ETV Bharat / state

भोपाल एम्स में यूरिन से हो सकेगी प्रोस्टेट कैंसर की जांच, अनावश्यक बायोप्सी से बचेंगे मरीज - BHOPAL AIIMS PROSTATE CANCER TEST

भोपाल एम्स में प्रोस्टेट कैंसर की जांच को आसान बनाने की खोज जारी. यूरिन जांच से प्रोस्टेट कैंसर का लगाया जा सकेगा पता.

BHOPAL AIIMS PROSTATE CANCER TEST
भोपाल एम्स में प्रोस्टेट कैंसर की जांच होगी आसान (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Feb 24, 2025, 1:56 PM IST

भोपाल: अब प्रोस्टेट कैंसर का पता लगाने के लिए बायोप्सी लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि यूरिन की जांच से ही इसका पता लगाया जा सकेगा. दरअसल, प्रोस्टेट कैंसर की प्रारंभिक और सटीक पहचान के लिए एम्स भोपाल के डॉक्टर रिसर्च कर रहे हैं, जिसमें उन्हें आशाजनक परिणाम मिले हैं. अब यदि रिसर्च के परिणाम बेहतर होते हैं, तो नई विधि से प्रोस्टेट कैंसर की जांच हो सकेगी और मरीजों को अनावश्यक बायोप्सी से भी बचाया जा सकेगा.

डॉ. कर्माकर के नेतृत्व में हो रही रिसर्च

एम्स डायरेक्टर डॉ. अजय सिंह ने बताया, "एम्स में डॉक्टर प्रोस्टेट कैंसर को लेकर महत्वपूर्ण खोज कर रहे हैं. पीसीए 3 का उपयोग करके प्रोस्टेट कैंसर के विभिन्न चरणों का निदान किया जाएगा. डॉ. देवधीसित कर्माकर के नेतृत्व में वह शोध किया जा रहा है, जिसमें बायोकेमिस्ट्री विभाग से डॉ. सुखेश मुखर्जी और यूरोलॉजी विभाग से डॉ. केतन मेहरा मार्गदर्शन प्रदान कर रहे हैं."

प्रोस्टेट कैंसर के मामले में छठें नंबर पर भारत

एम्स की टीम इस अध्ययन के माध्यम से पीसीए 3 और पारंपरिक पीएसए परीक्षण की तुलना का अध्ययन कर रही है, जिससे यह निर्धारित किया जा सके कि भारतीय मरीजों के लिए कौन सा परीक्षण अधिक प्रभावी है. यदि इसका पता चल जाए तो भारत में प्रोस्टेट कैंसर की स्क्रीनिंग और उपचार में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है. इससे कैंसर की प्रारंभिक एवं सटीक पहचान संभव हो सकेगी.

एम्स डायरेक्टर डॉ. अजय सिंह के मुताबिक, '' प्रोस्टेट कैंसर दुनियाभर के पुरुषों में पाया जाने वाला दूसरा सबसे आम कैंसर है. भारत में यह छठे स्थान पर है. वर्तमान में डॉक्टर स्क्रीनिंग के लिए प्रोस्टेट स्पेसिफि एंटीजन (पीएसए) टेस्ट का उपयोग करते हैं, लेकिन संक्रमण या प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ने जैसी गैर-कैंसर संबंधी स्थितियों के कारण भी बढ़ सकता है. इससे अनावश्यक बायोप्सी और रोगियों में अनावश्यक मानसिक तनाव उत्पन्न हो सकता है. इस समस्या के समाधान के लिए, एम्स भोपाल में प्रोस्टेट कैंसर एंटीजन 3 अधिक सटीक परीक्षण का मूल्यांकन किया जा रहा है.''

भोपाल: अब प्रोस्टेट कैंसर का पता लगाने के लिए बायोप्सी लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि यूरिन की जांच से ही इसका पता लगाया जा सकेगा. दरअसल, प्रोस्टेट कैंसर की प्रारंभिक और सटीक पहचान के लिए एम्स भोपाल के डॉक्टर रिसर्च कर रहे हैं, जिसमें उन्हें आशाजनक परिणाम मिले हैं. अब यदि रिसर्च के परिणाम बेहतर होते हैं, तो नई विधि से प्रोस्टेट कैंसर की जांच हो सकेगी और मरीजों को अनावश्यक बायोप्सी से भी बचाया जा सकेगा.

डॉ. कर्माकर के नेतृत्व में हो रही रिसर्च

एम्स डायरेक्टर डॉ. अजय सिंह ने बताया, "एम्स में डॉक्टर प्रोस्टेट कैंसर को लेकर महत्वपूर्ण खोज कर रहे हैं. पीसीए 3 का उपयोग करके प्रोस्टेट कैंसर के विभिन्न चरणों का निदान किया जाएगा. डॉ. देवधीसित कर्माकर के नेतृत्व में वह शोध किया जा रहा है, जिसमें बायोकेमिस्ट्री विभाग से डॉ. सुखेश मुखर्जी और यूरोलॉजी विभाग से डॉ. केतन मेहरा मार्गदर्शन प्रदान कर रहे हैं."

प्रोस्टेट कैंसर के मामले में छठें नंबर पर भारत

एम्स की टीम इस अध्ययन के माध्यम से पीसीए 3 और पारंपरिक पीएसए परीक्षण की तुलना का अध्ययन कर रही है, जिससे यह निर्धारित किया जा सके कि भारतीय मरीजों के लिए कौन सा परीक्षण अधिक प्रभावी है. यदि इसका पता चल जाए तो भारत में प्रोस्टेट कैंसर की स्क्रीनिंग और उपचार में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है. इससे कैंसर की प्रारंभिक एवं सटीक पहचान संभव हो सकेगी.

एम्स डायरेक्टर डॉ. अजय सिंह के मुताबिक, '' प्रोस्टेट कैंसर दुनियाभर के पुरुषों में पाया जाने वाला दूसरा सबसे आम कैंसर है. भारत में यह छठे स्थान पर है. वर्तमान में डॉक्टर स्क्रीनिंग के लिए प्रोस्टेट स्पेसिफि एंटीजन (पीएसए) टेस्ट का उपयोग करते हैं, लेकिन संक्रमण या प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ने जैसी गैर-कैंसर संबंधी स्थितियों के कारण भी बढ़ सकता है. इससे अनावश्यक बायोप्सी और रोगियों में अनावश्यक मानसिक तनाव उत्पन्न हो सकता है. इस समस्या के समाधान के लिए, एम्स भोपाल में प्रोस्टेट कैंसर एंटीजन 3 अधिक सटीक परीक्षण का मूल्यांकन किया जा रहा है.''

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.