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ग्रामीणों ने जिसे समझा टाइगर वो निकला लकड़बग्घा - Hardua Raoju Village

पन्ना के दक्षिण वन मंडल के रेपुरा वन विभाग को सूचना मिली थी कि गांव में एक बाघिन घुस गई है. सूचना मिलते ही रैपुरा वन अमला मौके पर पहुंचा और बाघिन का सर्च किया गया. लेकिन गांव में बाघिन नहीं बल्कि लकड़बग्घे के आने के सबूत मिले .

hyena
लकड़बग्घा
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Published : Jun 13, 2020, 4:50 AM IST

पन्ना। पन्ना टाइगर रिजर्व सैलानियों को हमेशा से लुभाता रहा है लेकिन यहां के आसपास के गांव में रहने वाले लोग अक्सर जंगली जानरों की दहशत में रहते हैं.ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जिसमें दक्षिण वन मंडल के रेपुरा वन विभाग को सूचना मिली थी कि गांव में एक बाघिन घुस गई है. सूचना मिलते ही रैपुरा वन अमला मौके पर पहुंचा और बाघिन को सर्च किया लेकिन सर्चिंग और जांच के दौरान गांव में बाघिन नहीं बल्कि लकड़बग्घे के आने के सबूत मिले. हरदुआ रावजू गांव के ग्रामीणों ने बताया कि गांव बाघिन आ गई है, जिसके बाद वनकर्मियों ने हरदुआ रावजू बीट अधराड पहुंचकर संभावित जगह की जांच के साथ इलाके का मुआयना किया.

ग्रामीणों ने जिसे समझा बाघिन, वह निकला लकड़बग्घा

वन विभाग की टीम ने जांच में पाया कि वह बाघिन नहीं थी बल्कि एक लकड़बग्घा था. टीम ने इस बात की पुष्टी पगमार्क को देखकर की है. वन विभाग ने बताया कि बाघिन के पंजे 6 इंच के होते हैं, जबकि लकड़बग्घे के आगे के पंजे 4 इंच और पीछे के पंजे कुत्ते जैसे छोटे-छोटे होते हैं. वन कर्मियों को जांच में लकड़बग्घा का विस्टा मिला है, जो यह साबित करता है कि वह बाघिन नहीं बल्कि लकड़बग्घा था.

दहशत में थे ग्रामीण

हरदुआ रावजू के ग्रामीण ने बताया कि बाघिन के गांव में घुसने की जैसे ही जानकारी ग्रामीणों को मिली वैसे ही गांव में दहशत का माहौल हो गया था, जिसके बाद ग्रामीणों ने इसकी सूचना वन विभाग को दी. वन विभाग के कर्मचारियों ने गांव में सर्चिंग शुरू की, जिसके बाद सामने आया कि जिन ग्रामीणों ने बाघिन को देखने की बात कही थी असल में वो बाघिन नहीं लकड़बग्घा था जो कि भोजन की तलाश में गांव में घुस गया होगा.

बता दें कि संरक्षित क्षेत्र पास होने की वजह से खाने की तलाश में जंगली जानवर अक्सर इंसानों की बस्तियों में घुस आते हैं, जिसमें कई बार इंसान और जानवर के बीच संघर्ष में इंसान और जंगली जानवरों के मरने की खबरें सामने आती रहती हैं.

पन्ना। पन्ना टाइगर रिजर्व सैलानियों को हमेशा से लुभाता रहा है लेकिन यहां के आसपास के गांव में रहने वाले लोग अक्सर जंगली जानरों की दहशत में रहते हैं.ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जिसमें दक्षिण वन मंडल के रेपुरा वन विभाग को सूचना मिली थी कि गांव में एक बाघिन घुस गई है. सूचना मिलते ही रैपुरा वन अमला मौके पर पहुंचा और बाघिन को सर्च किया लेकिन सर्चिंग और जांच के दौरान गांव में बाघिन नहीं बल्कि लकड़बग्घे के आने के सबूत मिले. हरदुआ रावजू गांव के ग्रामीणों ने बताया कि गांव बाघिन आ गई है, जिसके बाद वनकर्मियों ने हरदुआ रावजू बीट अधराड पहुंचकर संभावित जगह की जांच के साथ इलाके का मुआयना किया.

ग्रामीणों ने जिसे समझा बाघिन, वह निकला लकड़बग्घा

वन विभाग की टीम ने जांच में पाया कि वह बाघिन नहीं थी बल्कि एक लकड़बग्घा था. टीम ने इस बात की पुष्टी पगमार्क को देखकर की है. वन विभाग ने बताया कि बाघिन के पंजे 6 इंच के होते हैं, जबकि लकड़बग्घे के आगे के पंजे 4 इंच और पीछे के पंजे कुत्ते जैसे छोटे-छोटे होते हैं. वन कर्मियों को जांच में लकड़बग्घा का विस्टा मिला है, जो यह साबित करता है कि वह बाघिन नहीं बल्कि लकड़बग्घा था.

दहशत में थे ग्रामीण

हरदुआ रावजू के ग्रामीण ने बताया कि बाघिन के गांव में घुसने की जैसे ही जानकारी ग्रामीणों को मिली वैसे ही गांव में दहशत का माहौल हो गया था, जिसके बाद ग्रामीणों ने इसकी सूचना वन विभाग को दी. वन विभाग के कर्मचारियों ने गांव में सर्चिंग शुरू की, जिसके बाद सामने आया कि जिन ग्रामीणों ने बाघिन को देखने की बात कही थी असल में वो बाघिन नहीं लकड़बग्घा था जो कि भोजन की तलाश में गांव में घुस गया होगा.

बता दें कि संरक्षित क्षेत्र पास होने की वजह से खाने की तलाश में जंगली जानवर अक्सर इंसानों की बस्तियों में घुस आते हैं, जिसमें कई बार इंसान और जानवर के बीच संघर्ष में इंसान और जंगली जानवरों के मरने की खबरें सामने आती रहती हैं.

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