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जनसुनवाई बंद होने से फरियादी परेशान, सोशल मीडिया को माध्यम बनाने की मांग

कोरोना की वजह से लगाए गए लॉकडाउन के बाद जनसुनवाई भी बंद है, जिससे ग्रामीण परेशान हो रहे हैं. ग्रामीणों ने मांग की है कि उनकी शिकायत सोशल मीडिया के माध्यम से सुनी जाए.

-sidhi news
परेशान ग्रामीण
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Published : Aug 26, 2020, 2:28 PM IST

Updated : Aug 27, 2020, 2:38 PM IST

सीधी। प्रदेश में कोरोना कहर लोगों के लिए मुसीबत बन गया है. इसकी वजह से लगे लॉकडाउन से न सिर्फ शासकीय व्यवस्थाएं पटरी से उतर गई हैं, बल्कि आम लोगों को भी काफी परेशानी हो रही है. मार्च महीने से जनसुनवाई बंद होने की वजह से लोगों को अपनी समस्याएं बताने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं, लेकिन कई दिनों बाद भी शिकायत अधिकारी तक नहीं पहुंचा पा रही है. वहीं अनाप-शनाप बिजली बिल आने से भी लोग परेशान हैं. इसी परेशानी को देखते हुए लोगों ने मांग कि है कि सोशल मीडिया के माध्यम से उनकी शिकायतें कुबूल की जाएं. वहीं प्रशासन भी सोशल मीडिया को बढ़िया प्लेटफार्म मान रहा है.

जनसुनवाई बंद होने से शिकायतकर्ता परेशान

जनसुनवाई बंद होने से जनता परेशान है, लोगों की समस्याएं दूर करने के लिए सरकार हर जिले में मंगलवार को जनसुनवाई का आयोजन करती थी, जिसमें कलेक्टर के अलावा सभी उच्च अधिकारी मौजूद रहते थे, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से जनसुनवाई बंद कर दी गई है. जिससे लोग अपनी समस्याएं लेकर दूरदराज के गांवों से आते हैं. कभी-कभार तो दिन भर अधिकारियों के इंतजार में बैठना पड़ता है. कलेक्टर खुद भी जनता की शिकायत सुनते हैं, लेकिन कम समय ही जनता को दे पाते हैं. इसकी वजह से लोग कलेक्टर या संबंधित अधिकारियों के इंतजार में बैठे रहते हैं.

सीधी जिला आदिवासी बाहुल्य माना जाता है. जिससे विकास की रफ्तार धीमी होने के साथ-साथ आधुनिक संसाधन का उपयोग कम किया जाता है, यदि प्रशासन इस व्यवस्था पर विचार करता है तो जिस तरह हैदराबाद में प्रशासन ने सोशल मीडिया को माध्यम बनाया है और शिकायतें की जा रही हैं, सीधी में भी व्हाट्सएप्प, फेसबुक, ट्विटर, कॉल सेंटर के माध्यम से नगर पालिका, कलेक्टर राजस्व के मामलों की शिकायत लेने लगें तो कुछ हद तक समस्याएं जल्द दूर होंगी.

वहीं बिजली के बिलों को लेकर भी लोग खासे परेशान हैं, लॉकडाउन के दौरान भी लोगों के पास अनाप-शनाप बिल पहुंच रहे थे, लोगों ने ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर से भी इसकी शिकायत की थी, लेकिन इन समस्याओं पर मंत्री कोई ठोस निर्णय अथवा निर्देश देने की बजाय पिछली सरकार को जिम्मेदार ठहराने लगते हैं. प्रद्युम्न सिंह तोमर कांग्रेस के उन आरोपों का खंडन करते हैं, जिसमें दावा किया जा रहा है कि जनरेटर और इनवर्टर बनाने वाली कंपनियों से सरकार की साठगांठ है और बिजली पर्याप्त होने के बावजूद लोगों को बिजली नहीं दी जा रही है और अघोषित कटाई की जा रही है.

सीधी। प्रदेश में कोरोना कहर लोगों के लिए मुसीबत बन गया है. इसकी वजह से लगे लॉकडाउन से न सिर्फ शासकीय व्यवस्थाएं पटरी से उतर गई हैं, बल्कि आम लोगों को भी काफी परेशानी हो रही है. मार्च महीने से जनसुनवाई बंद होने की वजह से लोगों को अपनी समस्याएं बताने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं, लेकिन कई दिनों बाद भी शिकायत अधिकारी तक नहीं पहुंचा पा रही है. वहीं अनाप-शनाप बिजली बिल आने से भी लोग परेशान हैं. इसी परेशानी को देखते हुए लोगों ने मांग कि है कि सोशल मीडिया के माध्यम से उनकी शिकायतें कुबूल की जाएं. वहीं प्रशासन भी सोशल मीडिया को बढ़िया प्लेटफार्म मान रहा है.

जनसुनवाई बंद होने से शिकायतकर्ता परेशान

जनसुनवाई बंद होने से जनता परेशान है, लोगों की समस्याएं दूर करने के लिए सरकार हर जिले में मंगलवार को जनसुनवाई का आयोजन करती थी, जिसमें कलेक्टर के अलावा सभी उच्च अधिकारी मौजूद रहते थे, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से जनसुनवाई बंद कर दी गई है. जिससे लोग अपनी समस्याएं लेकर दूरदराज के गांवों से आते हैं. कभी-कभार तो दिन भर अधिकारियों के इंतजार में बैठना पड़ता है. कलेक्टर खुद भी जनता की शिकायत सुनते हैं, लेकिन कम समय ही जनता को दे पाते हैं. इसकी वजह से लोग कलेक्टर या संबंधित अधिकारियों के इंतजार में बैठे रहते हैं.

सीधी जिला आदिवासी बाहुल्य माना जाता है. जिससे विकास की रफ्तार धीमी होने के साथ-साथ आधुनिक संसाधन का उपयोग कम किया जाता है, यदि प्रशासन इस व्यवस्था पर विचार करता है तो जिस तरह हैदराबाद में प्रशासन ने सोशल मीडिया को माध्यम बनाया है और शिकायतें की जा रही हैं, सीधी में भी व्हाट्सएप्प, फेसबुक, ट्विटर, कॉल सेंटर के माध्यम से नगर पालिका, कलेक्टर राजस्व के मामलों की शिकायत लेने लगें तो कुछ हद तक समस्याएं जल्द दूर होंगी.

वहीं बिजली के बिलों को लेकर भी लोग खासे परेशान हैं, लॉकडाउन के दौरान भी लोगों के पास अनाप-शनाप बिल पहुंच रहे थे, लोगों ने ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर से भी इसकी शिकायत की थी, लेकिन इन समस्याओं पर मंत्री कोई ठोस निर्णय अथवा निर्देश देने की बजाय पिछली सरकार को जिम्मेदार ठहराने लगते हैं. प्रद्युम्न सिंह तोमर कांग्रेस के उन आरोपों का खंडन करते हैं, जिसमें दावा किया जा रहा है कि जनरेटर और इनवर्टर बनाने वाली कंपनियों से सरकार की साठगांठ है और बिजली पर्याप्त होने के बावजूद लोगों को बिजली नहीं दी जा रही है और अघोषित कटाई की जा रही है.

Last Updated : Aug 27, 2020, 2:38 PM IST
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