रायसेन। सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती रायसेन में भगवान शिव के सोमेश्वर मंदिर पहुंची. दरअसल, उमा ने पिछले दिनों मंदिर के ताले खोलकर अभिषेक करने का संकल्प लिया था, हालांकि प्रशासन की सख्ती और नियमों के चलते पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती का यह संकल्प पूरा ना हो सका. अब उमा भारती ने कहा कि जब तक मंदिर का ताला नहीं खुलता तब तक के लिए वह व्रत रखेंगी. (Uma Bharti reached someshwar mahadev)
शिव भक्त और पुलिस जवानों के बीच धक्का-मुक्की: पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती जब रायसेन पहुंचीं तो उनके साथ हजारों की संख्या में उनके समर्थक भी साथ रहे जो भगवान शिव को आजाद कराने के नारे लगाते हुए रायसेन दुर्ग के मार्ग पर पहुंचे. इस बीच पुलिस प्रशासन ने सभी रास्तों को बंद कर छावनी में तब्दील कर दिया था, पुलिस ने दुर्ग मार्ग पर बैरिकेड लगाकर रास्तों को बंद कर दिया. इस बीच उमा भारती के साथ आए शिव भक्त और पुलिस के जवानों के बीच धक्का-मुक्की भी हुई. पुलिस ने पत्रकारों को भी किले पर स्थित भगवान शिव के मंदिर पर जाने से रोक दिया प्रशासन से जब उमा भारती ने पत्रकारों को साथ ले जाने की बात कही तब कहीं पुलिस ने पत्रकारों को उमा के साथ जाने की अनुमति दी.
जब तक ताला नहीं खुलता, भोजन ग्रहण नहीं करेंगी उमा: पत्रकारों की मौजूदगी में उमा भारती ने सोमेश्वर धाम पहुंची, जिसके बाद उन्होंने पांच ब्राह्मणों सहित भगवान शिव का अभिषेक मंदिर के गर्भ गृह के बाहर से ही किया क्योंकि मंदिर के दरवाजे पर ताला लगा हुआ था. उमा ने कहा कि जब तक भगवान शिव के गर्भ गृह का ताला नहीं खोला जाता तब तक वह भोजन ग्रहण नहीं करेंगी. उमा ने राजा पूरणमल और उनकी रानी की वीर गाथा सुनाते हुए उन्हें तर्पण भी किया.
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सीएम शिवराज का किया समर्थन: वहीं पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा आज रायसेन जिले की गैरतगंज तहसील के ग्राम कबूला से प्रदेश स्तरीय जल अभिषेक अभियान का स्वागत करते हुए रायसेन किले से ही जल अर्पण कर शिवराज की योजनाओं का समर्थन किया.
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अपनी संस्कृति ही जल संस्कृति है.
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) April 11, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
तुलसीदास जी ने भी कहा था-
समिटि-समिटि जल भरहिं तलावा।
जिमि सद्गुन सज्जन पहिं आवा।
रहीम दास जी भी कह गए हैं- रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून पानी गए न ऊबरे मोती मानुष चून।
तालाब हमारी संस्कृति के अभिन्न अंग है।#JalAbhishekMP https://t.co/XbnITrpQoq pic.twitter.com/rKQkE2R0Tq
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तुलसीदास जी ने भी कहा था-
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रहीम दास जी भी कह गए हैं- रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून पानी गए न ऊबरे मोती मानुष चून।
तालाब हमारी संस्कृति के अभिन्न अंग है।#JalAbhishekMP https://t.co/XbnITrpQoq pic.twitter.com/rKQkE2R0Tqअपनी संस्कृति ही जल संस्कृति है.
