ETV Bharat / state

सैकड़ों खिलाड़ियों के लिए 'गुरू द्रोण' बने कोच रामचंद्र तोमर, फ्री कोचिंग देकर पहुंचाया बुलंदियों पर

मुरैना में फुटबॉल खिलाड़ी रामचंद्र तोमर अपना करियर छोड़ कर निशुल्क लड़कियों को फुटबाल की ट्रेनिंग दे रहें हैं. जिसमें से 900 खिलाड़ी राज्य स्तर पर और 5 लड़कियां नेशनल स्तर तक पहुंच चुकी हैं.

Morena's football 'girls'
मुरैना की फुटबॉल 'गर्ल्स'
author img

By

Published : Feb 6, 2020, 4:02 PM IST

मुरैना। फुटबॉल खेलती ये लड़कियां मुरैना की हैं, जहां एक जमाने में लड़कियों का पैदा होना ही अभिशाप माना जाता था. लेकिन आज ये बदलते मुरैना की कहानी बयां कर रही हैं. जो अपने बुलंद इरादों और हौसले से फुटबॉल के खेल में अपना जलवा दिखाने की कोशिश में जुटी हैं.

मुरैना की फुटबॉल 'गर्ल्स'


इन लड़कियों की इस कोशिश को परवान चढ़ाने का काम कर रहे हैं मुरैना के फुटबॉल खिलाड़ी रामचंद्र तोमर, जो अपना करियर छोड़कर इन लड़कियों को फुटबॉल की ट्रेनिंग दे रहे हैं. रामचंद्र मुरैना के 900 खिलाड़ियों को फुटबॉल खेलना सिखा रहे हैं. जिनमें अधिकतर लड़कियां हैं. रामचंद्र की मेहनत रंग भी ला रही हैं, क्योंकि रामचंद्र की कोचिंग में फुटबॉल सीखने वाली पांच लड़कियां नेशनल स्तर तक पहुंच चुकी हैं.


रामचंद्र कहते हैं कि सुविधाओं के अभाव में उन्हें फुटबॉल खेलना बीच में ही छोड़ना पड़ा. लेकिन फुटबॉल से उनका प्यार कम नहीं हुआ. लेकिन एक कोच बन कर वह मुरैना के बच्चों को फुटबॉल के गुर सिखा रहे हैं.


खास बात यह है कि फुटबॉल सीखने में मुरैना की लड़कियां भी उत्साह दिखा रही हैं, लेकिन कोच रामचंद्र और इन फुटबॉल खिलाड़ियों की मेहनत पर प्रशासन की लापरवाही पानी फेर रही हैं. क्योंकि मुरैना के पुलिस ग्राउंड पर ये लड़कियां कोच रामचंद्र के निर्देशन में फुटबॉल तो सीख रही है लेकिन सुविधाओं के आभाव में है.


अब सवाल यह है कि कोच रामचंद्र अपना दायित्व निभा रहे हैं, लेकिन शासन और प्रशासन भी अपना दायित्व निभाते हुए इस ग्राउंड की हालत को सुधारने का काम करें तो इन लड़िकयों को फुटबॉल की दुनिया में अपना जलवा विखेरने से कोई नहीं रोक सकता है.

मुरैना। फुटबॉल खेलती ये लड़कियां मुरैना की हैं, जहां एक जमाने में लड़कियों का पैदा होना ही अभिशाप माना जाता था. लेकिन आज ये बदलते मुरैना की कहानी बयां कर रही हैं. जो अपने बुलंद इरादों और हौसले से फुटबॉल के खेल में अपना जलवा दिखाने की कोशिश में जुटी हैं.

मुरैना की फुटबॉल 'गर्ल्स'


इन लड़कियों की इस कोशिश को परवान चढ़ाने का काम कर रहे हैं मुरैना के फुटबॉल खिलाड़ी रामचंद्र तोमर, जो अपना करियर छोड़कर इन लड़कियों को फुटबॉल की ट्रेनिंग दे रहे हैं. रामचंद्र मुरैना के 900 खिलाड़ियों को फुटबॉल खेलना सिखा रहे हैं. जिनमें अधिकतर लड़कियां हैं. रामचंद्र की मेहनत रंग भी ला रही हैं, क्योंकि रामचंद्र की कोचिंग में फुटबॉल सीखने वाली पांच लड़कियां नेशनल स्तर तक पहुंच चुकी हैं.


रामचंद्र कहते हैं कि सुविधाओं के अभाव में उन्हें फुटबॉल खेलना बीच में ही छोड़ना पड़ा. लेकिन फुटबॉल से उनका प्यार कम नहीं हुआ. लेकिन एक कोच बन कर वह मुरैना के बच्चों को फुटबॉल के गुर सिखा रहे हैं.


