नरसिंहपुर। जिले के किसान लम्बे समय से खाद की किल्लत से जूझ रहे थे, जिसके बाद पर्याप्त मात्रा में वेयर हाउस और समितियों के पास मोटे दाने वाला यूरिया उपलब्ध कराया गया, लेकिन किसान मोटे दाने वाले यूरिया खाद को लेने से इनकार कर रहे हैं.
मोटे दाने वाले यूरिया से हो रहा फसलों को नुकसान
सरकार किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयास तो कर ही रही है, लेकिन किसानों को पर्याप्त मात्रा में इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है, किसानों के साथ यूरिया की समस्या जिले में बनी हुई है और किसानों को बारीक दाने का यूरिया पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पा रहा है, किसानों को मोटे दानों वाले यूरिया को खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, हालांकि जिले भर में पर्याप्त मात्रा में वेयर हाउस और समितियों के पास यूरिया मौजूद है, लेकिन वह मोटे दाने का है, जिसे किसान लेना पसंद नहीं करते, किसान मानते हैं कि मोटे दाने के यूरिया में फसल की पैदावार कम हो जाती है और उपार्जन में अंतर आता है और यह देरी से खुलता है इसमें अधिक मात्रा में पानी लगता है, जिसकी वजह से इसे किसान लेना पसंद नहीं करते है, और पतले दाने की यूरियां में पानी कम लगता है जल्दी घुल जाता है और इसमें चिकनाई रहती है, जो फसल की पैदावार के लिए बेहतर होती है, और यह जल्दी असर दिखाता है, लेकिन मोटे दाने का यूरिया धीरे-धीरे घुलता है और पानी अधिक लगने के कारण इसे किसान पसंद नहीं करते.
'मोटे दाने वाले यूरिया फसलों को पहुंचाते हैं फायदा'
हेमचंद्र झा केंद्र प्रभारी बताते हैं कि किसान पुरानी पद्धति पर चल रहे हैं, जिसके चलते वह मोटे दाने का यूरिया नहीं खरीद रहे हैं, पतले यूरिया की मांग इसलिए करते हैं, क्योंकि वो जल्दी घुल जाता है. हेमचंद्र झा का कहना है कि मोटे दाने वाले यूरिया फसलों को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं, बल्कि वह फसलों के लिए फायदेमंद हैं, यह धीरे-धीरे खुलते हैं और फसल को बेहतर बनाते हैं, लेकिन किसान पुरानी परंपरा के अनुसार चल रहे हैं, उसी पद्धति पर कार्य कर रहे हैं, इसलिए वह मोटे दाने की यूरिया को लेने से इनकार कर रहे हैं और उसे पसंद नहीं कर रहे हैं.