सागर: बुंदेलखंड के दमोह जिले के तेंदूखेडा विकासखंड के दोनी गांव की बात करें, तो ये गांव कलचुरी कालीन इतिहास के अध्ययन का बड़ा क्षेत्र माना जाता है. यहां पिछले तीन महीनों से चल रहे सर्वे में पुरातत्व विभाग को बड़ी सफलता मिली है. एक 70 फीट ऊंचे भव्य मंदिर के अवशेष मिलना शुरू हुए हैं. खास बात ये है कि अगर इस मंदिर के 70 फीसदी अवशेष पुरातत्व विभाग को मिल गए, तो ये मंदिर फिर अपने पुराने स्वरूप और वैभव में वापस आएगा. खास बात ये है कि इसकी चर्चा जोरों पर इसलिए है कि इसकी तुलना लोग संभल के मंदिरों से कर रहे हैं.
क्या इन मंदिरों की संभल के मंदिरों से कोई एकरूपता है या इनका इतिहास आपस में जुड़ा हुआ है. इन दावों पर हमने पुरातत्ववेत्ताओं से जब बात की, तो कई ऐसे खुलासे सामने आए हैं, जो बताते हैं कि आज भले दोनी एक छोटे से गांव के रूप में जाना जाता हो, लेकिन सैकड़ों साल पहले ये गांव अपने वैभव, कला और सौंदर्य के लिए एक अलग पहचान रखता था.
बुंदेलखंड के दोनी गांव में बिखरा पड़ा है कलचुरीकालीन इतिहास
बुंदेलखंड के दोनी गांव की बात करें, तो ये इलाका आज से नहीं पिछले कई सालों से पुरातत्ववेत्ताओं के अध्ययन और शोध का केंद्र रहा है, क्योंकि ये गांव कलचुरीकाल के इतिहास, वैभव और धर्मनिष्ठा की कहानी कहता है. इस गांव में कलचुरीकाल के सात मंदिरों के अवशेष पडे़ हुए हैं. ये सात मंदिर के अवशेष खुद अपने वैभव, स्थापत्यकला और सौंदर्य की कहानी कहते हैं. इन अवशेषों से पता चलता है कि ये गांव जरूर कलचुरीकाल में धार्मिक आस्था का बड़ा केंद्र रहा होगा, क्योंकि इस गांव में जो मंदिरों के अवशेष मिले हैं, उनके अध्ययन से पता चलता है कि यहां बनाए गए मंदिर अपनी कला और अद्भुत सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध रहे होंगे.
हालांकि इन मंदिरों के बारे में पुरातत्ववेत्ता सालों से जानते हैं, लेकिन इस बार ये इसलिए चर्चा में है, क्योंकि पिछले तीन माह से यहां पर मध्य प्रदेश सरकार का पुरातत्व विभाग का सर्वे चल रहा है. इस सर्वे में एक बड़ी उम्मीद जगी है. दरअसल, यहां एक मंदिर के अवशेष काफी संख्या में मिले हैं. अगर किसी ध्वस्त हो चुके पुरातत्व महत्व के स्थान के 80 फीसदी से ज्यादा अवशेष मिलते हैं, तो इसका पुनर्निर्माण किया जाता है.
भगवान शिव से जुड़ा है मंदिरों का समूह
तेंदूखेड़ा के दोनी गांव में जो मंदिरों का समूह है. ये करीब 14 सौ साल पुराना बताया जा रहा है. ये सभी मंदिर भगवान शिव से संबंधित है. एक मंदिर के काफी मात्रा में अवशेष मिले हैं. दोनी में करीब 35 मूर्तियां मिली है, इसके अलावा मंदिर के अन्य अवशेष मिले हैं. जिस मंदिर के सबसे ज्यादा अवशेष मिले हैं, उसके बारे में अंदाजा लगाया जा रहा है कि ये करीब 70 फीट ऊंचा, विशाल और भव्य मंदिर होगा. यहां पर भगवान शिव, पार्वती, गणेश, उमा महेश्वर, नाग देवता और जलहरी के अवशेष मिले हैं. फिलहाल सर्वे जारी है और प्रयास चल रहा है कि इस मंदिर के अवशेष 80 प्रतिशत से ज्यादा हो जाने पर इसका फिर से निर्माण किया जाए.
