राजगढ़: (अब्दुल वसीम अंसारी) मालवा के खानपान की मध्य प्रदेश ही नहीं पूरे देश में तारीफ होती है. पोहा-जलेबी, कचौरी, रबड़ी से लेकर दाल-बाटी और दाल-बाफले का स्वाद हर कोई लेना चाहता है और मालवा से बेहतर टेस्ट कहीं नहीं मिल सकता. दाल-बाफले राजगढ़ का पारंपरिक भोजन है. ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में पंसद किया जाता है. यहां बस स्टैंड पर दाल-बाफले का एक फैमस ढाबा है जहां हर मंगलवार और शनिवार को इसे खाने लोगों की लंबी लाइन लगती है.
दाल-बाफले के लिए लगती है लंबी कतार
राजगढ़ में नवीन बस स्टैंड पर स्थित एक टीन शेड में लगने वाले ढाबे पर मंगलवार और शनिवार की शाम ग्राहकों की लंबी कतार देखने को मिलती है. इसकी वजह है यहां बनने वाले दाल बाफले, जिसका हर कोई दीवाना है. ये सिर्फ राजगढ़ जिले में ही नहीं बल्कि भोपाल, इंदौर तक प्रसिद्ध है. लोग बनने के पहले ही अपनी अपनी प्लेटों की संख्या बुक कर जाते हैं. शाम होते ही लोग इसका स्वाद लेने पहुंचने लगते हैं.
लंबी प्रोसेस के बाद तैयार होते हैं दाल बाफले
ढाबा संचालक रवि मेवाड़े ने बताया कि "हर मंगलवार और शनिवार स्पेशल दाल बाफले बनाते हैं. जिसके लिए हम सुबह 10 बजे से काम पर लगते हैं और ये शाम 7 बजे तक तैयार हो पाते हैं. बाफले बनाने के लिए 5 तरह का आटा इस्तेमाल करते हैं. बाफलों को अच्छी तरह से उबाला जाता है और फिर उन्हें सेंककर तैयार किया जाता है. 3 प्रकार की दालों को मिक्स कर दाल तैयार करते हैं."
'कई बार ग्राहकों को देना पड़ता है टोकन'
ढाबा संचालक रवि बताते हैं कि "वे दाल बाफले पिछले 7 वर्षों से बना रहे हैं लेकिन पिछले 2 सालों से उनका ढाबा फेमस हुआ है. अब हर मंगलवार और शनिवार ग्राहकों की लंबी कतारें लगती है और कभी-कभी तो ग्राहकों को उन्हें टोकन भी देना पड़ जाता है. यह के दाल बाफले सिर्फ राजगढ़ जिले में ही नहीं बल्कि भोपाल और इंदौर से भी लोग खाने आते हैं."
'इंदौर में भी नहीं मिला ऐसा स्वाद'
राजेश पवार इंदौर के हैं और राजगढ़ में निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेज में इलेक्ट्रिकल का काम देख रहे हैं. वे सुबह शाम इसी ढाबे पर ही खाना खाते हैं. दाल बाफले के बारे में राजेश कहते हैं कि "मैं पिछले डेढ़ महीने से यहां भोजन कर रहा हूं. मंगलवार और शनिवार को बनने वाले दाल बाफले मैं भी हर बार खाता हूं और यहां जैसा स्वाद तो इंदौर में भी नहीं मिला."
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जानिए क्या होते हैं दाल-बाफले
दाल-बाफला दाल बाटी का ही एक दूसरा रूप है. बाटी को सेंकने के बाद डायरेक्ट खाया जाता है और बाफले को सेंकने के बाद इसे उबाला जाता है और नरम बनाया जाता है. गेहूं, चना समेत कुछ आटों को मिक्स कर थोड़े से नमक, दही और पानी के साथ गूंथ लिया जाता है और फिर बाफले तैयार किए जाते हैं. वहीं तुवर दाल, चना दाल, मूंग दाल का उपयोग करके इसकी दाल तैयार की जाती है. दालों को कुछ घंटों के लिए पानी में भिगोने के बाद उबाला जाता है. हरी मिर्च, लहसुन और कुछ मसाले जैसे हींग, लाल मिर्च, हल्दी, धनिया, अदरक के साथ फ्राई करके इसे तैयार कर इसे बाफले के साथ परोसा जाता है.