नरसिंहपुर। जिले के आम गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कंप्यूटर ऑपरेटर कि जॉब करने वाली निधी गुप्ता जन्म से ही दिव्यांग हैं, लेकिन उन्होंने कभी भी दिव्यांगता को अपने हौसले की दीवार नहीं बनने दिया है.
कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर पदस्थ दिव्यांग निधी गुप्ता, लोगों के लिए बनीं मिसाल
नरसिंहपुर के आमगांव कि रहने वाली निधी गुप्ता जन्म से ही दिव्यांग हैं. दिव्यांग होने के बावजूद निधी आमगांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कंप्यूटर ऑपरेटर के रुप में पदस्थ हैं.
लोगों के लिए निधी गुप्ता है प्रेरणा
नरसिंहपुर। जिले के आम गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कंप्यूटर ऑपरेटर कि जॉब करने वाली निधी गुप्ता जन्म से ही दिव्यांग हैं, लेकिन उन्होंने कभी भी दिव्यांगता को अपने हौसले की दीवार नहीं बनने दिया है.
Intro:आज 3 दिसंबर यानी विकलांग दिवस और आज हम आपको एक ऐसी खास शख्सियत से मिला मिलाते हैं जिसने विकलांगता की परिभाषा ही बदल कर रख दी है मिलिए ग्रामीण वनांचल की रहने वाली जन्म से ही दिव्यांग निधि गुप्ता से जिसने कभी भी विकलांगता को अपने हौसले की आगे दीवार नहीं बनने दिया.
Body:आज 3 दिसंबर यानी विकलांग दिवस और आज हम आपको एक ऐसी खास शख्सियत से मिला मिलाते हैं जिसने विकलांगता की परिभाषा ही बदल कर रख दी है मिलिए ग्रामीण वनांचल की रहने वाली जन्म से ही दिव्यांग निधि गुप्ता से जिसने कभी भी विकलांगता को अपने हौसले की आगे दीवार नहीं बनने दिया..
दोनों हाथ नहीं पर हौसला आसमा को बाहों में समेट लेने का... हर काम को अपने दम पर करने का जज्बा जी हां हम बात कर रहे हैं निधि गुप्ता की जिसके साथ जन्म से ही कुदरत ने अजीब खेल खेला ईश्वर ने एक और तो उसे अपाहिज का जीवन दिया पर उसके अंदर जो जीवन जीने का हौसला दिया वह अपने आप में खुद मिसाल बन गई
आज हम एक ऐसी लड़की से रूबरू करा रहे हैं जिसके जन्म से हाथ नहीं है मगर उसे कभी अपने हाथों की कमी महसूस नहीं हुई है और वह कभी किसी के लिए पोज नहीं बनी और आज नरसिंहपुर के आम गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कंप्यूटर ऑपरेटर का जॉब कर रही है गुजरात में भले ही उसे हाथ नहीं दिए लेकिन उसके पैरों में कुदरत के लिखे हुए अध्याय को ही बदल कर रख दिया है स्वावलंबन आत्मनिर्भरता की जो मिसाल बनकर निधि सामने आई है वह कम ही देखने को मिलती है लेकिन दिव्यांग होते हुए भी निधि ने जो मुकाम हासिल किया है वह उन तमाम दिव्यांगों के लिए प्रेरणा का सबक है जो अपने आप को कमजोर और असहाय महसूस करते हैं बचपन से ही निधि ने कभी भी हाथ ना होने का गम महसूस नहीं किया और पैरों को उसने अपनी ढाल बनाकर पढ़ लिख कर इतना आगे बढ़ी कि उसे उसने पढ़े लिखे समाज को ही पीछे छोड़ दिया पैरों से लेकर ही उसने पहले दिए आईटीआई पैरामेडिकल बीसीए और बीएसडब्ल्यू कर चुकी है और जिसके दम पर आज वह कंप्यूटर ऑपरेटर की जॉब को बखूबी कर रही है और डाटा एंट्री ऑपरेटर काम पैरों के दम पर करती है
निधि बताती हैं कि यदि कुछ करने की इच्छा हो तो उसे पूरा किया जा सकता है समाज ने भी मुझे कई बार समाज ने अनदेखा किया है लेकिन फिर भी मैंने अपने संघर्ष के लिए लड़ाई लड़ी है और मैं सारे काम अपने पैरों से करती हूं यहां तक कि पढ़ाई भी मैंने पैरों से ही की है बस निधि का कहना है कि इंसान की अगर मन में कुछ लगन हो तो वह उसे पूरा कर सकता है अपने अंदर हौसला होना चाहिए
वही आमगांव बड़ा में पदस्थ डॉक्टर का कहना है कि निधि स्वाबलंबी की एक मिसाल है समाज को इनसे सीख लेना चाहिए सरकार जो बच्चियों के लिए योजना चला रही है उन सब को प्रोत्साहन देने के लिए निधि एक मिसाल है लोगों को निधि से सीख लेना चाहिए जो बच्चियां कमजोर और असहाय महसूस करती हैं उन्हें निधि से सीख लेने की जरूरत है डॉक्टर कहते हैं कि निधि कंप्यूटर का सारा काम बड़ी आसानी से कर लेती है और कभी कोई गलती नहीं करती
वाइट01 निधि गुप्ता दिव्यांग
वाइट02 डॉक्टर जयराम सिंह प्राथमिक उप स्वास्थ्य केंद्र आमगांव बड़ा
Conclusion:निधि ने कभी भी हाथ ना होने का गम महसूस नहीं किया और पैरों को उसने अपनी ढाल बनाकर पढ़ लिख कर इतना आगे बढ़ी कि उसे उसने पढ़े लिखे समाज को ही पीछे छोड़ दिया पैरों से लेकर ही उसने पहले दिए आईटीआई पैरामेडिकल बीसीए और बीएसडब्ल्यू कर चुकी है और जिसके दम पर आज वह कंप्यूटर ऑपरेटर की जॉब को बखूबी कर रही है और डाटा एंट्री ऑपरेटर काम पैरों के दम पर करती है
Body:आज 3 दिसंबर यानी विकलांग दिवस और आज हम आपको एक ऐसी खास शख्सियत से मिला मिलाते हैं जिसने विकलांगता की परिभाषा ही बदल कर रख दी है मिलिए ग्रामीण वनांचल की रहने वाली जन्म से ही दिव्यांग निधि गुप्ता से जिसने कभी भी विकलांगता को अपने हौसले की आगे दीवार नहीं बनने दिया..
