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चंबल के इस सपूत से चाइना भी है प्रभावित, जवान के नाम पर रखा है गांव-सड़क का नाम - वीर सपूत रघुवीर सिंह

भारतीय सैनिकों की वीरता, योग्यता और क्षमता से पूरी दुनिया प्रभावित रही है. भारत के जाबांजों की वीरता के मुरीद दुश्म देश भी रहे हैं.

China is also affected by this heroic son of Morena
चंबल के इस वीर सपूत से चीन भी है प्रभावित
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Published : Dec 16, 2019, 5:06 PM IST

Updated : Dec 16, 2019, 8:21 PM IST

मुरैना। भारतीय सेना के जाबांजों की वीरता की कहानी चंबल की माटी में इस कदर समाई है कि उसके सपूतों की वीरता और साहस के चलते न केवल सेना में इसका कद ऊंचा है, बल्कि चंबल की भूमि को वीरों की धरती भी कहा जाता है. भारतीय सेना के जवान रवि रघुवीर सिंह के नाम से चाइना की सीमा पर न केवल सैनिक पोस्ट बनाई गई है, बल्कि रघुवीर सिंह के नाम से चाइना में एक सड़क और एक गांव भी बसाया गया है.

चंबल के इस वीर सपूत से चीन भी है प्रभावित

हिंदुस्तान पाकिस्तान के साथ 1971 में हुए युद्ध की वर्षगांठ मना रहा है. उन सैनिकों और शहीदों के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त कर रहा है, जिन्होंने चीन के खिलाफ युद्ध में अपने पराक्रम का प्रदर्शन किया था, चंबल अंचल के मुरैना जिले के गलेथा गांल के वीर सपूत रघुवीर सिंह ने 1965 में चाइना के खिलाफ युद्ध के दौरान अपने पराक्रम का प्रदर्शन किया था.

पूर्व सैनिक संघ के अध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह पवार ने बताया कि 1965 के युद्ध में गलेथा गांव निवासी रघुवीर सिंह का पराक्रम देख चाइना भी मुरीद हो गया था. उन्होंने बताया कि जब युद्ध के समय उनका गोला-बारूद खत्म हो गया और चीनी सैनिक उनके सामने थे, तब उन्हें न केवल अपनी जान बचानी थी, बल्कि दुश्मनों को परास्त भी करना था, ऐसे में उन्होंने दुश्मन खेमे के ही एक सैनिक को ढाल बनाया और उसी को हथियार बनाकर चीनी सैनिकों को पराजित कर उस पोस्ट पर कब्जा कर लिया.

रघुवीर सिंह की वीरता और साहस से न केवल भारतीय सेना बल्कि चाइना भी प्रभावित हुआ. इसी के चलते चाइना में मुरैना के वीर सपूत रघुवीर सिंह के नाम से एक सैनिक पोस्ट, एक सड़क और एक गांव बसाया गया है, ताकि उनकी वीरता से चाइना के सैनिक भी प्रेरित होते रहें. वीर प्रसूता चंबल की माटी को किसी प्रमाण की जरूरत नहीं है, बल्कि इतिहास इसका साक्षी है कि आजादी से पूर्व की लड़ाई हो या आजादी के बाद की, भारत के वीर सपूतों ने दुश्मनों के छक्के छुड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी.

मुरैना जिले में मौजूदा समय में 19 पूर्व सैनिक हैं, जो पड़ोसी मुल्कों के साथ हुए युद्ध के गवाह रहे हैं. पूर्व सैनिकों के साथ ही शहीदों के परिजनों को भी सम्मानित किया गया है. अकेले मुरैना जिले से हजारों सैनिक देश की सेवा कर चुके हैं, जबकि अब भी हजारों सैनिक देश की सीमा की निगहबानी कर रहे हैं. जिनमें जल, थल और वायु सेना के अलावा अर्धसैनिक बलों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.

मुरैना। भारतीय सेना के जाबांजों की वीरता की कहानी चंबल की माटी में इस कदर समाई है कि उसके सपूतों की वीरता और साहस के चलते न केवल सेना में इसका कद ऊंचा है, बल्कि चंबल की भूमि को वीरों की धरती भी कहा जाता है. भारतीय सेना के जवान रवि रघुवीर सिंह के नाम से चाइना की सीमा पर न केवल सैनिक पोस्ट बनाई गई है, बल्कि रघुवीर सिंह के नाम से चाइना में एक सड़क और एक गांव भी बसाया गया है.

चंबल के इस वीर सपूत से चीन भी है प्रभावित

हिंदुस्तान पाकिस्तान के साथ 1971 में हुए युद्ध की वर्षगांठ मना रहा है. उन सैनिकों और शहीदों के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त कर रहा है, जिन्होंने चीन के खिलाफ युद्ध में अपने पराक्रम का प्रदर्शन किया था, चंबल अंचल के मुरैना जिले के गलेथा गांल के वीर सपूत रघुवीर सिंह ने 1965 में चाइना के खिलाफ युद्ध के दौरान अपने पराक्रम का प्रदर्शन किया था.

पूर्व सैनिक संघ के अध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह पवार ने बताया कि 1965 के युद्ध में गलेथा गांव निवासी रघुवीर सिंह का पराक्रम देख चाइना भी मुरीद हो गया था. उन्होंने बताया कि जब युद्ध के समय उनका गोला-बारूद खत्म हो गया और चीनी सैनिक उनके सामने थे, तब उन्हें न केवल अपनी जान बचानी थी, बल्कि दुश्मनों को परास्त भी करना था, ऐसे में उन्होंने दुश्मन खेमे के ही एक सैनिक को ढाल बनाया और उसी को हथियार बनाकर चीनी सैनिकों को पराजित कर उस पोस्ट पर कब्जा कर लिया.

