नीमच। प्रदेश में इस समय कोरोना के हालात बेकाबू होते जा रहे हैं. स्थिति ये है कि कोरोना से मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है. नीमच में भी यही हाल बना हुआ है. जिले में कोरोना मृतकों की संख्या तेजी से बढ़ी है. 10 अप्रैल से 29 अप्रैल तक के आंकड़ों पर नजर डालें, तो जिले में करीब 194 शवों का कोविड प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार हुआ है. नीमच के श्रीगोविंद बैकुंट धाम पर जो मंजर इस समय मंजर है, वह शायद इससे पहले किसी ने कभी नहीं देखा होगा. एक चिता की राख ठंडी भी नहीं होती है और दूसरा शव अंतिम संस्कार के लिए पहुंच जाता है. लेकिन सरकारी आंकड़ों पर अगर नजर डालें, तो सबकुछ ठीक नजर आता है. ऐसे में सरकारी आंकड़ों पर भी सवाल उठने लगे हैं.
एक महीने में जितनी मौत, उतनी सालभर में नहीं
महामारी के इस दौर में जिले में जितनी मौतें हो रहीं हैं. सरकारी दस्तावेजों में मृतकों की उतनी संख्या महीनेभर में भी नहीं पहुंचती. अप्रैल महीने में प्रशासन ने 10 से 29 तारीख के बीच करीब 151 लोगों की मौत छिपाई. दरअसल इन बीस दिनों में कुल 194 लोगों का अंतिम संस्कार कोरोना प्रोटोकॉल के तहत हुआ था. लेकिन सरकारी दस्तावेजों में महज 43 मौतें ही दर्ज थीं. इस तरह से 151 लोगों की मौत के आंकड़े छिपाए गए. सरकारी दस्तावेजों में अगर एक साल के आंकड़ों पर नजर डालें, तो सिर्फ 83 मौत ही कोरोना से हुई हैं. जबकि इसके दोगुने से भी ज्यादा शव साल 2021 के अप्रैल महीने में ही जला दिए गए. इस बात का खुलासा
ऑक्सीजन पर जिंदगी
जिला अस्पताल की स्थिति दिन-प्रतिदिन और बिगड़ती जा रही है. अचानक मरीजों की संख्या बढ़ने से ऑक्सीजन की डिमांड भी बढ़ गई है. जिसको पूरा करना अस्पताल प्रबंधन के लिए बड़ी चुनौती बन गया है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी पशोपेश की स्थिति में हैं. मौजूदा स्थिति की बात करें, तो अभी जिला अस्पताल में इलाज करा रहे 100 से ज्यादा मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं. CMHO महेश मालवीय ने बताया कि ऑक्सीजन के लिए हर दिन मशक्कत करनी पड़ रही है.
ये आंकड़े हैं गवाह
जिले में 10 अप्रैल से 29 अप्रैल तक कुल 194 मौतें कोरोना से हुईंं. ये आंकड़े नीमच नगर पालिका की तरफ से कोरोना प्रोटोकॉल के तहत किए गए अंतिम संस्कार में देखे गए हैं.
अप्रैल महीने में मौत का सिलसिला
नीमच जिले में अप्रैल महीने के पहले हफ्ते में सबसे पहली मौत 5 अप्रैल को हुई. इसके बाद 10 अप्रैल से मौत का सिलसिला शुरू हो गया. 10 से 15 अप्रैल तक हर दिन 2 से 7 मौतें होने लगी. जबकि 20 अप्रैल से ये रफ्तार दोगुनी हो गई. एक ही दिन में 10 से 15 मरीजों की मौत होने लगी. स्थिति ये रही कि 30 अप्रैल तक जिले में कोरोना से 194 लोगों ने दम तोड़ दिया.
दूसरी लहर खतरनाक, 1 से 10 लोग हो रहे संक्रमित
कोरोना की दूसरी लहर काफी खतरनाक साबित हो रही है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी इस बात से सहमत हैं. पिछली लहर में हम देख रहे थे कि किसी एक व्यक्ति के संक्रमित होने पर परिवार के दूसरे सदस्य ज्यादा इन्फेक्टेड नहीं हो रहे थे. एक-दो केस ही सामने आते थे. लेकिन दूसरी लहर में परिवार के कई सदस्य भी तेजी संक्रमित हो रहे हैं. इतना ही नहीं, पिछली बार कोरोना संक्रमित व्यक्ति का बुखार चार से पांच दिन में उतर जाता था. लेकिन इस बार कई संक्रमितों का बुखार 10-10 दिन तक नहीं जा रहा है.
आंकड़ों पर अधिकारी-मंत्री का तर्क
आंकड़ों में हेराफेरी के मामले में अधिकारी और मंत्री के तर्क भी सुनने को मिले. CMHO महेश मालवीय ने कहा कि मौत के बाद कई लोगों के अभी दस्तावेज नहीं मिल पाए हैं या रिपोर्ट नहीं आई है. जब तक स्थिति साफ नहीं हो जाती तब तक उन्हें संदिग्ध मानते हुए सरकारी दस्तावेजों में उनकी फिलहाल कोरोना से मौत नहीं दर्शाई जा सकती. CMHO ने आगे कहा कि जितनी भी मौत कोरोना से हुई है उनके दस्तावेज आते ही बुलेटिन में संख्या अपडेट कर दी जाएगी. वहीं मौत के आंकड़े छिपाए जाने के सवाल पर कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा ने कुछ और ही तर्क दिया. उन्होंने कहा, 'कोरोना संक्रमित जब नेगेटिव हो जाता है और उसके बाद उसकी मौत होती है, तो उसे हेल्थ बुलिटिन में नहीं जोड़ा जाता है.'