मुरैना। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए किसान कानूनों को लेकर कांग्रेस पार्टी लगातार विरोध कर रही है. इसी विरोध की कड़ी में बुधवार 20 जनवरी को मुरैना में कांग्रेस की खाट पंचायत का आयोजन किया जाएगा. इस खाट पंचायत में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह के अलावा प्रदेश के सभी कांग्रेस विधायक, पूर्व मंत्री और आला नेता मौजूद रहेंगे. जो अंचल के किसानों से खाट पंचायत में चर्चा कर एक प्रस्ताव पारित करेंगे. जिसे केंद्र सरकार को भेजा जाएगा, ताकि कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए सरकार पर दबाव बनाया जा सके. 20 जनवरी को होने वाले कांग्रेस की खाट पंचायत का नेतृत्व पीसीसी चीफ कमलनाथ करेंगे. इसमें मुख्य रूप से पूर्व मुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह, अजय सिंह, अरुण यादव, कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष रामनिवास रावत के अलावा कांग्रेस पार्टी के प्रदेश के सभी विधायक, सभी पूर्व मंत्री, सभी पूर्व सांसद के अलावा पार्टी के सभी प्रदेश पदाधिकारी हिस्सा लेंगे.
पांच हजार किसान खाट पंचायत में हो सकते हैं शामिल
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा आयोजित खाट पंचायत में अंचल से 5,000 से अधिक किसानों के भाग लेने की संभावना है. जो एक सूत्रीय प्रस्ताव पारित करेंगे कि केंद्र सरकार कृषि संबंधी 3 कानूनों को तत्काल प्रभाव से वापस लें. कांग्रेस खाट पंचायत में इन प्रस्तावों को पारित करने के बाद केंद्र सरकार को भेजेगी. ताकि सरकार पर कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए दबाव बनाया जाए. यह कांग्रेस का प्रदेश व्यापी आंदोलन है. कांग्रेस दिल्ली में चल रहे पिछले 55 दिनों के आंदोलन को और मजबूत करने के लिए इस खाट पंचायत का आयोजन करने जा रही है.
केंद्रीय कृषि मंत्री के संसदीय क्षेत्र में आयोजित होगी खाट पंचायत
कांग्रेस पार्टी का मानना है कि अभी तक जो आंदोलन दिल्ली, नोएडा के बॉर्डर पर किसानों द्वारा किया जा रहा है. वह आंदोलन धीरे-धीरे कांग्रेस पूरे देश में फैलाना चाहती है. लेकिन मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार होने के कारण यह आंदोलन जोर नहीं पकड़ सका, इसलिए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी प्रदेश के सबसे बड़े किसान आंदोलन खाट पंचायत का आयोजन कर, देश में संदेश देना चाहती है कि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के संसदीय क्षेत्र में भी किसान केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं. इसलिए यह कानून किसान हितैषी नहीं हो सकता.