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चंबल नदी के अटार घाट पर अवैध स्टीमर का संचालन, यात्रियों से बसूले जा रहे ज्यादा रूपए

चंबल के अटार घाट पर अवैध स्टीमर का संचालन किया जा रहा है. नाव मे क्षमता से ज्यादा सवारी और वाहनों को रखकर पार कराया जाता है.

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Published : Jul 29, 2019, 8:25 PM IST

मुरैना। चंबल के अटार घाट पर अवैध स्टीमर का संचालन किया जा रहा है. नाव मे क्षमता से ज्यादा सवारी और वाहनों को रखकर पार कराया जाता है. वहीं लोगों से अवैध वसूली भी की जाती है. लेकिन प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं जा रहा है.

दरअसल, मुरैना की सीमाएं यूपी और राजस्थान की सीमाओं से मिलती हैं. जिसके बीच चंबल नदी की सीमा रेखा है. दोनों प्रदेशों के बीच बहने वाली चंबल नदी से लोगों का आना जाना लगा रहता है. सबलगढ़ तहसील के क्षेत्र और अंबाह तहसील के दो जगहों पर बारिश के समय प्लाटून पूल हटा दिया जाता है. इसके बाद भी यहां ठेकेदारों द्वारा अवैध रूप से नाव द्वारा यात्रियों को आवागमन कराया जाता है.

चंबल नदी पर हो रहा अवैध स्टीमर का संचालन

बता दें नाव में भारी संख्या में यात्रियों के साथ चार पहिया और बाइक को रखकर ले जाया जाता है. जिसके चलते हजारों लोग जान हथेली पर रखकर मौत की नाव में सफर करने को मजबूर हैं. ग्रामीणों के मुताबिक इस नाव की क्षमता 40 यात्रियों की है. लेकिन नाव में 100 से ज्यादा लोगों बैठाया जाता है. इतना ही नहीं नाव में कार और बाइक भी रखी जाती है. ऐसे में हर वक्त नाव पलटने का डर बना रहता है. खासकर बरसात में मौसम में चम्बल नदी कभी भी उफान पर आने पर डर हमेशा सताये रहता है. सबलगढ़ और कैलारस के लोग राजस्थान में इसी रास्ते से जाते हैं, क्योकि वह मुरैना होकर जाएंगे तो लोगों को 100 किलोमीटर तक का अंतर पड़ जाता है.

मुरैना। चंबल के अटार घाट पर अवैध स्टीमर का संचालन किया जा रहा है. नाव मे क्षमता से ज्यादा सवारी और वाहनों को रखकर पार कराया जाता है. वहीं लोगों से अवैध वसूली भी की जाती है. लेकिन प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं जा रहा है.

दरअसल, मुरैना की सीमाएं यूपी और राजस्थान की सीमाओं से मिलती हैं. जिसके बीच चंबल नदी की सीमा रेखा है. दोनों प्रदेशों के बीच बहने वाली चंबल नदी से लोगों का आना जाना लगा रहता है. सबलगढ़ तहसील के क्षेत्र और अंबाह तहसील के दो जगहों पर बारिश के समय प्लाटून पूल हटा दिया जाता है. इसके बाद भी यहां ठेकेदारों द्वारा अवैध रूप से नाव द्वारा यात्रियों को आवागमन कराया जाता है.

चंबल नदी पर हो रहा अवैध स्टीमर का संचालन

बता दें नाव में भारी संख्या में यात्रियों के साथ चार पहिया और बाइक को रखकर ले जाया जाता है. जिसके चलते हजारों लोग जान हथेली पर रखकर मौत की नाव में सफर करने को मजबूर हैं. ग्रामीणों के मुताबिक इस नाव की क्षमता 40 यात्रियों की है. लेकिन नाव में 100 से ज्यादा लोगों बैठाया जाता है. इतना ही नहीं नाव में कार और बाइक भी रखी जाती है. ऐसे में हर वक्त नाव पलटने का डर बना रहता है. खासकर बरसात में मौसम में चम्बल नदी कभी भी उफान पर आने पर डर हमेशा सताये रहता है. सबलगढ़ और कैलारस के लोग राजस्थान में इसी रास्ते से जाते हैं, क्योकि वह मुरैना होकर जाएंगे तो लोगों को 100 किलोमीटर तक का अंतर पड़ जाता है.

