इंदौर: श्राद्ध पक्ष में पितरों की पूजा और दान दक्षिणा का जितना महत्व है, उतना ही महत्व पितरों की पूजा-पाठ के बाद पितृ रूप में कौवों को भोग लगाने का है. यह बात और है कि घटते जंगल और बढ़ती जनसंख्या के कारण अब शहरों में कौवों का मिलना मुश्किल हो चुका है. लिहाजा अब लोग पूजा पाठ के बाद कौवा को ढूंढते नजर आ रहे हैं.
इंदौर में कौवों का मिलना हुआ मुश्किल
दरअसल, इंदौर के मिल क्षेत्र में बीते दौर में बड़ी संख्या में पेड़-पौधे मौजूद थे, जो तरह-तरह के पक्षियों के आश्रय स्थल थे. यहां कौवे भी बड़ी संख्या में पाए जाते थे. अब जबकि शहर के अधिकांश इलाकों में हरियाली सिमटने के बाद सीमेंट कंक्रीट के घर खड़े हो चुके हैं तो पक्षियों खासकर कौवों का दिखना मुश्किल हो चुका है. ऐसी स्थिति में जिन क्षेत्रों में कौवों के मिलने की संभावना रहती है, वहां लोग पूजा के बाद पितरों को लगाए जाने वाले भोग को अर्पित करने के लिए पहुंचते हैं.
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रविदास पुल पर होती है कौवों की खातिरदारी
ऐसी मान्यता है कि कौवों द्वारा खाया जाने वाला उनका भोग पितृ ग्रहण करते हैं. फिलहाल इंदौर के मिल क्षेत्र में मौजूद इलाके में अभी हरियाली होने से कौवे मौजूद हैं, जो रविदास पुल के आसपास नजर आते हैं. यही वजह है कि यहां बड़ी संख्या में लोग पितरों को अर्पित किए जाने वाला भोग कौवों को खिलाने के लिए रविदास ब्रिज की रेलिंग पर रखते हैं. अब स्थिति यह हो गई कि श्राद्ध पक्ष में पितरों को अर्पित किए जाने वाले तरह-तरह के व्यंजन और भोग के कारण पुल भोजन शाला जैसे नजर आता है. इन दिनों यहां स्थिति यह है कि पूरे ब्रिज की रेलिंग पर हर जगह तरह-तरह के पकवानों का भोग सुबह से शाम तक लगता है. यहां पर कौवे और अन्य पक्षी आते हैं, जो इस भोग का आनंद लेते हैं. यही वजह है कि अब यह ब्रिज श्राद्ध पक्ष में पितरों को लगने वाले भोग का एक महत्वपूर्ण स्थान बन चुका है.