सोशल मीडिया में संभल से तुलना
इस मंदिर को लेकर सोशल मीडिया पर काफी चर्चाएं चल रही है. ज्यादातर लोग इसे मुगल आक्रमणकारियों द्वारा नष्ट किया मंदिर बताकर संभल से तुलना कर रहे हैं, लेकिन पुरातत्व विभाग इसको लेकर आश्वस्त नही हैं कि ये मंदिर आक्रमण में ध्वस्त हुआ या फिर प्राकृतिक कारणों या किसी दूसरी वजह से ध्वस्त हुआ.
प्रोफेसर डाॅ नागेश दुबे बताते हैं कि "सोशल मीडिया में कहा जा रहा है कि मंदिर खुदाई में मिले हैं और संभल से तुलना की जा रही है. ये जो सात मंदिर समूह के अवशेष हैं, वो खुदाई में नहीं मिले हैं. ये पहले से ही सतह पर थे, लेकिन ध्वस्त हो चुके थे. उनके अवशेषों का संग्रह किया जा रहा है.
संभल का मंदिर लगभग सौ डेढ़ सौ साल पुराने हैं. जो मंदिर दोनी में मिल रहे हैं, वो 14 सौ साल पुराने कलचुरी कालीन मंदिर है. इतिहासकार बताते हैं कि युवराज देव प्रथम के समय ये मंदिर बने थे, क्योंकि कलचुरी शैव धर्म को मानने वाले थे. हालांकि कलचुरी सहिष्णु थे, लेकिन शैव धर्म उनका राजधर्म था. जो मंदिर में मूर्तियां मिली है, वो शैवधर्म से संबंधित है. जिनमें पार्वती, गणेश, उमा महेश्वर,जलहरी,नाग देवता के अवशेष मिल रहे हैं. ये बहुत पुराने मंदिर हैं, इनका अस्तित्व पहले से पता था.
सर्वेक्षण में ये और प्रकाश में आ गए हैं, इनका वर्गीकरण हो जाएगा और किसी एक मंदिर के बहुत ज्यादा अवशेष मिलने पर मंदिर पुनर्जीवित किया जा सकता है. इस मामले में राज्य पुरातत्व विभाग और ग्वालियर सर्किल इसमें लगा हुआ है. मुझे विश्वास है कि दोनी एक कलचुरीकालीन प्रसिद्ध स्थल के रूप में जाना जाएगा."
क्या कहते हैं पुरातत्ववेत्ता
सागर के डाॅ हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय के प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ नागेश दुबे कहते हैं कि "दमोह का जो दोनी गांव है, ये तेंदूखेडा इलाके में पड़ता है. तेंदूखेड़ा से लगभग 25 किमी दूर दोनी गांव में कलचुरी कालीन मंदिर मिले है. इन मंदिरों की पहली से जानकारी थी, इनका पहले कई शोध पत्रों में उल्लेख भी मिलता है. वर्तमान में पुरातत्व विभाग भोपाल द्वारा यहां सर्वे कराया गया है. यहां पर ध्वस्त मंदिरों का समूह है, जिसमें लगभग सात मंदिरों अस्तित्व देखने मिला है.
इन मंदिरों के ध्वंसावशेष को इकट्ठा किया जा रहा है. इन अवशेषों को चिन्हित कर उनकी पहचान की जा रही है कि मंदिर के किस हिस्से का कौन सा अवशेष रहा होगा. सभी पत्थर अलंकृत पत्थर है, मंदिर के चबूतरे से लेकर जंघा भाग, शिखर भाग और मंदिर के गर्भगृह के चारों तरफ जो पत्थर लगाए जाते थे. उनके अवशेष यहां मिलना शुरू हो गए हैं.
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भोपाल में पुरातत्व विभाग की आयुक्त प्रो. उर्मिला शुक्ला के निर्देशन में सर्वे का काम चल रहा है. डाॅ रमेश यादव की देखरेख में ये काम हो रहा है. वहीं ग्वालियर सर्किल के पी सी महोबिया भी सर्वे का काम देख रहे हैं. लगभग तीन महीने से सर्वे का काम चल रहा है. यहां अवशेषों को इकट्ठा करके वर्गीकरण किया जा रहा है. डाॅ रमेश यादव का कहना है कि "हमें किसी मंदिर के 80 प्रतिशत अवशेष मिल जाते हैं, तो हम उसका पुनर्निर्माण कर सकते हैं. इस दिशा में हम लोग लगे हुए हैं. सात मंदिर के अवशेषों में यदि किसी एक मंदिर के अवशेष मिल जाएंगे, तो ये काम किया जा सकता है.