दोनों हाथ नहीं पर हौसला आसमा को बाहों में समेट लेने का... हर काम को अपने दम पर करने का जज्बा जी हां हम बात कर रहे हैं निधि गुप्ता की जिसके साथ जन्म से ही कुदरत ने अजीब खेल खेला ईश्वर ने एक और तो उसे अपाहिज का जीवन दिया पर उसके अंदर जो जीवन जीने का हौसला दिया वह अपने आप में खुद मिसाल बन गई
आज हम एक ऐसी लड़की से रूबरू करा रहे हैं जिसके जन्म से हाथ नहीं है मगर उसे कभी अपने हाथों की कमी महसूस नहीं हुई है और वह कभी किसी के लिए पोज नहीं बनी और आज नरसिंहपुर के आम गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कंप्यूटर ऑपरेटर का जॉब कर रही है गुजरात में भले ही उसे हाथ नहीं दिए लेकिन उसके पैरों में कुदरत के लिखे हुए अध्याय को ही बदल कर रख दिया है स्वावलंबन आत्मनिर्भरता की जो मिसाल बनकर निधि सामने आई है वह कम ही देखने को मिलती है लेकिन दिव्यांग होते हुए भी निधि ने जो मुकाम हासिल किया है वह उन तमाम दिव्यांगों के लिए प्रेरणा का सबक है जो अपने आप को कमजोर और असहाय महसूस करते हैं बचपन से ही निधि ने कभी भी हाथ ना होने का गम महसूस नहीं किया और पैरों को उसने अपनी ढाल बनाकर पढ़ लिख कर इतना आगे बढ़ी कि उसे उसने पढ़े लिखे समाज को ही पीछे छोड़ दिया पैरों से लेकर ही उसने पहले दिए आईटीआई पैरामेडिकल बीसीए और बीएसडब्ल्यू कर चुकी है और जिसके दम पर आज वह कंप्यूटर ऑपरेटर की जॉब को बखूबी कर रही है और डाटा एंट्री ऑपरेटर काम पैरों के दम पर करती है
निधि बताती हैं कि यदि कुछ करने की इच्छा हो तो उसे पूरा किया जा सकता है समाज ने भी मुझे कई बार समाज ने अनदेखा किया है लेकिन फिर भी मैंने अपने संघर्ष के लिए लड़ाई लड़ी है और मैं सारे काम अपने पैरों से करती हूं यहां तक कि पढ़ाई भी मैंने पैरों से ही की है बस निधि का कहना है कि इंसान की अगर मन में कुछ लगन हो तो वह उसे पूरा कर सकता है अपने अंदर हौसला होना चाहिए
वही आमगांव बड़ा में पदस्थ डॉक्टर का कहना है कि निधि स्वाबलंबी की एक मिसाल है समाज को इनसे सीख लेना चाहिए सरकार जो बच्चियों के लिए योजना चला रही है उन सब को प्रोत्साहन देने के लिए निधि एक मिसाल है लोगों को निधि से सीख लेना चाहिए जो बच्चियां कमजोर और असहाय महसूस करती हैं उन्हें निधि से सीख लेने की जरूरत है डॉक्टर कहते हैं कि निधि कंप्यूटर का सारा काम बड़ी आसानी से कर लेती है और कभी कोई गलती नहीं करती
वाइट01 निधि गुप्ता दिव्यांग
वाइट02 डॉक्टर जयराम सिंह प्राथमिक उप स्वास्थ्य केंद्र आमगांव बड़ा
Conclusion:निधि ने कभी भी हाथ ना होने का गम महसूस नहीं किया और पैरों को उसने अपनी ढाल बनाकर पढ़ लिख कर इतना आगे बढ़ी कि उसे उसने पढ़े लिखे समाज को ही पीछे छोड़ दिया पैरों से लेकर ही उसने पहले दिए आईटीआई पैरामेडिकल बीसीए और बीएसडब्ल्यू कर चुकी है और जिसके दम पर आज वह कंप्यूटर ऑपरेटर की जॉब को बखूबी कर रही है और डाटा एंट्री ऑपरेटर काम पैरों के दम पर करती है
Last Updated : Dec 3, 2019, 2:03 PM IST