पन्ना। कोरोना महामारी के दौरान मुश्किलों से जूझ रहे गरीब परिवारों की मदद के लिए सरकार दावें तो कर रही है और मदद के नाम पर करोड़ों का बजट पानी की तरह बहा रही है, फिर भी जरूरतमंदों तक मदद नहीं पहुंच पाई है. पन्ना जिले के भरवारा ग्राम पंचायत में निवास करने वाले लोहगढ़िया घुमक्कड़ जाति के लोगों के सामने दो वक्त की रोटी का संकट खड़ा हो गया है, जिन्हें दो वक्त का खाना भी नसीब नहीं हो पा रहा है.
घुमक्कड़ जाति को नहीं मिल रहा दो वक्त का खाना
घुमक्कड़ जाति वैसे तो अपना घर नहीं बनाते, लेकिन परिस्थितियों के चलते विगत दस सालों से पन्ना जिले के भरवारा ग्राम पंचायत में वेयर हाउस के पास झुग्गी-झोपड़ी बनाकर रह रहे हैं. जहां कम शिक्षित लोग लोहे को पीटकर उनसे कुल्हाड़ी, हंसिया, खुरपी, फावड़ा, कड़ाही, तवा जैसे उपयोगी बर्तन-औजार बनाकर आस-पास के गांव जा जाकर बेचते हैं. जिससे उनके परिवार का जीवन यापन होता है, लेकिन इस साल कोरोना के चलते उनका ये काम ठप पड़ गया है.
शासकीय योजनाओं का नहीं मिल रहा लाभ
विडंबना ये है कि उनके छोटे-छोटे बच्चे भी रो-रो कर भूखे सो जाते हैं. इनकी कोई सुध लेने वाला भी नहीं है. इनका नाम पिछले दस सालों से पंचायत में जुड़ा हुआ है, इसके बावजूद इन्हें शासकीय खाद्यान्न नहीं मिल पा रहा है.
पंचायत नहीं दे रहा खाद्यान्न
अपना दर्द बयां करते हुए समुदाय के लोगों ने बताया कि अगर हम खाद्यान्न लेने जाते भी हैं तो जिम्मेदार लोग दुत्कार कर भगा देते हैं. भूख से तड़पते बच्चों पर शासन और प्रशासन का ध्यान नहीं है. वैसे तो कागजों पर घुमक्कड़ समाज के विकास के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन समुदाय का विकास होना तो दूर आज भी वो शासन की तमाम योजनाओं से वंचित हैं. जिसके चलते वे अपने परिवार और बच्चों को दो वक्त का खाना भी नहीं खिला पा रहे हैं.
शासन और प्रशासन कर रहा अनदेखी
शासन और प्रशासन की अनदेखी से ये परिवार रोटी, कपड़ा और मकान जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. इन परिवारों के बच्चे शिक्षा के अधिकार से भी वंचित हैं. सरकारी दस्तावेजों में तमाम योजनाएं संचालित होने के बाद भी उनकी दशा में सुधार नहीं हो रहा है. आज भी ये झोपड़ियों में रहने को मजबूर हैं, इनको न तो खाद्यान्न योजना का लाभ मिला और न ही पीएम आवास योजना का लाभ मिल पाया है.