इंदौर: इंदौर में कान्ह और सरस्वती नदियों के प्रदूषण नियंत्रण और शुद्धिकरण की कार्य योजना के तहत उनके आसपास कई सालों से व्याप्त अतिक्रमण हटाने की तैयारी हो गई है. दरअसल, नदियों के आसपास 3000 से ज्यादा घर बने हुए हैं, जो नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की गाइडलाइन के अनुसार नदी के प्रवाह क्षेत्र में आते हैं. इंदौर जिला प्रशासन ने नदी के दोनों तरफ 30 मीटर के दायरे में बने मकान को हटाने के लिए नोटिस जारी किए हैं. जिनके खिलाफ जल्द ही अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जा सकती है.
नदियों के जीर्णोद्धार के लिए नई योजना तैयार
गौरतलब है कि इंदौर नगर निगम द्वारा इन दोनों नदियों में सीवरेज को जाने से रोकने के लिए नाला टेपिंग की गई थी. हालांकि, इसके बावजूद भी करीब 800 करोड़ रुपए की यह योजना कारगर साबित नहीं हुई. वहीं, उज्जैन सिंहस्थ के पूर्व मध्य प्रदेश सरकार ने नदियों के जीर्णोद्धार के लिए नए सिरे से 1500 करोड़ रुपए की योजना तैयार की है. इस योजना के तहत नदी के प्रवाह क्षेत्र में 12 सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट और 2 इफ्यूलेंट ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जाने हैं.
3000 से ज्यादा मकानों को किया गया चिन्हित
नदी के दोनों ओर कई सालों से बड़ी संख्या में अवैध निर्माण और मकान बने हुए हैं. जिनको नदियों के जीर्णोद्धार के पहले हटाया जाना है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की गाइडलाइन के अनुसार नदी के दोनों ओर प्रवाह क्षेत्र को लेकर बन रही भ्रम की स्थिति को इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह ने स्पष्ट कर दिया है. उन्होंने बताया कि नदी के 30 मीटर के दायरे में बने करीब 3000 से ज्यादा मकानों को चिन्हित कर हटाने के आदेश जारी किए हैं. जिन्हें नोटिस भी भेजे जा रहे हैं.
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राजस्व विभाग ने सर्वे कराकर नोटिस किए जारी
इस मामले में राजस्व विभाग द्वारा नदियों के दोनों ओर सर्वे कर नोटिस भी तामील करवा दिए हैं. ऐसे में आम जनता के बीच एनजीटी के नियमों को लेकर 9 मीटर और 30 मीटर को लेकर भ्रांति बना हुआ है. जिसे स्पष्ट करते हुए कलेक्टर आशीष सिंह ने जानकारी दी कि नालों के आसपास बने निर्माणों के लिए 9 मीटर का प्रावधान है. जबकि नदियों के आसपास बसे निर्माणों के लिए एनजीटी ने 30 मीटर का दायरा तय किया है. इसलिए आम जन कोई भ्रांतियों में न आएं और अपने निर्माण स्वयं हटा लें अन्यथा कुछ दिनों बाद प्रशासन कार्रवाई शुरू करने जा रहा है.