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तुलसीदास जी ने भी कहा था-
समिटि-समिटि जल भरहिं तलावा।
जिमि सद्गुन सज्जन पहिं आवा।
रहीम दास जी भी कह गए हैं- रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून पानी गए न ऊबरे मोती मानुष चून।
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जनसभा को संबोधित करते हुए कही यह बात: रायसेन के बाद पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने भोपाल मार्ग पर जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि सोमेश्वर धाम कोई विवादित जगह नहीं है, यहां दोनों ही धर्मों के लोग अपनी-अपनी आस्था के अनुसार पूजा पाठ करते हैं पर दुर्भाग्य है कि आजादी के बाद से कई सरकारें आईं पर भगवान शिव को आजादी नहीं मिली. सन् 1974 में प्रकाश चंद्र सेठी की सरकार ने महज 12 घंटे के लिए महाशिवरात्रि पर शिव मंदिर के ताले खोलने का प्रयास किया था, जो अभी भी जारी है. यहां लोगों की आस्था का केंद्र है और राज्य और केंद्र सरकार को मिलकर श्रद्धालुओं के लिए इसे खोल दिया जाना चाहिए.
सिर्फ 12 घंटे के लिए खुलता है मंदिर: जिला प्रशासन की ओर से कलेक्टर अरविंद दुबे ने एक दिन पहले ही पत्र जारी कर उमा भारती को मंदिर की वस्तुस्थिति से अवगत कराया था. प्रशासन ने उमा भारती को एएसआई के नियमों का हवाला दिया है, जिसके मुताबिक साल में सिर्फ एक बार शिवरात्रि पर मंदिर को महज 12 घंटे के लिए ही खोले जाने का प्रावधान है. अन्य कोई नियम ना होने की वजह से शिव मंदिर को नहीं खोला जा सकता.
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शेरशाह ने भी किया यहां शासन, जानें किले का इतिहास- रायसेन फोर्ट 1100 ईसवीं में बना हुआ प्राचीन किला है. बलुआ पत्थर से बने इस किले के चारों ओर बड़ी-बड़ी चट्टानों की दीवारें हैं. किले में नौ दरवाजे और 13 बुर्ज हैं. इस किले का शानदार इतिहास रहा है यहां कई राजाओं ने शासन किया है, जिनमें से एक शेरशाह सूरी भी था. अपनी मजबूती के लिए प्रसिद्ध इस किले को जीतने में उसे पसीने छूट गए थे. तारीखे शेरशाही के मुताबिक, चार महीने की घेराबंदी के बाद वो यह किला जीत पाया था. उस समय इस किले पर राजा पूरनमल का शासन था. उन्हें जैसे ही ये पता चला कि उनके साथ धोखा हुआ है, तो उन्होंने दुश्मनों से अपनी पत्नी रानी रत्नावली को बचाने के लिए उनका सिर खुद ही काट दिया था. राजा पूरनमल के पास पारस पत्थर होने की कहानी भी बताई जाती है. पारस पत्थर के बारे में माना जाता है कि वह लोहे को सोने में बदल देता है, लेकिन जब राजा राजसेन हार गए तो उन्होंने पारस पत्थर को किले में ही स्थित एक तालाब में फेंक दिया था.
इसलिए बंद है मंदिर के पट: रायसेन के किले में बना सोमेश्वर धाम मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में हुआ था. परमारकालीन राजा उदयादित्य ने इस मंदिर का निर्माण कराया था. इस मंदिर में उस वक्त केवल राजघराने की महिलाएं ही पूजा करती थीं, इसमें 2 शिवलिंग हैं. फिलहाल किले और मंदिर की देखरेख पुरात्तव विभाग करता है. मंदिर पर लगे ताले की चाबी भी विभाग के पास ही है. पुरातत्व विभाग को इस बात की चिंता है कि मंदिर बहुत ऊंचाई पर है. इस ऊंचाई पर इसकी देखभाल करना मुश्किल है. इसलिए अगर इस पर ताला नहीं लगाया और किसी ने कोई हरकत कर दी या तोड़फोड़ कर दी, तो सांप्रदायिक तनाव फैल सकता है.