रायसेन। जिले के गौहरगंज तहसील क्षेत्र अंतर्गत एक ऐसा गांव देखने में आया है, जहां बीते 50 वर्षों से लोगों को किसी भी प्रकार की बीमारी ने छुआ तक नहीं है. इतना ही नहीं कोरोना संक्रमण ने भी इस गांव से दूरी बनाए रखी है. पेड़ों की हरियाली और नदी के पानी से ढके होने के कारण गांव का नाम भी लंका रखा गया है. इस लंका ने रावण रूपी कोरोना संक्रमण को अपने से दूर ही रखा है. ग्रामीणों की मानें तो हरियाली से भरपूर शुद्ध वातावरण की वजह से ही उन तक बीमारियों का कोई असर नहीं होता.
कोरोना संक्रमण से कोसों दूर है ये गांव
कोरोना वायरस के संक्रमण ने जहां समूचे विश्व को अपनी जद में जकड़ लिया है तथा शासन और प्रशासन के द्वारा अब इसके रोकथाम को लेकर लगातार जद्दोजहद की जा रही है. इस बीच एमपी का एक ऐसा गांव देखने को मिला है जहां इस संक्रमण ने दूरी बनाई हुई है. बीते 50 वर्षों से यहां के लोगों में किसी भी प्रकार की कोई बीमारी दर्ज नहीं की गई है. गांव के चारों ओर पेड़ों की हरियाली तथा नदियों की कतार है. ऐसे में गांव का नाम भी लंका रखा गया है. जी, हां हम बात कर रहे हैं रायसेन जिले के गोहरगंज तहसील क्षेत्र अंतर्गत तामोट पंचायत के लंका गांव की. जहां पर तकरीबन 1000 पेड़ों की हरियाली होने के वातावरण हमेशा शुद्ध बना रहता है, और यही कारण है कि लोगों में किसी भी प्रकार की कोई बीमारी नहीं है. वहीं, गांव चारों तरफ से नदी से घिरा हुआ है और गांव तक पहुंचने के लिए लोगों को नदी से होकर गुजरना पड़ता है.
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बीते 50 साल से ग्रामीणों में नहीं दिखी कोई बिमारी
ग्रामीणों की मानें तो तामोट पंचायत के इस लंका गांव में विगत 50 वर्षों से 5 परिवार रह रहे हैं. उन्होंने गांव का वातावरण शुद्ध बनाने के लिए चारों तरफ पेड़ों की हरियाली लगाई हुई है, जिसकी वजह से शुद्ध वातावरण में होने के कारण उन्हें बीमारियों से कोई खतरा नहीं होता. इस टापू नुमा जगह को नदी ने चारों ओर से घेरा हुआ है. यही कारण भी है कि इस गांव का नाम लंका रखा गया है. बारिश के दिनों में ग्रामीण लकड़ी के पुल से गुजर कर गांव में आते-जाते हैं