रघुवीर सिंह की वीरता और साहस से न केवल भारतीय सेना बल्कि चाइना भी प्रभावित हुआ. इसी के चलते चाइना में मुरैना के वीर सपूत रघुवीर सिंह के नाम से एक सैनिक पोस्ट, एक सड़क और एक गांव बसाया गया है, ताकि उनकी वीरता से चाइना के सैनिक भी प्रेरित होते रहें. वीर प्रसूता चंबल की माटी को किसी प्रमाण की जरूरत नहीं है, बल्कि इतिहास इसका साक्षी है कि आजादी से पूर्व की लड़ाई हो या आजादी के बाद की, भारत के वीर सपूतों ने दुश्मनों के छक्के छुड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी.

मुरैना जिले में मौजूदा समय में 19 पूर्व सैनिक हैं, जो पड़ोसी मुल्कों के साथ हुए युद्ध के गवाह रहे हैं. पूर्व सैनिकों के साथ ही शहीदों के परिजनों को भी सम्मानित किया गया है. अकेले मुरैना जिले से हजारों सैनिक देश की सेवा कर चुके हैं, जबकि अब भी हजारों सैनिक देश की सीमा की निगहबानी कर रहे हैं. जिनमें जल, थल और वायु सेना के अलावा अर्धसैनिक बलों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.

Intro:भारतीयों की योग्यता और क्षमताओं से दुनिया हमेशा प्रभावित रहा है चाहे वह विद्वान लोग हैं चाहे संतो या फिर भारतीय सेनाओं के वीर जवानों की वीरता की कहानियां हो । भारतीय सेना के एक सिपाही चंबल की माटी का सपूत है जिसके वीरता और साहस से न केवल भारतीय सेना बल के जिसके खिलाफ युद्ध लड़ा वह चाइना भी आज तक उसकी शौर्य से प्रेरणा लेना चाहती है यही कारण है कि भारतीय सेना के जवान रवि रघुवीर सिंह सिकरवार की नाम से चाइना की सीमा पर न केवल सैनिक पोस्ट बनाई गई है बल्कि रघुवीर सिंह के नाम से चाइना में एक सड़क और एक गांव भी बसाया गया है ।







Body:आज देश 1971 के युद्ध की वर्षगांठ मना रहा है और उन सैनिकों और शहीदों को के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त कर रहा है जिन्होंने चाइना के खिलाफ हुए 1971 के युद्ध में अपने पराक्रम का प्रदर्शन किया । चंबल की माटी के सपूत मुरैना जिले के ग्राम गलेथा निवासी रघुवीर सिंह सिकरवार कि 1971 में चाइना के खिलाफ युद्ध के दौरान हु इज पराक्रम के प्रदर्शन का स्मार्ट दिलाते हुए मुरैना जिले के पूर्व सैनिक संघ के अध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह पवार ने बताया कि 1971 के युद्ध में गलेथा गांव के रहने वाले रघुवीर सिंह सिकरवार ने अपने शौर्य पराक्रम से चाइना को लोहा मनवाया उन्होंने बताया कि जब युद्ध के समय उनका उनका गोला-बारूद खत्म हो गया और सैनिक सामने थे तब उन्हें न केवल अपनी जान बचानी थी बल्कि सैनिकों को परास्त भी करना था ऐसे में उन्होंने चाइना के ही एक सैनिक को अपनी डाल बनाया और उसी को हथियार बनाकर चाइना के सैनिकों को मारा। और उस पोस्ट पर विजय हासिल की। उनकी वीरता और साहस से न केवल भारतीय सेना बल्कि चाइना भी प्रभावित हुई और इसी का परिणाम था कि आज चाइना में मुरैना के वीर सपूत रघुवीर सिंह सिकरवार के नाम से एक सैनिक पोस्ट एक सड़क और एक गांव बसाया गया है ताकि उसकी वीरता से चाइना के सैनिक भी प्रेरणा लेते रहे |


Conclusion:चंबल की माटी वीर प्रसूता है इस बात का किसी को प्रमाण देने की आवश्यकता नहीं है बल्कि इतिहास इसका साक्षी है चाहे आजादी से पूर्व की लड़ाई हो या आजादी के बाद की राम प्रसाद बिस्मिल से लेकर आज तक वीर सैनिकों की यह धरती भरी रही है वर्तमान में मुरैना जिले में 19 स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जीवित होकर स्वतंत्रता की कहानी बयान करते हैं तो 55 55 सैनिक 1965 71 और कारगिल के युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए वर्तमान में 856 भूतपूर्व सैनिकों की विधवाओं मुरैना जिले में निवास कर रही हैं तो वहीं 6500 से अधिक भूतपूर्व सैनिक वर्तमान में मुरैना जिले के हैं थल सेना वायु सेना और जल सेना के अलावा अर्धसैनिक बलों में मुरैना जिले से 23 हजार से अधिक सैनिक देश की सेवा और सुरक्षा कर रहे हैं ।
बाईट 1 - आर पी सिंह , पूर्व लेप्टिनेंट कर्नल एवं जिला अधिकारी सैनिक कल्याण बोर्ड मुरैना
बाईट 2 - रविन्द्र सिंह परमार , जिला अध्यक्ष सैनिक कल्याण बोर्ड मुरैना
बाईट 3 - शत्रुघन सिंह सिकरवार , पूर्व सैनिक एव पूर्व अध्यक्ष सैनिक संघ मुरैना
Last Updated : Dec 16, 2019, 8:21 PM IST
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