके अलावा जब परीक्षा शुरु हो, तो बच्चे पेपर की टाइमिंग से कुछ समय पहले एग्जाम सेंटर पहुंचें. जिससे वे थोड़ा रिलेक्स हो जाएंगे. साथ ही जैसे प्रश्न पत्र मिले, तो पहले उसे पढ़ लें और पहले उन्हीं प्रश्नों के उत्तर पहले लिखें, जो आते हों. उन्होंने कहा कि छात्र परीक्षा को परीक्षा ना मानते हुए इसे एक उत्सव की लें और उसमें उत्साह से शामिल हों.
कम नंबर तय नहीं करते भविष्य
शिक्षक राधेश्याम ने कहा कि, अगर मान लो कि किसी छात्र के परीक्षा में कम नंबर भी आ जाते हैं, तो इसमें टेशन लेने वाली बात नहीं है. क्योंकि ये फाइनल रिजल्ट नहीं है. आपका करियर दसवीं या बारहवीं का रिजल्ट तय नहीं करता है. इसके बाद भी आपके पास मौका है. कई प्रतियोगी परीक्षाएं होती हैं, जिनमें आप पहले से अच्छा कर सकते हैं.
कोई भी कदम उठाने से पहले माता-पिता के बारे में सोचें
राधेश्याम पुरविया ने छात्रों को संदेश दिया कि, बच्चों को ध्यान रखना चाहिए कि वे सभी अपने माता-पिता के धरोहर हैं, उन्होंने आपको बड़े ही नाजों से पाला है और आपके किसी गलत कदम से उनका क्या हाल होगा. साथ उन्होंने कहा कि मार्क्स ही सब कुछ नहीं होते हैं, कई ऐसी शख्सियत हैं, जो बहुत कम-पढ़े लिखें या फिर पढ़ाई के दौरान फेल भी हुए हैं, लेकिन उन्हें आज पूरी दुनिया जानती है.