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टिड्डी दल से बचाव के लिए प्रशासन ने कसी कमर, किसानों को दिए सुझाव

मध्यप्रदेश के नीमच और मंदसौर से होकर उज्जैन की ओर बढ़ने वाला टिड्डी दल अब प्रशासन और किसानों के लिए सिरदर्द बनने लगा है, टिड्डी दल से बचाव के लिए कृषि अधिकारी और वैज्ञानिकों की मुरैना कलेक्टर के साथ बैठक हुई.

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टिड्डी दल से बचाव के लिए बैठक
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Published : May 21, 2020, 4:05 PM IST

Updated : May 21, 2020, 7:29 PM IST

मुरैना। राजस्थान से मध्यप्रदेश की ओर बढ़ते टिड्डी दल ने प्रशासन की नींद उड़ा दी है, इस समय टिड्डी दल किसानों की फसलों के दुश्मन बन गए हैं, जिससे जिले के किसानों की नींद उड़ गई है. प्रदेश के नीमच और मंदसौर जिले से होकर उज्जैन की ओर बढ़ने से अन्य जिलों के किसान और प्रशासन चिंतित है. लिहाजा बचाव की तैयारियों को लेकर कृषि अधिकारी और वैज्ञानिकों के साथ मुरैना में बैठक हुई.

टिड्डी दल से बचाव के लिए बैठक

कलेक्टर ने सभी कृषि अधिकारियों और आंचलिक कृषि अनुसंधान केंद्र और कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के साथ टिड्डी संकट से बचाव की तैयारियों पर चर्चा की और उपाय खोजने पर संबंधित को तत्काल काम कारने की निर्देश दिए है. वैज्ञानिकों का मानना है कि टिड्डी दल से फसलों और पेड़ पौधों को बचाने के लिए किसान पटाखों की व्यवस्था रखें, ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग करें, ताकि टिड्डी दल के आने पर तेज ध्वनि करके भगाया जा सके.

उन्होंने कहा कि टिड्डी दल अगर फसलों पर बैठता है तो रात्रि के समय में ही उस पर बड़ी-बड़ी मशीनों से कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करें. प्रशासन ने सभी आवश्यक कीटनाशक दवाओं को पर्याप्त मात्रा में स्टॉक बाजार में उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं. उज्जैन रतलाम नीमच के रास्ते टिड्डी दल मुरैना की ओर हर साल इसी सीजन में आता है.

मुरैना। राजस्थान से मध्यप्रदेश की ओर बढ़ते टिड्डी दल ने प्रशासन की नींद उड़ा दी है, इस समय टिड्डी दल किसानों की फसलों के दुश्मन बन गए हैं, जिससे जिले के किसानों की नींद उड़ गई है. प्रदेश के नीमच और मंदसौर जिले से होकर उज्जैन की ओर बढ़ने से अन्य जिलों के किसान और प्रशासन चिंतित है. लिहाजा बचाव की तैयारियों को लेकर कृषि अधिकारी और वैज्ञानिकों के साथ मुरैना में बैठक हुई.

टिड्डी दल से बचाव के लिए बैठक

कलेक्टर ने सभी कृषि अधिकारियों और आंचलिक कृषि अनुसंधान केंद्र और कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों के साथ टिड्डी संकट से बचाव की तैयारियों पर चर्चा की और उपाय खोजने पर संबंधित को तत्काल काम कारने की निर्देश दिए है. वैज्ञानिकों का मानना है कि टिड्डी दल से फसलों और पेड़ पौधों को बचाने के लिए किसान पटाखों की व्यवस्था रखें, ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग करें, ताकि टिड्डी दल के आने पर तेज ध्वनि करके भगाया जा सके.

उन्होंने कहा कि टिड्डी दल अगर फसलों पर बैठता है तो रात्रि के समय में ही उस पर बड़ी-बड़ी मशीनों से कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करें. प्रशासन ने सभी आवश्यक कीटनाशक दवाओं को पर्याप्त मात्रा में स्टॉक बाजार में उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं. उज्जैन रतलाम नीमच के रास्ते टिड्डी दल मुरैना की ओर हर साल इसी सीजन में आता है.

Last Updated : May 21, 2020, 7:29 PM IST
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