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स्कूल तो चलें हम पर कहां पढ़ें हम, जब स्कूल ही बन गया साइकिल का गोदाम - government school becoming a bicycle company in morena

मुरैना के शासकीय नवीन हाई स्कूल के हालत ये है कि नया शिक्षण सत्र शुरू हुए एक पखवाड़ा बीतने वाला है, बावजूद इसके क्लासरूम में साइकिलों से ठसाठस भरे हैं और सवाल करने पर जिम्मेदार एक दूसरे को टोपी पहना रहे हैं.

स्कूल को बना दिया साइकिल गोदाम
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Published : Jul 12, 2019, 3:30 PM IST

मुरैना। स्कूल चलें हम, सब पढ़ें सब बढ़े, पढ़ेगा इंडिया तो बढ़ेगा इंडिया, जैसे स्लोगन जिधर भी नजर घुमाएंगे, उधर ही नजर आ जाएंगे. पर ये बच्चे तालीम के लिए घर से निकल भी जायें तो जायें कहां क्योंकि मुरैना के शासकीय नवीन हाई स्कूल को साइकिल का गोदाम बना दिया गया है और सवाल करने पर जिम्मेदार एक दूसरे को टोपी पहना रहे हैं, जबकि नया शिक्षण सत्र शुरू हुए एक पखवाड़ा बीतने वाला है, बावजूद इसके क्लासरूम में साइकिलों से ठसाठस भरे हैं. स्कूल भवन को गोदाम बनाने की अनुमति देने वाले प्रभारी प्रधानाचार्य का जवाब भी अब आपको सुनवाते हैं कि कैसे खंड शिक्षा अधिकारी ने उन पर दबाव बनाकर उनसे ये काम करवाया है.

स्कूल को बना दिया साइकिल गोदाम

वहीं स्कूल को साइकिल गोदाम बनाने पर हमारे सहयोगी ने जब बीईओ से सवाल किया तो उन्होंने अपने सिर की टोपी बीआरसी के सिर पर डाल दी.बीआरसी कृष्ण ने बताया कि इस संबंध में उन्हें कोई जानकारी नहीं है और स्कूल परिसर में पिछले कई सालों से साइकिल गोदाम बनता आ रहा है.प्रदेश का ये कोई इकलौता स्कूल नहीं है,जहां विद्यालय को साइकिल असेंबल सेंटर बना दिया गया है, बल्कि सूबे के ज्यादातर स्कूल अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं, कहीं स्कूल है तो शिक्षक नहीं, कहीं शिक्षक हैं भवन नहीं, कहीं भवन है तो छात्र नहीं, जबकि कई स्कूल पानी और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाओं से भी महरूम हैं तो कहीं जर्जर भवन मासूमों के सिर पर मौत की तरह मंडरा रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बुनियादी सुविधाओं के बिना सिर्फ नारों में ही संवारा जायेगा देश का भविष्य या इसके लिए सरकार कोई मुकम्मल कदम उठायेगी.

मुरैना। स्कूल चलें हम, सब पढ़ें सब बढ़े, पढ़ेगा इंडिया तो बढ़ेगा इंडिया, जैसे स्लोगन जिधर भी नजर घुमाएंगे, उधर ही नजर आ जाएंगे. पर ये बच्चे तालीम के लिए घर से निकल भी जायें तो जायें कहां क्योंकि मुरैना के शासकीय नवीन हाई स्कूल को साइकिल का गोदाम बना दिया गया है और सवाल करने पर जिम्मेदार एक दूसरे को टोपी पहना रहे हैं, जबकि नया शिक्षण सत्र शुरू हुए एक पखवाड़ा बीतने वाला है, बावजूद इसके क्लासरूम में साइकिलों से ठसाठस भरे हैं. स्कूल भवन को गोदाम बनाने की अनुमति देने वाले प्रभारी प्रधानाचार्य का जवाब भी अब आपको सुनवाते हैं कि कैसे खंड शिक्षा अधिकारी ने उन पर दबाव बनाकर उनसे ये काम करवाया है.

स्कूल को बना दिया साइकिल गोदाम

वहीं स्कूल को साइकिल गोदाम बनाने पर हमारे सहयोगी ने जब बीईओ से सवाल किया तो उन्होंने अपने सिर की टोपी बीआरसी के सिर पर डाल दी.बीआरसी कृष्ण ने बताया कि इस संबंध में उन्हें कोई जानकारी नहीं है और स्कूल परिसर में पिछले कई सालों से साइकिल गोदाम बनता आ रहा है.प्रदेश का ये कोई इकलौता स्कूल नहीं है,जहां विद्यालय को साइकिल असेंबल सेंटर बना दिया गया है, बल्कि सूबे के ज्यादातर स्कूल अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं, कहीं स्कूल है तो शिक्षक नहीं, कहीं शिक्षक हैं भवन नहीं, कहीं भवन है तो छात्र नहीं, जबकि कई स्कूल पानी और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाओं से भी महरूम हैं तो कहीं जर्जर भवन मासूमों के सिर पर मौत की तरह मंडरा रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बुनियादी सुविधाओं के बिना सिर्फ नारों में ही संवारा जायेगा देश का भविष्य या इसके लिए सरकार कोई मुकम्मल कदम उठायेगी.