खास बात यह है कि फुटबॉल सीखने में मुरैना की लड़कियां भी उत्साह दिखा रही हैं, लेकिन कोच रामचंद्र और इन फुटबॉल खिलाड़ियों की मेहनत पर प्रशासन की लापरवाही पानी फेर रही हैं. क्योंकि मुरैना के पुलिस ग्राउंड पर ये लड़कियां कोच रामचंद्र के निर्देशन में फुटबॉल तो सीख रही है लेकिन सुविधाओं के आभाव में है.


अब सवाल यह है कि कोच रामचंद्र अपना दायित्व निभा रहे हैं, लेकिन शासन और प्रशासन भी अपना दायित्व निभाते हुए इस ग्राउंड की हालत को सुधारने का काम करें तो इन लड़िकयों को फुटबॉल की दुनिया में अपना जलवा विखेरने से कोई नहीं रोक सकता है.

Intro:एंकर - मुरैना जिले में एक समय ऐसा था जब बच्चियों को अभिशाप माना जाता था। लड़कियों के शिक्षा और बाहर नौकरी के लिए जाने की बात तो बहुत दूर की थी। पर अब हालात बदल रहे हैं इसके लिए सरकार की योजनाओं के अलावा कई सामाजिक स्तर पर किए जा रहे प्रयास भी अहम भूमिका निभा रहे है। ऐसे ही एक भूमिका निभा रहे हैं मुरैना के फुटबॉल खिलाड़ी रामचंद्र तोमर जिन्होंने अपने खिलाड़ी कैरियर को छोड़कर बच्चों के कैरियर को संवारने का प्रण लिया और मुरैना से लगभग 900 बच्चों को राज्य स्तरीय, 5 बच्चों को नेशनल स्तर तक फुटबॉल खेल में पहुंचाया है। जिसमें सबसे अहम बात है कि बच्चियां भी शामिल है। आज भी रामचंद्र तौमर बच्चों को निशुल्क फुटबॉल की ट्रेनिंग दे रहे हैं,जिसमें सबसे अधिक लड़कियां शामिल है।




Body:वीओ1 - मुरैना जैसे जिले में फुटबॉल की एक अलख जगाने का काम रामचंद्र तोमर ने किया है। बिना कोच और जरूरी सुविधाओं के अभाव में रामचंद्र तोमर फुटबॉल में बहुत कुछ नहीं कर पाए। पर रामचंद्र ने बच्चों के लिए कोच की भूमिका में एक रास्ता बनाया। फुटबॉल में नाम रोशन करने का रामचंद्र के सिखाएं हुए बच्चे आज प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर नाम रोशन कर रहे हैं । वहीं लड़कियों को लेकर जिस तरह से परिजनों को समझाया और उनको खेल के मैदान में लेकर आए उसका नतीजा है। कि आज मुरैना से लड़कियां भी नेशनल स्तर पर फुटबॉल खेलने जा रही हैं।

बाइट1 - रामचंद्र तौमर - कोच।



वीओ2 - पहले तो घर से बच्चियों का निकलना ही मुश्किल था पर अब धीरे-धीरे सोच में परिवर्तन आया। पर खेल को लेकर आज भी लोगों की सोच में इतना परिवर्तन नहीं आया। वही लड़कियों को खराब मैदान में चोट लगने का डर इन सबके कारण बच्चियों को मैदान से दूर ही रखा जाता था। पर रामचंद्र तोमर ने घर-घर जाकर लोगों को समझाया और उसके बाद आज हालत बदले और खेल के मैदान में बच्चियों भी जमकर प्रैक्टिस कर रही है।

बाइट2 - प्रिया दुबे - खिलाड़ी।
बाइट3 - खुशी - खिलाड़ी।
बाइट4 - ऋतु शर्मा - खिलाड़ी।
बाइट5 - ईशा सिकरवार - खिलाड़ी।




Conclusion:वीओ3 - पुलिस ग्राउंड पर फुटबॉल कोचिंग तो सिखाई जा रही है। पर बिना मदद के कई अभावों में बच्चे फुटबॉल सीख रहे हैं, यहां तक कि पीने के लिए पानी और मैदान में भर जाने वाले पानी को निकालने की व्यवस्था भी नहीं है। कई बार शिकायत करने के बाद भी नगर निगम सुनवाई नहीं करता सामान भी बच्चे अपने पैसे जमा करके लेकर आते हैं।

ओमप्रकाश गोले
स्ट्रिंगर मुरैना
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.