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दूध के व्यापार ने 7 साल में चंबल के दो भाईयों को बनाया करोड़पति, जानिए अमीर बनने की काली कहानी - देवेंद्र गुर्जर

मुरैना के ग्रामीण इलाके में रहने वाले दो भाई दूध के व्यापार के जरिए महज 7 साल में करोड़पति बन गए, लेकिन जब अमीर बनने के पीछे की कहानी लोगों को पता चली, तो वे सन्न रह गए.

फाइल फोटो
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Published : Jul 30, 2019, 2:54 PM IST

भोपाल। मध्यप्रदेश में मुरैना जिले के एक गांव में रहने वाले दो भाई दूध के व्यापार के जरिए महज 7 साल में करोड़पति बन गए, लेकिन जब उनके ठिकानों पर छापा मारा गया तो इस बात का खुलासा हुआ कि दोनों भाई अपनी मेहनत और लगन से करोड़पति नहीं बने हैं, बल्कि सिंथेटिक दूध बनाकर अमीर हुए हैं.


मुरैना जिले के गांव ढकपुर के रहने वाले जयवीर गुर्जर और देवेंद्र गुर्जर सात साल पहले अपनी बाइक पर दूध बेचने का छोटा मोटा धंधा किया करते थे, लेकिन आज ये दोनों भाई करोड़ों के मिल्क चिलर प्लांट, दूध कंटेनर, तीन आलीशान बंगले और लग्जरी कार के मालिक हैं और वो भी केवल 7 सालों में. इन भाईयों ने इतनी संपत्ति अपने सिंथेटिक दूध बनाने के गोरखधंधे से बनाई है. इस बात का खुलासा मध्यप्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने किया.


आपको बता दें कि ईटीवी भारत ने चंबल में सिंथेटिक दूध बनाने के गोरखधंधे का खुलासा किया था, जिसके बाद प्रशासन ने चंबल क्षेत्र में डेयरी संचालकों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई की थी.


जांच में पता चला कि इन दोनों भाईयों के अलावा चंबल में कुछ अन्य डेयरी मालिकों के नाम पर भी एफआईआर दर्ज की गई है, जो सिंथेटिक दूध बेचकर केवल पांच से सात साल में अमीर हो गए. ये धीमे जहर के व्यापारी मध्यप्रदेश में ही नहीं, बल्कि हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भी दूध की प्रसिद्ध कंपनियों को सिंथेटिक दूध बेचा करते थे.
एसटीएफ के पुलिस अधीक्षक राजेश भदौरिया का कहना है कि जांच में खुलासा हुआ है मुख्य व्यक्तियों में से छह आरोपी देवेंद्र गुर्जर, जयवीर गुर्जर, रामनरेश गुर्जर, दिनेश शर्मा, संतोष सिंह और राजीव गुप्ता के पास बड़ी संपत्ति थी. इतने कम समय में उनके जीवन स्तर में बहुत तेजी से बदलाव आया है, इसके चलते हम आर्थिक पहलुओं की जांच कर रहे हैं और इस मामले को आयकर विभाग को भी सौंपा जाएगा.


सिंथेटिक दूध का बनाने के लिए ग्लूकोज, यूरिया, रिफाइंड तेल, दूध पावडर और पानी को मिलाकर बनाया जाता है इसे बनाने कि लिए हाइड्रोजन पराक्साइड सहित अन्य रसायनों का भी उपयोग किया जाता है, इस तरह से बनाए गये दूध को धीमा जहर भी कहा जाता है.

भोपाल। मध्यप्रदेश में मुरैना जिले के एक गांव में रहने वाले दो भाई दूध के व्यापार के जरिए महज 7 साल में करोड़पति बन गए, लेकिन जब उनके ठिकानों पर छापा मारा गया तो इस बात का खुलासा हुआ कि दोनों भाई अपनी मेहनत और लगन से करोड़पति नहीं बने हैं, बल्कि सिंथेटिक दूध बनाकर अमीर हुए हैं.


मुरैना जिले के गांव ढकपुर के रहने वाले जयवीर गुर्जर और देवेंद्र गुर्जर सात साल पहले अपनी बाइक पर दूध बेचने का छोटा मोटा धंधा किया करते थे, लेकिन आज ये दोनों भाई करोड़ों के मिल्क चिलर प्लांट, दूध कंटेनर, तीन आलीशान बंगले और लग्जरी कार के मालिक हैं और वो भी केवल 7 सालों में. इन भाईयों ने इतनी संपत्ति अपने सिंथेटिक दूध बनाने के गोरखधंधे से बनाई है. इस बात का खुलासा मध्यप्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने किया.


आपको बता दें कि ईटीवी भारत ने चंबल में सिंथेटिक दूध बनाने के गोरखधंधे का खुलासा किया था, जिसके बाद प्रशासन ने चंबल क्षेत्र में डेयरी संचालकों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई की थी.


जांच में पता चला कि इन दोनों भाईयों के अलावा चंबल में कुछ अन्य डेयरी मालिकों के नाम पर भी एफआईआर दर्ज की गई है, जो सिंथेटिक दूध बेचकर केवल पांच से सात साल में अमीर हो गए. ये धीमे जहर के व्यापारी मध्यप्रदेश में ही नहीं, बल्कि हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भी दूध की प्रसिद्ध कंपनियों को सिंथेटिक दूध बेचा करते थे.
एसटीएफ के पुलिस अधीक्षक राजेश भदौरिया का कहना है कि जांच में खुलासा हुआ है मुख्य व्यक्तियों में से छह आरोपी देवेंद्र गुर्जर, जयवीर गुर्जर, रामनरेश गुर्जर, दिनेश शर्मा, संतोष सिंह और राजीव गुप्ता के पास बड़ी संपत्ति थी. इतने कम समय में उनके जीवन स्तर में बहुत तेजी से बदलाव आया है, इसके चलते हम आर्थिक पहलुओं की जांच कर रहे हैं और इस मामले को आयकर विभाग को भी सौंपा जाएगा.


सिंथेटिक दूध का बनाने के लिए ग्लूकोज, यूरिया, रिफाइंड तेल, दूध पावडर और पानी को मिलाकर बनाया जाता है इसे बनाने कि लिए हाइड्रोजन पराक्साइड सहित अन्य रसायनों का भी उपयोग किया जाता है, इस तरह से बनाए गये दूध को धीमा जहर भी कहा जाता है.

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