Intro:शासन और उच्च न्यायालय के आदेशों की ताजिया किस तरह उड़ाई जा रही हैं इसका उदाहरण मुरैना जिले में देखने को मिल रहा है जहां शासकीय स्कूल भवन शिक्षा के मंदिर में हो कर साइकिल कंपनी के गोदाम बनकर रह गए हैं खास बात तो यह है कि शिक्षा के मंदिर यानी कि स्कूल भवन को साइकिल सप्लाई करने वाली कंपनी को गोदाम के रूप में उपयोग करने की अनुमति किसने दी इसकी जानकारी किसी भी अधिकारी के पास नहीं है जल स्कूल परिसर और क्लासरूम को साइकिल मटेरियल का गोदाम किसकी अनुमति से बनाया गया यह सवाल शासकीय हाई स्कूल क्रमांक 1 के प्राचार्य सत्यदेव शर्मा से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि भी हो के द्वारा जबरन मौके का आदेश दिया गया और साइकिल कंपनी के लिए क्लासरूम खोलने के लिए दवाब बनाया गया यही बात जब भी उतर हटिया से जानना चाही तो उन्होंने बीआरसी क्यों इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जॉकी बीआरसी श्री कृष्ण ने कहा के संबंध में मुझे कोई जानकारी नहीं है साइकिल कंपनी के प्रतिनिधि और बताइए से ही बात होती है जिस परिसर में साईकिल रखी गई हैं वहां वो का ही ऑफिस है यही नहीं मेरी तो पदस्थापना अभी हाल ही में हुई है जबकि 20 वर्षों से यहां पदस्थ हैं और स्कूल परिसर में बरसों से साइकिल का गोदाम बनता आ रहा है अलबत्ता जिम्मेदार कोई भी हो और नुकसान नौनिहाल छात्रों की पढ़ाई का होना है ।


Body:क्या तो कर विद्यालय परिसर का उपयोग शैक्षणिक कार्य के अलावा किसी अन्य कार्य में न किया जाए जैसे छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो किस बात की आदेश उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए उच्च न्यायालय के आदेशों के पालन में मध्यप्रदेश शासन द्वारा भी आदेश जारी किए गए और इसका उदाहरण भी कई बार देखने को मिला जब सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए शासकीय विद्यालयों के भवन देने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया बावजूद इसके मुरैना जिले में हर ब्लॉक स्तर पर एक विद्यालय परिसर को साइकिल कंपनी का गोदाम बना दिया गया जबकि यह जिम्मेदारी साइकिल कंपनी की है कि वह साइकिल असेंबल कर तैयार करने के बाद वितरण के समय विद्यालय तक पहुंचाए लेकिन मुरैना जिले में साइकिल कंपनी द्वारा क्लासरूम को गोदाम बना कर विद्यालय परिसरों में ही साइकिल असेंबल की जा रही हैं यह काम पिछले एक माह से चल रहा है और अभी 1 माह से अधिक और चलने वाला है ऐसे में लंबे समय तक छात्रों की पढ़ाई प्रभावित होगी जिसकी जवाबदारी कोई भी अधिकारी लेने को तैयार नहीं है और अधिकारियों की लापरवाही साइकिल कंपनी को मोटा मुनाफा पहुंचाने में मददगार है अगर यह स्थिति पूरे प्रदेश में है तो साइकिल कंपनी को करोड़ों रुपया असेंबल साइकिल परिवहन बचेगा साथ ही स्थानीय स्तर पर शायरों के लिए जो गोदाम किराए से लेने थे उसकी भी बड़ी रकम बचकर मोटा मुनाफा होगा


Conclusion:जिले के सभी विकास खंडों में 11 विद्यालय साइकिल कंपनी के गोदाम के रूप में अघोषित रूप से देने के लिए कोई भी अपनी जिम्मेदारी तय करने को तैयार नहीं है चाहे विद्यालय के प्राचार्य हो विकासखंड शिक्षा अधिकारी हो या फिर खंड स्रोत समन्वयक अधिकारी सभी इस मामले में एक दूसरे पर दोष ठोकने में लगे हैं पर कहीं ना कहीं कंपनी को लाभ पहुंचाने में विभाग का पूरा सिस्टम सहयोगी बना हुआ है
बाईट 1 - सत्यदेव शर्मा - प्रभारी प्राचार्य , शा नवीन हाई स्कूल क्र 1 मुरैना
बाईट - 2 बी आर तरेटिया - विकाश खंड शिक्षा अधिकारी (B E O ) मुरैना
बाईट 3- श्रीकृष्ण सिंह सिकरवार - खंड स्रोत समन्वयक ( B R C C) विकास खंड मुरैना
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