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आजादी के 70 साल बाद भी इस गांव में नहीं बनी '70 कदम' सड़क, बारिश में कीचड़ से गुजरते हैं ग्रामीण

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Published : Aug 26, 2019, 10:18 PM IST

रायसेन के उदयपुरा में एक गांव ऐसा भी है, जहां आजादी के बाद से अभी तक पक्की सड़क नहीं बनी है और लोग कीचड़ भरी सड़क से गुजरने को मजबूर हैं. हालात ये हैं कि सड़क के अभाव में लोग मरीज को खाट-पलंग पर रखकर अस्पताल ले जाते हैं.

बारिश में कीचड़ से गुजरते हैं ग्रामीण

रायसेन। उदयपुरा तहसील से 15 किलोमीटर दूर गांव जाम है, जहां से दूसरा गांव पांजरा की दूरी लगभग दो किलोमीटर है. इसी गांव को जोड़ने वाली सड़क मुख्यमंत्री सड़क योजना के तहत 2018 में बननी थी, लेकिन निर्माण के दौरान 300 मीटर के करीब सड़क नहीं बनी क्योंकि वहां निजी जमीन होने के चलते विवाद हो गया. जिससे ग्रामवासियों को बारिश के मौसम में कीचड़ वाले रास्ते से गुजरना पड़ता है.

बारिश में कीचड़ से गुजरते हैं ग्रामीण
जाम से पांजरा पहुंचने के लिए एकमात्र यही रास्ता है, इस वजह से स्कूल पढ़ने जाने के लिए छात्र-छात्राओं को इसी रास्ते से गुजरना पड़ता है और बीमार व्यक्तियों को खाट पर लेटाकर डॉक्टर के पास इलाज कराने के लिए ले जाना पड़ता है, इस समस्या के चलते गांव वाले शासन से कई बार गुहार लगा चुके हैं, पर 300 मीटर सड़क अब तक नहीं बन पायी.वहीं विगत दिनों आयोजित आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में जाम गांव के निवासियों ने अपनी समस्या के निराकरण हेतु मंत्री विधायक कलेक्टर आदि को ज्ञापन देकर समस्या के जल्द से जल्द निराकरण की मांग की है, पर अभी तक कुछ नहीं हुआ है

रायसेन। उदयपुरा तहसील से 15 किलोमीटर दूर गांव जाम है, जहां से दूसरा गांव पांजरा की दूरी लगभग दो किलोमीटर है. इसी गांव को जोड़ने वाली सड़क मुख्यमंत्री सड़क योजना के तहत 2018 में बननी थी, लेकिन निर्माण के दौरान 300 मीटर के करीब सड़क नहीं बनी क्योंकि वहां निजी जमीन होने के चलते विवाद हो गया. जिससे ग्रामवासियों को बारिश के मौसम में कीचड़ वाले रास्ते से गुजरना पड़ता है.

बारिश में कीचड़ से गुजरते हैं ग्रामीण
जाम से पांजरा पहुंचने के लिए एकमात्र यही रास्ता है, इस वजह से स्कूल पढ़ने जाने के लिए छात्र-छात्राओं को इसी रास्ते से गुजरना पड़ता है और बीमार व्यक्तियों को खाट पर लेटाकर डॉक्टर के पास इलाज कराने के लिए ले जाना पड़ता है, इस समस्या के चलते गांव वाले शासन से कई बार गुहार लगा चुके हैं, पर 300 मीटर सड़क अब तक नहीं बन पायी.वहीं विगत दिनों आयोजित आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में जाम गांव के निवासियों ने अपनी समस्या के निराकरण हेतु मंत्री विधायक कलेक्टर आदि को ज्ञापन देकर समस्या के जल्द से जल्द निराकरण की मांग की है, पर अभी तक कुछ नहीं हुआ है
Intro:रायसेन-एक गाँव ऐसा भी है जहाँ आजादी के बाद से अभी तक नहीं बनी पक्की सड़क और कीचड़ भरी दलदली सड़क से गुजरने को मजबूर है ग्रामीण, हालात यह है कि सड़क के अभाव में लोग मरीज को खाट पलंग पर रखकर अस्पताल ले जाते हैं मामला है जिले की उदयपुरा तहसील का।Body:रायसेन-जिले की तहसील उदयपुरा से 15 कि.मी. दूर एन.एच 12 पर ग्राम पांजरा है इस गांव के पास एक दूसरा गांव जाम है | जाम से पांजरा की दूरी लगभग दो कि.मी. है | इस गांव को जोड़ने बाली मुख्य मंत्री सड़क 2018 में बननी थी किंतु इस रास्ते का आधे से ज्यादा निर्माण हो चुका है बीच में पड़ने बाली रेंगा नदी पर पुल भी बनाया है पर मात्र 300 मीटर के करीब रास्ते पर रोड नहीं बना है |यह निजी जमीन होने के कारण विवाद की वजह से  रास्ता नहीं बनने दिया।जिससे ग्राम वासियों को बारिश के मौसम में इस कीचड़ वाले रास्ते से गुजरना पड़ता है जाम से पांजरा पहुंचने के लिए एकमात्र रास्ता है इस कारण स्कूल पढ़ने जाने के लिए छात्र छात्राओं को इसी रास्ते से गुजरना पड़ता है और बीमार व्यक्तियों को खाट पर लेटा कर डॉक्टर के पास इलाज कराने के लिए ले जाना पड़ता है उस कारण ग्राम वासियों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है और ग्राम जाम में धर्मो माता मंदिर लोधी समाज का एकमात्र मंदिर है इस धर्म माता मंदिर पर जाने के लिए यही रास्ता पहुंचता है और पूरी लोधी समाज को पूजा करने के लिए इसी रास्ते से मंदिर तक पहुंचना पड़ता है जैसे बहुत परेशानी होती है वही गांव के 70 वर्षीय भवानी प्रसाद लोधी की तवियत विगड़ी तो उन्हे चारपाई पर डालकर इलाज के लिये देवरी ले जाया गया |इस समस्या के चलते ग्रामीण शासन से अनेक बार विभिन्न माध्यमों से गुहार लगा चुके हैं मगर 300 मी.रोड नहीं बन पाया।वही विगत दिनों आ़योजित आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में जाम गांव के निवासियों ने अपनी समस्या के निराकरण हेतु मंत्री विधायक कलेक्टर आदि को ग्यापन देकर समस्या के जल्द से जल्द निराकरण की मांग की है

Byte-विराट अवस्ती प्रभारी तहसीलदार।Conclusion:
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