Intro:
एंंकर - मुरैना जिले की सीमाएं उप्र और राजस्थान की सीमाओ से मिलती है, जिसके बीच चंबल नदी सीमा रेखा का काम कर रही है। दोनों प्रदेशों के बीच आने वाली चंबल नदी से लोगो का आना जाना भी लगा रहता है,पर सबलगढ तहसील के क्षेत्र और अंबाह तहसील में आने वाले दो जगहो पर बारिश के समय प्लाटून पूल को हटा दिया जाता है। जिसके चलते दोनो ही तरफ की सीमाओ के लोगो को आने जाने में परेशानी का सामना करना पडता है, जिसके चलते दोनो ही तरफ से स्टीमर की व्यवस्था की जाती है। जिसमे अवैध वसूली की शिकायतेंं भी आ रही है कलेक्टर ने इस मामले में जांच कराने की बात कही है वही स्टीमर संचालन के लिए दोंंनो प्रदेशों के काॅर्डिनेशन के बाद ही व्यवस्था हो पाएगी।


Body:वीओ1 - मुरैना में चम्बल नदी का कुछ घाट ऐसे भी है जहाँ लोग नदी पार करने के लिए अपनी जान हथेली पर लेकर मौत का सफर करते है, और जिससे हर समय उन्हें एक बड़े हादसे का डर बना रहता है। यहाँ चम्बल पार कराने के लिये लोगो से मनमानी से पैसे वसूले जाते है । क्योकि बरसात के मौसम में घाट पर बने अस्थाई पीपा के पुल को हटा दिया जाता है । इन अवैध रूप से संचालित नावो पर एक सैकड़ा से अधिक गाँवों के हजारो लोग सफर करते है।

बाइट1 - राकेश ------ यात्री ग्रामीण
बाइट2 - अशोक सिंह ------- यात्री ग्रामीण
Conclusion:वीओ 2- यह तस्वीरें है मध्य प्रदेश -राजस्थान और उत्तर प्रदेश की सीमा को जोड़ने वाले चम्बल नदी के अटार घाट और उसैद घाट की, यहाँ पर स्थाई पुल न होने कारण पीपा का अस्थाई पुल बनाया जाता है। लेकिन बरसात के दिनों में चम्बल में उफान और तेज पानी आने के कारण पीपा पुल को हटा दिया जाता है इसके बाबजूद भी यहाँ ठेकेदारों के दवारा अवैध रूप से नाव के द्वारा यात्रियों को आवागमन कराया जाता है नाव में भारी संख्या में यात्रियों के साथ चार पहिया और बाइक को नाव में रखकर आवागमन कराते है। जिसके कारण हजारो लोग अपनी जान हथेली पर रखकर मौत की नाव में सफर करने को मजबूर है। ग्रामीणों की माने तो इस नाव की क्षमता केवल 40 यात्रियों के है लेकिन इस नाव में 100 से अधिक लोगो को नदी पार कराई जा रही है और इतना ही नही नाव में चार पहिया और बाइको को लाद कर पार कराया जाता है इस नाव पर प्रति व्यक्ति 20 रूपये और बाइक से 100 से 200 रुपए और चार पहिया वाहनों से 500 रूपये वसूले जाते है। साथ महिलाओं को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है और हर वक्त नाव पलटने का डर भी सताता रहता है। खासकर बरसात में मौसम में चम्बल नदी कभी भी उफान पर आने पर डर हमेशा सताये रहता है सबलगढ़ और कैलारस तहसील के लोग राजस्थान में इसी रास्ते से जाते है क्योकि यदि वह मुरैना होकर जाएंगे तो लोगो को 100 किलोमीटर तक का अंतर पड़ जाता है।


बाइट3 - प्रियंका दास ------- कलेक्टर मुरैना।

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