मुरैना/जयपुर। गांधीवादी विचारक डॉ. एसएन सुब्बाराव का बुधवार सुबह जयपुर में निधन हो गया. वो 93 साल के थे और बीते छह दिनों से वो SMS हॉस्पिटल में इलाजरत थे. मिली जानकारी के मुताबिक, मंगलवार शाम हार्ट अटैक आने के बाद उनकी तबीयत ज्यादा खराब हो गयी थी. इलाजरत सुब्बाराव से राजस्थान के सीएम ने मुलाकात कर उनकी तबीयत का हाल भी जाना था. श्रमदान के लिए मशहूर इस गांधीवादी नेता का मध्य प्रदेश के मुरैना से खास लगाव रहा है. उन्होंने मुरैना में 672 डकैतों का आत्मसमर्पण कराया था. युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत माने जाने वाले डा. एसएन सुब्बाराव मूल रूप से कर्नाटक के रहने वाले थे. बुधवार शाम तक जौरा गांधी आश्रम में डॉ एसएन सुब्बाराव का पार्थिव शरीर आएगा. जौरा में डकैत समर्पण स्थल पर उनका अंतिम संस्कार हो सकता है.
नहीं रहे गांधीवादी विचारक डॉ. एसएन सुब्बाराव, जयपुर के SMS अस्पताल में ली अंतिम सांस
672 डकैतों का कराया था आत्मसमर्पण
चम्बल को दस्यु मुक्त करने में डॉ. एस एन सुब्बाराब का बड़ा योगदान रहा है. उन्होंने एक साथ 672 डकैतों का समर्पण कराया था. गांधीवादी विचारों को स्थापित करने के लिए उन्होंने 1954 में चंबल में कदम रखा था. शांति के प्रेरक डॉ. सुब्बाराव ने चंबल घाटी में डाकू उन्मूलन के लिए वर्षा काम किया था. वो निरंतर डकैतों के संपर्क में रहे और उनका ह्दय परिवर्तन कराने में सफल रहे. चंबल घाटी शांति मिशन के तहत उन्होंने बड़ी संख्या में डकैतों का एक साथ समपर्ण कराया था. जौरा के गांधी सेवाश्रम में आयोजित सरेंडर कार्यक्रम में उनसे प्रेरित होकर मौहर सिंह और माधौ सिंह जैसे बड़े डकैतों ने हथियार डाल दिये थे.
महज 13 साल की उम्र में जुड़ गए आजादी आंदोलन से
गांधीवादी विचारक डॉ. एसएन सुब्बाराव का जन्म कर्नाटक के बेंगलुरु में 7 फरवरी 1929 को हुआ था. सुब्बाराव स्कूल में पढ़ते समय महात्मा गांधी की शिक्षा से प्रेरित थे. वह 9 अगस्त 1942 को महज 13 साल की उम्र में आजादी आंदोलन से जुड़ गए थे. ब्रिटिश पुलिस द्वारा गिरफ्तार करने पर उन्होंने दीवार पर 'QUIT INDIA' लिखा था. तभी से सुब्बा राव स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय हो गए थे. उन्होंने छात्र जीवन के दौरान स्टूडेंट कांग्रेस और राष्ट्र सेवा दल के कार्यक्रमों में भाग लिया था.
पद्मश्री सहित कई उपाधियों से हुए सम्मानित
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के भारत छोड़ो आंदोलन के सहभागी रहे प्रख्यात गांधीवादी विचारक डॉक्टर एसएन सुबाराव 'पद्मश्री' से सम्मानित हुए थे. उन्हें 1995 में राष्ट्रीय युवा परियोजना का राष्ट्रीय युवा पुरस्कार मिला. 1995 में ही डी.लिट काशी विद्या पीठ द्वारा सम्मानित उपाधि, भारतीय एकता पुरस्कार, वर्ल्ड पीस मूवमेंट ट्रस्ट इंडिया द्वारा प्रदान शांतिदूत अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था. 2002 में विश्व मानवधिकार प्रोत्साहन पुरस्कार, 2003 का राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार, 2003 का राष्ट्रीय संप्रदाय सद्भावना पुरस्कार, 2006 जमानालाल बजाज पुरस्कार, 2008 महात्मा गांधी पुरस्कार, अनुवर्त अहिंसा पुरस्कार-2010, साल 2014 में भारतीय साथी संगठन दिल्ली द्वारा लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड, इसी साल कर्नाटक सरकार द्वारा महात्मा गांधी प्रेरणा सेवा पुरस्कार-2014 और राष्ट्रीय सद्भावना एकता पुरस्कार-2014 नागपुर, महाराष्ट्र से सम्मानित किया गया था.